मुथैया मुरलीधरन को बर्बाद करने की साजिश को ऑस्ट्रेलिया ने दिया था अंजाम, फिर कप्तान रणतुंगा ने ऐसे बचाया था करियर

Published - 03 Sep 2022, 11:40 AM

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Muttiah Muralitharan: क्रिकेट के मैदान और विवादों का रिश्ता काफी पुराना है. हर टीम का किसी न किसी मौके पर विवादों से नाता रहा है. चाहे बात करे मैच फिक्सिंग की या समय के चलते मैच में टारगेट बदलने की आपको कई ऐसे विवाद देखने को मिलेंगे जिस कारण एक बेहद ही छोटी से गलती रहा होगा. खिलाड़ियों का आपस में लड़ना या स्लेजिंग करना आजकल काफी ज्यादा देखने को मिल जाता है.

लेकिन मैच में कोई भी विवाद ज्यादा बड़ा ना हो और शांति से सुलझ जाये यह ज़िम्मेदारी होती है अंपायर की. लेकिन अगर अंपायर की वजह से ही विवाद इतना उलझ जाये की मैच खत्म करने की नौबत आ जाये तो आप क्या कहेंगे. तो आज हम बात करने वाले है श्रीलंका क्रिकेट टीम के कप्तान और अंपायर के बीच होने वाले एक ऐसे विवाद पर जिसमें क्रिकेट के सबसे बेहतरीन दिग्गज खिलाड़ी का करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाने की आशंका उठ रही थी.

Muttiah Muralitharan का करियर खत्म करने की कोशिश

Muttiah Muralitharan
Muttiah Muralitharan

यह विवाद है साल 1995 का. इस विवाद में मुख्य किरदार रहे मुथैया मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan). मुरलीधरन ने तभी इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरू किया था. ऐसे में अंपायर द्वारा उनके एक्शन पर कई बार सवाल उठाये गये. उस समय ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलते हुए मुथैया मुरलीधरन की गेंद को अंपायर डैरल हेयर नो बॉल करार दे रहे थे.

मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan) सामान्य गेंद भी फेंकते तब भी डैरल हेयर नो बॉल ही घोषित कर रहे थे. दरअसल उस समय नियम था की गेंदबाज गेंदबाजी करते वक्त अपना हाथ झुका नहीं सकता है और इसका फैसला ऑन फील्ड अंपायर को ही करना होता था और इसी वजह से अंपायर के फैसले की वजह से इस युवा खिलाड़ी की हर गेंद नो बॉल करार दी जा रही थी.

कप्तान रणतुँगा सीधे अंपायर से जा भिड़े

अर्जुन राणातुंगा जो उस वक्त श्रीलंका के कप्तान थे उन्होंने परेशान होकर मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan) को दूसरे छोर से गेंदबाजी करने के लिए कहा लेकिन अंपायर के अनुसार वो उनकी गेंदों को नो बॉल घोषित करते रहेंगे. मैच खत्म होने के बाद श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने अंपायर डैरल हेयर से बातचीत करने की कोशिश की लेकिन ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने ऐसा नहीं होने दिया.

आगामी कुछ मैचों में भी यही कहानी रही और मुरलीधरन की गेंदों को नो बॉल करार दिया गया. अंपायरों की शिकायत की वजह से मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan) एक बार अपना बोलिंग एक्शन पास कर चुके थे और उनके पास आईसीसी की क्लीन चिट थी लें इसके बाद भी अंपायर कप्तान की बात नहीं मान रहे थे. ऐसे में अर्जुन राणातुंगा (Arjuna Ranatunga) के सब्र का बांध टूट गया और वो अंपायर से भिड़ गए.

मैच के बाद रणतुंगा पर लगा 6 मैच बैन

मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan) के एक्शन को आईसीसी से मान्यता मिली थी तो ऐसे में उन्होंने अपने युवा गेंदबाज के समर्थन का फैसला किया, जो कि हर जिम्मेदार कप्तान करता. इसके बाद अर्जुन राणातुंगा ने विपक्षी टीम इंग्लैंड से हाथ मिलाया और पूरी श्रीलंका टीम को लेकर मैदान के बाहर जाने लगे. मैच रेफरी ने अर्जुन को समझाया लेकिन णातुंगा मानने को तैयार नहीं थे वो अड़ गए कि मुरली जैसे गेंद डालना चाहेगा वैसे डालेगा.

इंग्लैंड के खिलाफ श्रीलंका को मैच में जीत मिली लेकिन रणतुंगा (Arjuna Ranatunga) को अंपायरों के साथ उनके बर्ताव के लिए 6 मैच के लिए सस्पेंड कर दिया गया. कप्तान ने अपने करियर को एक युवा गेंदबाज़ के लिए दावं पर लगा दिया लेकिन अगर वो ऐसा नही करते तो क्रिकेट जगत को मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan) जैसे जादुई स्पिनर नही मिल पाता.

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