दूध बेचने से लेकर रिक्शा चलाने तक... पाई-पाई को मोहताज हुआ स्टार खिलाड़ी, अब पेट पालने के लिए करना पड़ा ऐसा काम
Published - 18 Aug 2022, 05:35 AM

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Raja Babu: दिव्यांग क्रिकेट सर्किट में स्टेट और नेशनल लेवल में अपनी छाप छोड़ने वाले राजा बाबू मौजूदा समय में काफी चर्चा में चल रहे हैं. उनको आईपीएल की तरह ही शुरू हुई एक डोमेस्टिक T20 लीग में मुंबई की टीम का कप्तान बनाया गया था. जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश के खिलाफ महज़ 20 गेंदों में 67 रन जड़ दिए थे. हालांकि अब ये स्टार खिलाड़ी (Raja Babu) पाई-पाई का मोहताज हो गया है.
गाज़ियाबाद की सड़कों पर ई-रिक्शा चला रहे हैं Raja Babu
आपको बता दें कि 31 साल के दिव्यांग क्रिकेटर राजा बाबू (Raja Babu) आर्थिक तंगी से जूझने की वजह से करीब 2 साल से भी ज़्यादा के समय से गाज़ियाबाद की सड़कों पर ई-रिक्शा चला रहे हैं. दरअसल, यह ई-रिक्शा राजा को एक टूर्नामेंट में शानदार बल्लेबाज़ी करने के चलते मिला था.
कोरोना महामारी ने राजा बाबू की ज़िन्दगी को उजाड़ कर रख दिया. 2020 में उत्तर प्रदेश में दिव्यांग क्रिकेटर्स के लिए बनाई गई चैरिटेबल संस्था डीसीए यानी दिव्यांग क्रिकेट एसोसिएशन की मान्यता रद्द कर दी गई. जिससे राजा बाबू का घर चलता था.
"गाज़ियाबाद की सड़कों पर मैंने दूध बेचा है"
दिव्यांग क्रिकेटर राजा बाबू ने टाइम्स से बातचीत करते हुए अपने साथ हुई आपबीती को विस्तार से बताया है. उन्होंने बताया है कि आखिर उन्होंने किस तरह आर्थिक तंगी के शुरुआती दिनों में सड़क पर दूध बेचा है. राजा (Raja Babu) ने बताया कि,
शुरुआती कुछ महीने आर्थिक तंगी से जूझने के कारण मैंने गाज़ियाबाद की सड़कों पर दूध बेचा. अभी मैं बहरामपुर और विजय नगर के बीच रोज करीब 10 घंटे ई-रिक्शा चलाने को मजबूर हूं ताकि सिर्फ 250-300 रूपये कमा संकू. घर का खर्च नहीं चल पाता और बच्चों की पढ़ाई के लिए कुछ नहीं बचा है. दिव्यांगों के लिए रोज़गार के मौके कितने कम हैं यह हम सबको पता है."
ट्रेन हादसे में गंवाया बायां पैर
राजा बाबू ने आगे अपने बयान में इस बात का भी ज़िक्र किया कि ट्रेन हादसे की वजह से उन्होंने अपना बांया पैर खो दिया था. स्टार बल्लेबाज़ ने इस बारे में बात करते हुए कहा,
"1997 में स्कूल से घर लौटते वक्त एक ट्रैन हादसे में मैंने बायां पैर खो दिया. हादसे के बाद मेरी पढ़ाई रुक गई थी क्योंकि परिवार स्कूल की फीस नहीं चुका सकता था. हादसे ने मेरी ज़िंदगी बदली मगर मैंने सपने देखना नहीं छोड़ा."