धोनी के कारण 15 साल तक बाहर रहने के बाद अब पार्थिव पटेल ने इस विषय पर तोड़ी अपनी चुप्पी

Published - 31 Jul 2017, 07:32 AM

खिलाड़ी

पार्थिव पटेल जिन्होंने अपना अन्तर्राष्ट्रीय करियर 17 साल की उम्र में शुरू किया था, लेकिन अभी तक वे भारतीय टीम में अपनी एक नियमित स्थान नहीं बना सके हैं. पार्थिव ने अपना पहला अन्तर्राष्ट्रीय मैच 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच खेलकर किया था, जिसके बाद वे 2005 तक तक तो टीम का हिस्सा रहे लेकिन महेंद्रसिंह धोनी के आ जाने के बाद उन्हें भारतीय टेस्ट और वनडे टीम में अगले 12 साल तक वापसी का इंतज़ार करना पड़ा और पिछले साल के आखिर में उन्हें आखिरकार टेस्ट मैच में फिर से खेलने का अवसर मिल गया.

घरेलू सीजन में करते रहे अच्छा प्रदर्शन

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पार्थिव पटेल ने जब अपना पहला अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेला था, तो उस समय वे पूरी टीम में एक छोटे से बच्चे की तरह से लगते थे लेकिन उसके बाद अब तक 15 साल बीत चुके हैं, जिसमे ये छोटा बच्चा अब काफी अनुभवी क्रिकेट खिलाड़ी हो गया हैं. पार्थिव ने अपनी कप्तानी में गुजरात की टीम को रणजी चैम्पियन बनाया हैं, पार्थिव पटेल ने काफी लम्बा वक्त तय किया हैं.

मेरे साथ भी ऐसा ही था

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पार्थिव पटेल ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, कि " जब आप युवा होते हैं तो उस समय आप अधिक बातों की तरफ ध्यान नहीं देते हैं या ये भी कह सकते हैं, कि आप किसी चीज की चिंता नहीं करते हैं. जब मैं 17 साल का था उस समय ही मैंने अपना पहला अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेल लिया था और ये किसी सपने के सच होने से कम नहीं था और उस समय मैंने इस तरफ ध्यान नहीं दिया कि ये मेरे लिए कितना बड़ा अवसर हैं, वो सिर्फ मेरे जीवन का सबसे अच्छा समय था मैं इस बारे में इतना ही कह सकता हूँ. इस समय मेरा गोल सिर्फ अपने खेल को और अधिक सुधारना पर हैं, जहाँ पर मैं और अधिक अच्छा कर सकता हूँ मैं हर दिन एक अच्छा खिलाड़ी बनना चाहता हूँ.

साहा के चोटिल होने पर हुयी थी वापसी

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पार्थिव पटेल का अभी तक का अन्तर्राष्ट्रीय करियर काफी उतार चढाव भरा रहा हैं, जिसमे उन्होंने 2002 में अपना पहला टेस्ट मैच खेल लिया था, जिसके बाद वे 2005 तक टीम का हिस्सा रहे लेकिन इसके बाद उन्हें अपना अगला टेस्ट खेलने के लिए पूरे 15 साल का इंतजार करना पड़ा जिसमे उन्हें धोनी के सन्यास लेने के बाद उनकी जगह टेस्ट में विकेटकीपिंग की भूमिका निभाने वाले साहा के चोटिल हो जाने के बाद टीम में शामिल किया गया और खेलने का मौका मिला. पार्थिव के लिए इस रणजी में गुजरात की टीम की खिताब दिलवाना और आईपीएल में तीसरी बार मुंबई इंडियंस की टीम का जीतना पार्थिव के करियर के लिए एक रोलर कास्टर साबित हुआ.

आप के भी कुछ सपने होते हैं

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एक क्रिकेट खिलाड़ी होने के नाते आपके भी कुछ सपने होते हैं, "मैंने पिछले एक साल के अंदर टेस्ट टीम में वापसी भी की इसके बाद मैंने अपनी टीम को रणजी में खिताब भी जितवाया और आईपीएल का खिताब जीतने वाली टीम का भी मैं हिस्सा रहा जो कि मेरे लिए काफी संतोषजनक हैं. पार्थिव ने अपनी विकेटकीपिंग के बारे में बताते हुए कहा कि मैंने उसमे टेकनिक के लिहाज से अधिक बदलाव नहीं किये हैं. मैंने सिर्फ अपने अभ्यास करने के तरीके में बदलाव किया हैं और मैंने बल्लेबाजी पर भी उतना ध्यान देना शुरू किया हैं जीतना विकेटकीपिंग पर देता था."

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