World Cup 2023: क्रिकेट के प्रति दीवानगी दिनों दिन बढ़ती जा रही है। खासकर एशिया में क्रिकेट को लेकर एक अलग ही दीवानगी है. युवा क्रिकेटरों का एक सपना होता है। कि उसे अपने देश के लिए क्रिकेट खेलना है । लेकिन कई बार उन्हें अपनी राष्ट्रीय टीम में मौका नहीं मिल पाता है. ऐसे में कई युवा क्रिकेटर टीम में जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, वहीं कुछ युवा खिलाड़ी ज्यादा मौकों की तलाश में देश छोड़कर दूसरे देशों से क्रिकेट खेलना शुरू कर देते हैं। आप इसका उदाहरण उन्मुक्त चंद के रूप में देख सकते हैं। बता दें कि उन्मुक्त चंद ने भारत छोड़ अमेरिका के लिए क्रिकेट पसंद किया। इस कड़ी में पाकिस्तान के पास भी उन्मुक्त चंद (Unmukt Chand) जैसा खिलाड़ी है। खास बात यह है कि इस खिलाड़ी ने हाल ही में वनडे क्रिकेट में सबसे तेज शतक लगाया है।
सिकंदर रजा ने World Cup 2023 क्वालिफायर में शतक लगाया था
दरअसल हम यहां जिस खिलाड़ी की बात कर रहे हैं वह कोई और नहीं बल्कि सिकंदर रजा हैं। मालूम हो कि वर्ल्ड कप 2023 (World Cup 2023) क्वालीफायर मैच में जिम्बाब्वे और नीदरलैंड के बीच मैच खेला गया था. इस मैच में जिम्बाब्वे ने नीदरलैंड्स को 6 विकेट से हरा दिया। जिम्बाब्वे की इस जीत में सिकंदर रजा का बहुत अहम योगदान था. जिम्बाब्वे की इस जीत के हीरो रहे सिकंदर रजा ने पहले गेंदबाजी से कहर बरपाया और चार अहम विकेट अपने खाते में जोड़े. इसके बाद उन्होंने जिम्बाब्वे के वनडे इतिहास में सबसे तेज शतक लगाने का रिकॉर्ड बनाया।
सिकंदर रजा ने सिर्फ 54 गेंदों में शतक जड़ा
सिकंदर रजा ने नीदरलैंड के खिलाफ वर्ल्ड कप 2023 (World Cup 2023) क्वालीफायर में सिर्फ 54 गेंदों में शतक जड़ा था. इस शतक के साथ ही वह जिम्बाब्वे के लिए सबसे तेज शतक लगाने वाले खिलाड़ी बन गए। इस दौरान उन्होंने 102 रन की पारी खेली। इस दौरान उन्होंने 6 चौके और 8 छक्के लगाए। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 188 का रहा था। इस मैच में सिकंदर रजा की बदौलत जिम्बाब्वे ने वर्ल्ड कप क्वालीफायर में अपनी दूसरी जीत दर्ज की। रज़ा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में से एक हैं। वह जिम्बाब्वे के लिए सभी प्रारूपों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी रहे हैं।
सिकंदर रजा पाकिस्तान का रहने वाला है
मालूम हो कि सिकंदर रजा का जन्म साल 1986 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। वह पायलट बनना चाहता था। लेकिन वह इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर सके। साल 2002 में वे अपने परिवार के साथ जिम्बाब्वे गए। वह बचपन से ही क्रिकेट खेलने में माहिर थे। धीरे-धीरे वे बड़े हुए और जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम में उनका चयन हो गया।
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