W,W,W,W,W….. बल्लेबाजी या मजाक! 43 ओवर तक टिके, फिर भी बनाए सिर्फ 12 रन

Published - 24 Oct 2025, 02:50 PM | Updated - 24 Oct 2025, 02:55 PM

Oxford University

क्रिकेट की दुनिया में कई बार ऐसे नज़ारे देखने को मिले हैं, जब किसी टीम की बल्लेबाज़ी पूरी तरह ध्वस्त हो जाती है। लेकिन एक ऐसा मैच भी हुआ, जिसमें खिलाड़ियों ने विकेट पर जमने की कोशिश तो की, मगर रन बनाने की नहीं।

स्कोरबोर्ड पर लगातार विकेट का कॉलम चमकता रहा, और आखिरकार 43 ओवर तक संघर्ष करने के बाद पूरी टीम सिर्फ 12 रन पर सिमट गई। यह न सिर्फ क्रिकेट इतिहास का सबसे कम स्कोर बना, बल्कि इस बात का भी सबूत कि टिके रहना और रन बनाना दो बिल्कुल अलग चीज़ें हैं।

पहली पारी में गिरते विकेट और 12 रनों पर सिमटी टीम

यह मुकाबला ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) और मैरिलेबोन क्रिकेट क्लब (M.C.C.) के बीच 24 मई 1877 को ऑक्सफोर्ड के मैदान पर खेला गया था। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) ने टॉस जीतने के बाद बल्लेबाज़ी का फैसला किया, लेकिन यह निर्णय टीम के लिए बुरा सपना साबित हुआ।

टीम की शुरुआत इतनी खराब थी कि पहले विकेट के रूप में हेनरी टायलकोट बिना खाता खोले आउट हो गए। उसके बाद ताश के पत्तों की तरह विकेट गिरने का सिलसिला चालू हुआ।

हेर्बर्ट वेब्बे, एडवर्ड हर्स्ट, हॉवर्ड फाउलर, एलेक्ज़ेंडर पियरसन, हॉरनर, सेवरी, सभी बल्लेबाज़ एक-एक कर पवेलियन लौटते गए। टीम का स्कोर 8 रन पर 6 विकेट था और आखिर में पूरी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) टीम 12 रन पर सिमट गई।

सबसे ज्यादा रन एडवर्ड वॉलिंगटन (7 रन) ने बनाए, जबकि बाकी खिलाड़ी या तो खाता नहीं खोल पाए या 1-2 रन जोड़कर आउट हो गए। गेंदबाज़ी में फ्रेड मॉर्ले का कहर देखने लायक था। उन्होंने 22 ओवर में 7 विकेट झटके, जबकि साथी गेंदबाज़ आर्नोल्ड रायलॉट ने 2 विकेट लिए।

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जवाब में धमाकेदार प्रदर्शन और ठोस बढ़त

जब विपक्ष की टीम ने गेंद थामी तो दिखा कि बल्लेबाज़ी किसे कहते हैं। सामने वाले गेंदबाज़ों के लिए रन रोकना मुश्किल हो गया। शुरुआती विकेट जल्दी जरूर गिरे, लेकिन मध्यमक्रम के बल्लेबाज़ों ने संयम और सटीक शॉट्स से स्कोर को आगे बढ़ाया।

फ्रेडरिक वाइल्ड ने 36 रन बनाए और मंकी हॉर्नबी ने 30 रन जोड़कर स्कोर को 100 पार पहुंचा दिया। अंततः पूरी टीम 124 रन पर सिमटी, जो उस समय के हिसाब से बहुत बड़ा स्कोर था। विपक्ष की गेंदबाज़ी में मेहनत तो थी, पर विकेट नहीं मिल रहे थे। बल्लेबाज़ी और तकनीक में जो अंतर दिखा, उसने मैच की दिशा पहले ही तय कर दी थी।

दूसरी पारी में Oxford University का फिर वही नज़ारा , 35 रन पर ढेर हुई पूरी टीम

दूसरी पारी में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) से उम्मीद थी कि अब शायद बल्लेबाज़ी में सुधार दिखेगा, लेकिन इतिहास खुद को दोहराने वाला था।

शुरुआती विकेट ऐसे गिरे कि स्कोरबोर्ड पर रन बढ़ने के बजाय ‘W’ की लड़ी बढ़ती गई। पहले दस ओवर में ही आधी टीम पवेलियन लौट चुकी थी। किसी ने 6 रन बनाए, किसी ने 4, और कुछ फिर से शून्य पर आउट हो गए।

फ्रेड मॉर्ले ने एक बार फिर कमाल करते हुए सिर्फ 11 ओवर में 6 विकेट झटके। उनके सामने बल्लेबाज़ों की तकनीक, आत्मविश्वास और धैर्य तीनों ने जवाब दे दिया।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) टीम मात्र 35 रन पर ढेर हो गई। अंत में मैरिलेबोन क्रिकेट क्लब (M.C.C.) ने इस मुक़ाबले को एक पारी और 77 रनों से अपने नाम कर लिया।

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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की टीम 24 मई 1877 को M.C.C. के खिलाफ 43 ओवर तक खेलकर सिर्फ 12 रन पर ऑलआउट हो गई थी।

इस मुकाबले में गेंदबाज़ फ्रेड मॉर्ले (Fred Morley) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 6 विकेट झटके और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की बल्लेबाज़ी को ध्वस्त कर दिया था।