W,W,W,W,W,W...... टीम ने खेल लिए पूरे 43 ओवर, बनाए सिर्फ 12 रन, जानें कहाँ हुआ ये शर्मनाक मैच

Published - 31 Oct 2025, 03:51 PM

Oxford University

क्रिकेट के इतिहास में कई ऐसे पल आए हैं जब किसी टीम की बल्लेबाज़ी पूरी तरह ध्वस्त हो गई। लेकिन एक ऐसा मैच भी हुआ, जिसने इस खेल के इतिहास में अपना नाम बेहद अलग और शर्मनाक तरीके से दर्ज कराया।

यह वह मुकाबला था जिसमें बल्लेबाज़ों ने विकेट पर टिकने की कोशिश तो की, लेकिन रन बनाने की नहीं। नतीजा यह हुआ कि पूरी टीम ने 43 ओवर तक संघर्ष किया, फिर भी सिर्फ 12 रन ही बना सकी।

पहली पारी में शर्मनाक पतन, 12 रन पर सिमटी पूरी टीम

यह मैच 24 मई 1877 को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) और मैरिलेबोन क्रिकेट क्लब (M.C.C.) के बीच खेला गया था, और आज तक इसे क्रिकेट की सबसे चौंकाने वाली घटनाओं में गिना जाता है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया, लेकिन यह निर्णय उनके लिए विनाशकारी साबित हुआ। पारी की शुरुआत से ही टीम पूरी तरह दबाव में दिखी। ओपनर हेनरी टायलकोट बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए, और उनके बाद बाकी बल्लेबाज़ों ने भी कोई खास योगदान नहीं दिया।

43 ओवर तक चली यह पारी 12 रनों पर सिमट गई। एडवर्ड वॉलिंगटन ने टीम के लिए सर्वाधिक 7 रन बनाए, जबकि बाकी बल्लेबाज़ या तो शून्य पर आउट हुए या 1-2 रन ही जोड़ पाए।

Oxford University

फ्रेड मॉर्ले की घातक गेंदबाज़ी ने मचाई तबाही

इस मैच में गेंदबाज़ फ्रेड मॉर्ले ने ऐसा प्रदर्शन किया जिसने इतिहास में उनकी पहचान अमर कर दी। उन्होंने 22 ओवर में सिर्फ 7 विकेट ही नहीं झटके, बल्कि बल्लेबाज़ों के आत्मविश्वास को भी चकनाचूर कर दिया।

उनकी सटीक लाइन और स्विंग के सामने ऑक्सफोर्ड के खिलाड़ी पूरी तरह असहाय नज़र आए। गेंद हवा में लहराती और ऑफ स्टंप को उड़ा ले जाती थी। मॉर्ले के साथ आर्नोल्ड रायलॉट ने भी प्रभावी गेंदबाज़ी की और 2 विकेट हासिल किए। दोनों गेंदबाज़ों की जोड़ी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की बल्लेबाज़ी को टिकने नहीं दिया।

एम.सी.सी. की बल्लेबाज़ी: संयम, तकनीक और ठोस बढ़त

जब बल्लेबाज़ी की बारी मैरिलेबोन क्रिकेट क्लब की आई, तो उन्होंने दिखा दिया कि विकेट पर टिके रहना और रन बनाना कैसे किया जाता है। शुरुआती विकेट जल्दी गिरने के बावजूद, फ्रेडरिक वाइल्ड और मंकी हॉर्नबी ने शानदार साझेदारी कर टीम को मज़बूती दी।

वाइल्ड ने 36 रन और हॉर्नबी ने 30 रन बनाए, जिससे टीम का स्कोर 124 तक पहुंच गया। उस समय की पिच और हालात को देखते हुए यह एक बड़ा स्कोर था। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) के गेंदबाज़ों ने मेहनत जरूर की, लेकिन एम.सी.सी. के बल्लेबाज़ों की तकनीक और धैर्य के आगे वे पूरी तरह नाकाम रहे।

35 रन पर ढेर हुई Oxford University

पहली पारी में हार का सामना करने के बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) से उम्मीद थी कि दूसरी पारी में कुछ सुधार दिखेगा, लेकिन कहानी पहले जैसी ही रही। शुरुआती ओवरों में ही विकेट गिरने लगे और कोई भी बल्लेबाज़ टिककर नहीं खेल पाया।

फ्रेड मॉर्ले ने एक बार फिर अपनी गेंदबाज़ी से कहर ढाया। उन्होंने सिर्फ 11 ओवर में 6 विकेट झटके और विपक्षी बल्लेबाज़ों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। किसी बल्लेबाज़ ने 6 रन से ज़्यादा नहीं बनाए। अंततः पूरी टीम 35 रन पर सिमट गई, और मैच मैरिलेबोन क्रिकेट क्लब ने एक पारी और 77 रनों से जीत लिया।

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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की टीम 24 मई 1877 को M.C.C. के खिलाफ 43 ओवर तक खेलकर सिर्फ 12 रन पर ऑलआउट हो गई थी।

इस मुकाबले में गेंदबाज़ फ्रेड मॉर्ले (Fred Morley) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 6 विकेट झटके और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की बल्लेबाज़ी को ध्वस्त कर दिया था।