भारतीय टीम के पूर्व विस्फोटक सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) अक्सर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। दिल्ली का होने की वजह से वह अपने बेबाक बयान को लेकर सुर्खियों में बने रहते है। वह अपने धाकड़ बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया है।
इस दौरान सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में 2 ट्रिपल सेंचुरी और 6 बार दोहरा शतक ठोका है। वहीं वनडे में उनके नाम एक दोहरा शतक भी शामिल है। जो वेस्टइंडीज के खिलाफ आया था। वीरू पाजी की तुलना अक्सर टीम इंडिया के कई खिलाड़ियों के साथ की जाती है। लेकिन, सहवाग (Virender Sehwag) का मानना है उनके जैसा कोई नहीं है। आईए जानते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा।
मेरे जैसा कोई और नहीं- Virender Sehwag
वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) अपने स्टाइलिश शॉट के लिए जाने जाते थे। वह टेस्ट, वनडे या टी20 किसी भी फॉर्मेट में पारी की शुरूआत चौके के साथ करने के लिए काफी ज्यादा मशहूर थे। उनकी तुलना भी भारतीय टीम के कई युवा खिलाड़ियों के साथ की जाती है। इसी बीच उन्होंने एक बेबाक बयान देकर तुलनाओं के दौर को रोकने की कोशिश की है और एक बड़ा बयान देकर खिलाड़ियों की पोल भी खोल दी है। सहवाग ने न्यूज 18 इंडिया चौपाल पर बातचीत करते हुए कहा कि,
"मुझे नहीं लगता कि टीम इंडिया में मेरी तरह बैटिंग करने वाला कोई प्लेयर है। मेरे दिमाग में दो खिलाड़ी हैं, जो थोड़ा इसके नजदीक हैं, वो पृथ्वी शॉ और ऋषभ पंत हैं। मैं टेस्ट क्रिकेट में जिस तरह की बैटिंग करता था, उसके हिसाब से मुझे लगता है कि ऋषभ पंत थोड़ा ज्यादा नजदीक हैं।
हालांकि, पंत 90-100 से संतुष्ट है लेकिन मैं 200, 250 और 300 बनाता था और तब जाकर संतुष्ट होता था। अगर वह अपने खेल को उस स्तर तक ले जाता है तो मुझे लगता है कि वह फैंस को और भी एंटरटेन कर सकता है।''
एक ही माइंडसेट से खेलता था मैं- Virender Sehwag
गौरतलब है कि वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) 1 रन के स्कोर पर हो या 90 के स्कोर पर हो उनका माइंडसेट एक ही जैसा रहता था। वह शतक को सिंगल-डबल नहीं बल्कि चौके -छक्के से पूरा किया करते थे। उन्होंने अपने करियर का पहला तिहरा 2004 में पाकिस्तान के खिलाफ लगाई थी और एक बार वह श्रीलंका के खिलाफ 293 रन के स्कोर पर आउट हो गए थे। वह अपने तिहरे शतक से केवल 7 रन ही दूर रह गए थे।
''मैं शुरुआत में टेनिस बॉल क्रिकेट खेलता था, जिसमें मेरा माइंडसेट बाउंड्री के जरिए ज्यादा रन बटोरना होता था। मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी इसी टेम्पलेट के साथ खेला। मैं गिनता था कि मुझे शतक बनाने के लिए कितनी बाउंड्री की जरूरत है।
अगर मैं 90 पर हूं और 100 तक पहुंचने के लिए 10 गेंद खेलता हूं तो विपक्षी टीम के पास मुझे आउट करने के लिए 10 गेंदें होंगी। यही वजह थी कि मैं बाउंड्री मारने की फिराक में रहता था ताकि मुझे सैकड़ा कंप्लीट करने से रोकने के लिए विपक्षी टीम को केवल दो गेंद मिलें।''
बता दें कि सहवाग (Virender Sehwag) ने टेस्ट, वनडे और टी20 में क्रमश 104,251 और 19 टी20 मुकाबले खेले है। वहीं उनके नाम इंटरनेशनल क्रिकेट में कुल 38 शतक और 70 अर्धशतक शामिल है।
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