भारतीय जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा (Neeraj chopra) ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में इतिहास रच दिया है. उन्होंने फाइनल में भी वही कर दिखाया जिसकी उम्मीद पूरे भारत देश को थी. उन्होंने अपने देश को एथलिट में पहली बार गोल्ड मेडल दिलाया है. उन्होंने 87.58 की सर्वश्रेष्ठ दूरी तय करते हुए इस सोने को हासिल किया है. क्वालिफिकेशन राउंड में भी वो अपने ग्रुप में टॉप पर रहे थे.
एथलेटिक्स में भारत को मिला पहला गोल्ड मेडल
जैवलिन थ्रो के फाइनल में वो शुरुआत से ही सबसे आगे रहे. उन्होंने अपनी पहली ही कोशिश में 87.03 मीटर की दूरी तय की थी. इसके बाद दूसरी बार में उन्होंने 87.58 मीटर की दूरी तय की. इसी के साथ उन्होंने अपने क्वालिफिकेशन रिकॉर्ड से भी ज्यादा दूर भाला फेंका है. जैवलिन थ्रो में ये भारत का अब तक का सबसे पहला मेडल है. इतना ही नहीं एथलेटिक्स में भी यह भारत का पहला ही मेडल है.
इतना ही नहीं 121 साल के लंबे इंतजार के बाद भारत को एथलेटिक्स में पहला गोल्ड मेडल हासिल हुआ है. उनके इस प्रदर्शन से जाहिर सी बात है कि, युवाओं की भी रुचि बढ़ेगी. यह भारत की सबसे बड़ी जीत है. खास बात तो यह है कि, नीरज चोपड़ा (Neeraj chopra) ने यह जीत ऐसे वक्त पर हासिल की है, जब देश गोल्ड की उम्मीद खो चुका था. लेकिन, उन्होंने अपने देश का तिरंगा ऊंचा दुनिया के 151 देशों के आगे ऊंचा किया है. यह बड़ी है कि भारत के लिए किसी भी वर्ल्ड कप से बड़ा गोल्ड मेडल है.
इस वजह से भारत के लिए वर्ल्ड से भी ज्यादा मायने रखता है गोल्ड मेडल
ओलंपिक के एथलेटिक्स में भारत की ओर से किसी प्रतिभागी ने इस तरह का कारनामा कर दिखाया है. जिसमें दूर-दूर तक देश के मेडल जीतने की ही उम्मीद नहीं थी. लेकिन, कई सारी चीजों के अभाव के बाद भी नीरज चोपड़ा ने देश का सिर गर्व से ऊपर कर दिया है. वहीं बात करें वर्ल्ड कप की तो इसमें ज्यादा से ज्यादा 12 से 15 देश हिस्सा लेते हैं और हर टीम के पास बेहतर से बेहतर खिलाड़ी होते हैं. जिनके दम पर वो इस कप को अपने नाम हासिल कर सकते हैं.
यहां तक कि, हर खिलाड़ी को बीसीसीआई की ओर से कोच से लेकर हर तकनीकि सुविधा दी जाती है. जिसके जरिए वो अपने परफॉर्मेंस पर काम कर सकें. और तो और क्रिकेटर्स को बाकी की भी सुविधाएं दी जाती है. जबकि एथलेटिक्स के साथ ऐसा नहीं हो पाता है. ज्यादा वक्त तक वो बिना कोच के ही खेलते हैं. क्रिकेटर्स के मुताबिक उन्हें हर तरह की सुविधाएं नहीं दी जाती हैं. नीरज चोपड़ा (Neeraj chopra) के केस में भी कुछ ऐसी समस्याएं रही हैं. उनके पास ज्यादा सुविधाएं नहीं थी. लेकिन, इसके बाद भी उन्होंने खुद को साबित किया.
सुविधाओं के अभाव के बाद भी एथलेटिक्स में भारत को दिलाय गोल्ड
इसके बाद भी उन्होंने दुनिया के 151 देशों के सामने अपने देश का भाला प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व किया और पूरे प्रेशर को हैंडल करते हुए जीत हासिल की है. ज्यादातर समय ओलंपिक में खिलाड़ियों के साथ ऐसा होता है कि, वो प्रेशर को हैंडल नहीं कर पाते हैं. इसलिए सेमीफाइनल या फिर फाइनल में पहुंचने के बाद भी गोल्ड मेडल से चूक जाते हैं. लेकिन, नीरज चोपड़ा (Neeraj chopra) ने हर स्तर पर खुद को साबित किया और यदी वजह है कि, उनका गोल्ड मेडल किसी वर्ल्ड से भी ज्यादा मायने रखता है.