IPL टूर्नामेंट में कई खिलाड़ी ऐसे होते हैं, जो अपने प्रदर्शन से लोगों का ध्यान चंद मिनटों में खींच लेते हैं. इन खिलाड़ियों की निजी जिंदगी को खंगाला जाए तो कई दिलचस्प बातें निकलकर सामने आती हैं. जिसके बारे में हर शख्स जानना चाहता है. ऐसी ही कुछ रोचक कहानी हाल ही में दिल्ली कैपिटल्स (DC) की तरफ से डेब्यू करने वाली खिलाड़ी ललित यादव (lalit yadav) की है. जिन्होंने राजस्थान के खिलाफ पहला मैच खेला था.
राजस्थान के खिलाफ इस मुकाबले में ललित ने 20 रन की पारी खेली थी. इसके बाद रविवार को पंजाब किंग्स के खिलाफ आखिर में आकर उन्होंने 6 गेंदों पर 12 रन बना लिए थे. उनकी ये पारी भले ही छोटी रही. लेकिन फैंस की नजरों में ललित आ चुके हैं. हाल ही में एक निजी चैनल ने खिलाड़ी के बारे में उनके पिता और कोच से अब तक के सफर के बारे में बात की. जिस पर उन्होंने ऑलराउंडर खिलाड़ी को लेकर कई राज से पर्दा भी उठाया.
खिड़की का कांच टूटने पर ललित को पिता ने भेजा था समर कैंप
दिल्ली में बसे नजफगढ़ के खैरा गांव के स्थानीय निवासी ललित यादव (lalit yadav) के पिता जिले सिंह यादव एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर के पद पर काम करते हैं. उन्होंने अपने बेटे के करियर के बारे में बताया कि, वो भी इसी गांव में कभी क्रिकेट खेला करते थे. लेकिन गली- मोहल्ले के क्रिकेट तक ही वो सीमित रह गए. उनके घर उस दौर में हमेशा बैट और बॉल रहता थी.
6 साल की उम्र में एक दिन ललित अपने बड़े भाई तरूण के साथ घर के बाहर ही क्रिकेट खेलने गया था. उसने ऐसा शॉट मारा कि वो गेंद सीधे घर की खिड़की पर जा लगी और कांच टूट कर बिखर गया. इस वाक्या को देखने के बाद उन्होंने घर के पास ही बने एक समर कैंप में ललित और तरूण को भेज दिया. एक तरफ जहां बड़े भाई का क्रिकेट में मन नहीं लग रहा था. तो वहीं ललित हर रोज ट्रेनिंग करने लगा था.
विकेटकीपर के तौर पर ललित ने की थी खेल की शुरूआत
आगे बात करते हुए उन्होंने बताया कि, ललित यादव (lalit yadav) दो साल तक घर के पास ही बने समर कैंप में क्रिकेट से जुड़ी ट्रेनिंग करता रहा इसके बाद वो नजफगढ़ में स्पोर्टिंग क्रिकेट क्लब के कोच अमित वशिष्ठ के पास जाकर इसके बारे में और टिप्स लेने लगा. जिले सिंह ने बेटे के बारे में कुछ अनसुनी बातों के बारे में खुलासा करते हुए बताया कि, वो शुरूआत में विकेटकीपर बल्लेबाज था.
उस दौरान वो दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रद्धानंद कॉलेज क्रिकेट टीम में भी पार्ट टाइम विकेटकीपिंग के तौर पर इंटर कॉलेज प्रतियोगिता में खेल चुका है. लेकिन, जब वो नजफगढ़ में स्पोर्टिंग क्रिकेट क्लब में गया तो, वहां पर कोच अमित वशिष्ठ ने उसे गेंदबाजी पर भी फोकस करने की सलाह दी और उसी के बाद से ललित ने टीम में एक ऑलराउंडर के तौर पर खुद को तराशना शुरू किया.
इस तरह विकेटकीपर बल्लेबाज से ललित बने थे गेंदबाज
इस बारे में खुलासा करते हुए अमित वशिष्ठ ने आगे बातों को जारी रखते हुए बताया कि, ललित साल 2007 से ही उनके पास ट्रेनिंग के लिए आता रहा है. शुरूआती दिनों में जब वो मेरे पास आते थे तो विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी करते थे. लेकिन, वक्त मिलने के बाद नेट्स पर स्पिन गेंदबाजी भी करते थे. इसी दौरान की बाद है कि एक बार अंतर स्कूल टूर्नामेंट का आयोजन था और उसमें रेगुलर गेंदबाज नहीं आया था.
इस दौरान विकेटकीपिंग के साथ ही ललित ने ही गेंदबाजी का भी जिम्मा संभाला था. इस मैच में उन्होंने गेंदबाजी करते हुए विकेट भी चटकाए. जिसे देखते हुए उन्होंने ललित को हर रोज नेट्स पर गेंदबाजी की प्रैक्टिस करने की भी सलाह दी. धीरे-धीरे टीम में वो एक अहम गेंदबाज के तौर पर उभरे और एक विकेटकीपर बल्लेबाज से बैटिंग ऑलराउंडर की लिस्ट में शामिल हो गए.
टी-20 जैसे मैच में दो बार 6 गेंदों पर ललित जड़ चुके हैं 6 छक्के
ललित यादव (lalit yadav) के पिता जिले सिंह ने इसी सिलसिले में बताया कि श्रद्धानंद कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद स्पोर्ट्स कोटे से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में उनकी (ललति) नौकरी लग चुकी है. वह अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और दिल्ली से खेल रहे हैं. इसी दौरान इंटरव्यू में ललित के कोच अमित वशिष्ट ने यह भी खुलासा किया कि, नजफगढ़ स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में खेले गए 2 टी-20 मैच में उनके बल्ले से दो बार 6 गेंदों पर 6 गगनचुंबी छक्के लग चुके हैं.
जिसके दम पर उनकी टीम स्पोर्टिंग क्लब ने 210 रन का स्कोर खड़ा किया था. इस दौरान ललित ने 46 गेंद में 130 रन की धुंधार पारी खेली थी. जबकि अंडर-14 के 40 ओवर के एक मैच में ललित यादव दोहरा शतक जडने का भी कारनामा कर चुके हैं.