250 रुपए के लिए भट्टे पर खून जलाने वाले खिलाड़ी की चमकी किस्मत, सीधा रणजी ट्रॉफी में मिली जगह

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Shivam Rajvanshi
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Kuldeep Kumar Cricketer Ranji Trophy 2022

Kuldeep Kumar: जिंदगी में सफलता का मतलब भी उसी को पता होता है जिसमें उसके लिए कड़ा संघर्ष किया हो. कहते है ना की पूरी शिद्दत से जिस चीज को चाहों तो पूरी कायनात उसको आपसे मिलाने की कोशिश करती है. ऐसी ही कुछ कहानी है उत्तर प्रदेश के युवा क्रिकेट खिलाड़ी कुलदीप कुमार (Kuldeep Kumar) की. 250 की दिहाड़ी पर मजदूरी करने वाले कुलदीप अब रणजी में खेलते हुए दिखाई देंगे. बुमराह को अपना हीरो मानने वाले कुलदीप के बारे में आइये जानते है कुछ अनसुने किस्से.

कोरोना में खो दिया पिता का साया

साल 2020 में पूरी दुनिया में कोरोना महामारी के चलते कई लोगो ने अपनी प्रियजनों को खो दिया और कुलदीप (Kuldeep Kumar) भी उन्ही में से एक रहे. गरीबी की वजह से वो अपने पिता को कोरोना से बचा नहीं सके. नम आखों से अपने पिता के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा,

"मैं (Kuldeep Kumar) ईंटें सेंकता था और उन्हें एक हाथ से खींचने वाली गाड़ी में ले जाता था. मैं बचपन से मजदूरी का काम करता हूं. हमारे परिवार की आय घर का खर्चा चलाने के लिए पर्याप्त नहीं थी. क्रिकेटर बनने के मेरे सपने की तो बात ही छोड़िए, पर्याप्त संसाधनों के अभाव में मैं अपने पिता को नहीं बचा सका. वह पहले से ही एक कैंसर रोगी थे और महामारी की पहली लहर के दौरान कोरोनो वायरस संक्रमण के कारण उनकी मृत्यु हो गई."

पहले मजदूरी और फिर क्रिकेट का अभ्यास

मजदूरी के बावजूद बेहतरीन गेंदबाजी के लिए अभ्यास का समय निकालने की बात पर भी उन्हें जवाब देते हुए कहा,

"मेरा बड़ा भाई भी मजदूर है, जबकि मेरा छोटा भाई एक स्कूल में पढ़ता है. मुझे क्रिकेट में गहरी दिलचस्पी थी, लेकिन यह नहीं पता था कि शुरुआत कैसे करनी है. मैं दिन में ईंट भट्ठे पर काम करता था और शाम को अपने गांव के पास मैपल अकादमी के एक प्रशिक्षण केंद्र में अभ्यास करता था. कुछ दिन पहले ही मेरी मेहनत रंग लाई और मेरा रणजी टीम में मेरे चयन हुआ. मैं वास्तव में उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) का शुक्रगुजार हूं."

150 किमी/घंटा की गति से करना चाहता हूँ गेंदबाज़ी

Kuldeep Kumar ने कहा-

"मैंने सुना था कि केवल अमीर और साधन संपन्न लोगों का ही चयन होता है, लेकिन मुझे अपनी प्रतिभा के दम पर तीसरे प्रयास में जगह मिली है. युवा पेसर ने कहा, '130-135 किमी/घंटा की रफ्तार से गेंदबाजी कर रहा हूं. 150 किमी/घंटा की गति को छूना चाहता हूं."

वह जसप्रीत बुमराह को अपन हीरो मानते हैं. उन्होंने कहा,

"जसप्रीत बुमराह मेरे प्रेरणा स्रोत हैं. उन्हें खेलते हुए देखकर मेरा क्रिकेट के प्रति जुनून और बढ़ गया. वह मेरे पसंदीदा खिलाड़ी हैं.

कोच को दिया अपनी सफलता का श्रेय

क्रिकेट की कोचिंग के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. लेकिन अगर आपकी मेहनत में कमी ना हो तो भगवान कोई न कोई रास्ता दिखा ही देता है. उन्होंने बताया कि उनका खर्च उनके कोच सनी सिंह ने वहन किया. Kuldeep Kumar कहा,

"मैंने 2018 में अपने गांव के पास मेपल्स अकादमी में खेलना शुरू किया. मेरा प्रशिक्षण मुफ्त था और मेरा सारा खर्च मेरे कोच सनी सिंह ने वहन किया.

उन्होंने आगे कहा-

"मैं जहां भी मैच खेलने जाता हूं, वह सारा खर्च उठाते हैं. जब मेरा रणजी के लिए चयन हुआ तो मेरे पास शामली से कानपुर पहुंचने के लिए भी पैसे नहीं थे. मेरे कोच ने फिर मेरी मदद की. शामली क्रिकेट संघ के समन्वयक विकास कुमार ने भी मेरी काफी मदद की. वह मुझे रणजी खेलने के टिप्स देते हैं."

Ranji trophy