Sonam Yadav: विमेंस प्रीमियर लीग (WPL 2023) का पहला सीजन शुरू होने में 24 घंटों से कम का समय बचा है. पहला मुकाबला कल यानि 4 मार्च को मुंबई इंडियंस और गुजरात टाइटंस के बीच खेला जाएगा. फैंस इस मैच का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. वहीं 15 साल की उम्र में महिला अंडर 19 टीम के लिए खेलते हुए भारत को चैंपियन बनाने वाली खिलाड़ी WPL के पहले मैच MI की तरफ से खेलती हुई नजर आ सकती है. इस युवा खिलाड़ी यहां तक पहुंचने के लिए काफी कड़ा संघर्ष किया है. चलिए जानते हैं उस महिला खिलाड़ी के बार में जो विमेंस प्रीमियर लीग में अपनी चमक बिखेरने के लिए तैयार है.
MI की तरफ से WPL 2023 में धमाल मचाएगी 15 साल की Sonam Yadav
क्रिकेट की दुनिया में करियर तो हर कोई बनाना चाहता हैं. लेकिन अपने सपनों को चंद खिलाड़ी ही पूरे कर पाते हैं. वहीं इस लिस्ट में एक नाम और 15 साल की सोनव यादव (Sonam Yadav) जोड़ लीजिए. जिसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी अपनी घर की आर्थिक तंगी को आड़े नहीं आने दिया.
महिला अंडर 19 टीम को चैंपियन बाने सोनम ने अहम जिम्मेदारी निभाई थी. जिसकी वजह से नीलामी में नीता अंबानी ने इस खिलाड़ी पर 10 लाख की बोली लगाते हुए अपनी टीम मुंबई इंडियंस में शामिल कर लिया. सोनम प्रतिभाशाली ऑलराउंडर है. जो बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी कराने की भी हुनर रखती है. अगर उन्हें 4 मार्च को गुजरात के खिलाफ खेले जाने वाले मुकाबले में शामिल किया जाता है तो वह WPL 2023 में यूपी की यह बेटी कमाल दिखा सकती है.
पिता ने बेटी का सपना पूरा करने के लिए फैक्ट्री में की मजदूरी
हर किसी पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे उनका और देश का नाम रौशन करें. लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी बन जाती है कि बच्चों के सपनो को पूरा करने के लिए पिता अपने आप को कंडे संघर्ष में झोंक देता है.
ऐसी ही कुछ कहानी सोनव यादव (Sonam Yadav) के पिता कि है. जिन्होंने अपनी मजबूरी और कमजोरी को बेटी के सपनों के आड़े नहीं आने दिया. पिता मुकेश यादव एक ग्लास फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं. उनके पिता दो शिफ्टों में काम करते थे, क्योंकि मजदूरी से मिलने से घर का खर्च मुश्किल से चल पाता है
कभी क्रिकेट खेलने के लिए नहीं होते थे जूते
सोनव यादव (Sonam Yadav) एक ऐसी उबरती महिला खिलाड़ी. जिनका नाम भविष्य में टीम इंडिया के स्टार खिलाड़ियों के साथ जोड़कर देखा जाएगा. क्योंकि उनका क्रिकेट के प्रति समर्पण देखते हुए ऐसा लगता हैं कि उन्हें बुंलदियों पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता है.
बतादें कि 6 भाई बहनों में सबसे छोटी सोनम के के पास कभी क्रिकेट खेलने के लिए जूते नहीं हुआ करते थे.उनके पास प्रैक्टिस करने के लिए जूतों की जरूरत होती थी, लेकिन इतने पैसे नहीं थे कि वह जूते खरीद सकें. इसीलिए उधार मांगे गए जूतो से ही काम चलाना पड़ता था. AFP न्यूज एजेंसी से की गई बातचीत में सोनम ने बताया कहा,
''उनके घर की माली हालत ठीक नहीं थी. 6-7 भाई बहनों की पढ़ाई लिखाई का खर्चा, पापा की कमाई से चलता था. लेकिन पापा की कमाई भी इतनी नहीं थी कि सबकी जिंदगी सही से चल सके. इसके बाद भाई ने मेरे सपनों को पूरा करने के लिए खुद पढ़ाई छोड़ दी.''
खुद सुने Sonam Yadav के संघर्ष की कहानी उन्ही की जुबानी
VIDEO: Cricketer Sonam Yadav could not afford sports shoes when she was younger, but now the 15-year-old is set to play in India's Women's Premier League and says the money will transform life for her family. pic.twitter.com/vRexDqC0IJ
— AFP News Agency (@AFP) March 2, 2023
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