ईंट की भट्टी में काम करने वाले के बेटे ने भारत को जिताया एशिया कप, अब वर्ल्ड कप में बनेगा रोहित का हथियार

Published - 06 May 2024, 05:14 AM

ईंट की भट्टी में काम करने वाले के बेटे ने भारत को जिताया Asia Cup 2023, अब वर्ल्ड कप में बनेगा रोहित...

एशिया कप 2023 (Asia Cup 2023) में भारतीय क्रिकेट टीम दर्जनों सवाल लेकर गई थी और वापसी ट्रॉफी के साथ हो रही है। इस जीत के सबसे बड़े नायक कुलदीप यादव रहे। उन्होंने श्रीलंकाई पिचों पर बल्लेबाजों का टिकना मुश्किल कर दिया, पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने क्रमश: 5 और 4 विकेट लेकर निर्णायक भूमिका अदा करी।

जिसके अकरण उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट भी चुना गया, इस समय हर कोई कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) की जय-जय कार करता हुआ नजर आ रहा है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब इस खिलाड़ी को टीम इंडिया में एंट्री के लिए अपना खून-पसीना एक करना पड़ा।

3 साल पहले टूटा सपना

साल 2019 से पहले कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) और युजवेन्द्र चहल (Yuzvendra Chahal) की जोड़ी का कहर पूरे विश्व में था। इस जोड़ी ने मिडल ओवर में भारत को यापार सफलता दिलाई, लेकिन सेमीफाइनल की हार के बाद मानो 'कुल्चा' बिखर गया। जिसमें से सबसे ज्यादा नुकसान कुलदीप यादव को हुआ।

तत्कालीन कप्तान विराट कोहली की पहली पसंद युजवेन्द्र चहल बन गए। जिसके कारण कुलदीप यादव प्लेइंग एलेवन के लिए तरसते रह गए। खबर थी कि विराट कोहली चहल और यादव को एक साथ खिलाने के पक्ष में कहीं नहीं है। लेकिन एमएस धोनी के चलते उन्हें ऐसा करने पर मजबूर होना पड़ा। वहीं साल 2020 में धोनी के संन्यास लेते ही कुलदीप का भी टीम इंडिया से नाम और निशान मिट सा गया।

वापसी के लिए किया खून-पसीना एक

Kuldeep Yadav

कहते हैं ना वक्त को देने से वक्त बदल जाता है, कुछ ऐसा ही कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) के साथ भी हुआ। आईपीएल 2022 से उन्होंने एक बार फिर अपना जलवा दिखाना शुरू कर दिया। इस सीजन उन्होंने 14 मैचों में 21 विकेट लेकर अपना मूल्य एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया। इतना ही नहीं कुलदीप यादव ने अपनी गेंदबाजी में भी अभूतपूर्व सुधार किए। रनअप में आने की दिशा से लेकर हवा में गेंद को ज्यादा तेज रखने तक उन्होंने खुद को बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ये उन्होंने किसी और से नहीं बल्कि अपने पिता से सीखा है।

Asia Cup 2023 के बाद वर्ल्ड कप पर निगाहें

Kuldeep yadav

दरअसल, कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) के पिता ईंट की भट्टी में काम किया करते थे। एक गरीब परिवार से आए इस खिलाड़ी ने जिंदगी की तमाम मुश्किलों का ईंट की तरह सामना किया और फिर उस पर अपने सपनों की इमारत भी खड़ी कर दी। जिस प्रकार ईंट खुद को जलाकर एक नए आकार में तब्दील करती है ठीक इसी प्रकार कुलदीप यादव ने बीते 3 साल में परिश्रम की भट्टी में खुद को झुलसा कर मिट्टी से सोना बना दिया है। अब करोड़ों भारतीयों की उम्मीद है कि ये सोना आने 3 महीने में और ज्यादा चमकेगा और भारत को चमचमाती वर्ल्ड कप ट्रॉफी दिलवाएगा।

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