वर्तमान समय में क्रिकेट जगत में चौके-छक्के के साथ अपनी टीम को जिताना हर खिलाड़ी के लिए आम हो चुका है. आज इसी सिलसिले में हम कपिल देव (Kapil Dev) के फैसले की बात करेंगे. लेकिन, उससे पहले हम एमएस धोनी (MS Dhoni) फिर ऋषभ पंत (Rishabh Pant), जैसे खिलाड़ियों को देख चुके हैं, जिन्होंने भारत को आखिरी गेंद पर छक्का जड़कर जीत दिलाया है. टी20 क्रिकेट आने के बाद से बल्लेबाजों में लो आक्रामता नजर आने लगी है. लेकिन, पहले का दौर ऐसा नहीं था. जिसका खामियाजा कपिल देव भुगत चुके हैं.
1986 में खेले गए मुकाबले में पाकिस्तान ने छीन ली थी भारत से जीत
दरअसल एक दौर था जब क्रिकेट जगत में कोई एक टीम 250 के आसपास स्कोर बना देती थी तो फिर दूसरी पारी का इंदाजा यहीं से लगा लिया जाता था. भारत और पाकिस्तान (India vs Pakistan) के बीच 18 अप्रैल 1986 को शारजाह में खेला गया त्रिकोणीय सीरीज का फाइनल उस वक्त रोमांचक हो गया था. जब जावेद मियांदाद के एक छक्के ने भारत से जीत हुई पारी को छीन लिया था. दरअसल मेलबर्न में पाकिस्तान को भारत के हाथों वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था.
इसके बाद शारजाह में खेला गया त्रिकोणीय सीरीज का फाइनल पाकिस्तान के लिए सम्मान बचाने का एकमात्र मौका था. जावेद मियांदाद का भी कहना था कि वर्ल्ड चैंपियनशिप में मिली हार के बाद यही एक ऐसा मैच था जिसे जीतकर वह अपने देश में मुंह दिखा सकते थे. लेकिन, भारतीय टीम ने 245 रन का स्कोर खड़ा कर दिया था. 100 ओवर के इस मैच में 98 ओवर तक टीम इंडिया ही लगातार दबाव बनाने में कामयाब रही थी. लेकिन, कपिल देव (Kapil Dev) की एक गलती टीम पर भारी पड़ गई थी.
पाकिस्तान की हार के बाद उनके के कारण बने थे Kapil Dev!
इस मुकाले में भारतीय टीम जीत के करीब नजर आ रही थी. लेकिन, आखिरी के 2 ओवर में गेम पलट गया और पाकिस्तान टीम वापसी करने में कामयाब रही थी. इस मुकाबले में पाकिस्तान टीम के शीर्ष बल्लेबाज मुदस्सर, रमीज राजा, मोहसिन और मलिक 110 रन बनाकर ही पवेलियन लौट चुके थे. मियांदाद को अंदाजा हो गया था कि जीत अब दूर है. 209 रन के स्कोर पर जैसे ही इमरान खान का विकेट गिरा उसके बाद तो हार लगभग तय गई थी.
दैनिक भास्कर के मुताबिक मियांदाद (Javed Miandad) ने ये सोच बना ली थी कि, इज्जत से हारने के बजाय आखिर तक डटे रहेंगे. कादिर ने 34 रन बनाकर उनका साथ दिया. आखिरी ओवर में मियांदाद के साथ दूसरे छोर पर तौसिफ थे. जिससे वो बार-बार यही उम्मीद कर रहे थे कि वो विकेट बचाए रखें. क्योंकि मियांदाद शतक जड़ चुके थे.
आखिरी गेंद बड़ा शॉट खेलकर टीम को जिताने में कामयाब रहे थे मियांदाद
इस मुकाबले में आखिरी के ओवर में पाकिस्तान को जीत के लिए 12 रन चाहिए थे और हाथ में सिर्फ एक विकेट बचा था. पाकिस्तान ने 5 गेंदों पर 8 रन तो बना लिए थे. किस्मत से आखिरी गेंद पर स्ट्राइक मियांदाद के पास थी. आखिरी गेंद फुल टॉस थी और उस गेंद पर मियांदाद ने आगे बढ़कर अजीब स्टाइल में खड़े हो गए और गेंद को बाउंड्री के पार पहुंचा दिया. इस बारे में मियांदाद का कहना है कि, अंतिम ओवर कपिल देव (Kapil Dev) से न करवाकर भारत ने उनके लिए जीत की उम्मीद जगा दी थी.