7 टीमें, 47 मैच और 105 खिलाड़ी... यूपी के इस शहर में IPL की तरह खेली जा रही है जेल प्रीमियर लीग, कैदी लगा रहे हैं चौके-छक्के
Published - 17 Nov 2022, 05:17 PM

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Jail Premier League: क्रिकेट के खुमार हर भारतीय के सिर चढ़ कर बोलत है इसमें तो कोई दो राय नहीं है। तमाम विविधता वाले देश में अगर कोई एक चीज सभी को एक सूत्र में बांधने का काम करती है तो वो क्रिकेट का खेल है। भारत में अलग-अलग प्रकार के क्रिकेट दीवाने देखने को मिल जाते हैं, कुछ ऐसे ही मेरठ की जेल में भी देखने को मिले हैं। अब भला आप सोचेंगे कि जेल में क्रिकेट का क्या काम! लेकिन उत्तरप्रदेश के मेरठ में ऐसा अनोखा नजारा देखने को मिला है। जहां आईपीएल की तर्ज पर ही जेल प्रीमियर लीग (Jail Premier League) का आयोजन किया जाता है।
मेरठ में खेली जा रही है Jail Premier League
मेरठ जिले का जेल इन दिनों बंदी ग्रह से ज्यादा खेल का मैदान नजर आता है। जहां कैदी गेंद और बल्ले के साथ हाथ आजमाते हुए नजर आते हैं। 16 नवम्बर यानि बुधवार से आईपीएल की तर्ज पर ही जेल प्रीमियर लीग का आयोजन शुरू हो चुका है। जेल अधीक्षक राकेश कुमार का कहना है कि जेल प्रीमियर लीग पांच साल से आयोजित हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि मैच बंदियों में खेल भावना पैदा करने और उनके भीतर के अवसाद को खत्म करने के लिए जेल प्रीमियर लीग (Jail Premier League) का आयोजन किया जाता है।
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7 टीमों के बीच खेले जाएंगे कुल 47 मुकाबले
जेल प्रीमियर लीग (Jail Premier League) को सिर्फ मनोरंजन के लिहाज से नहीं बल्कि क्रिकेट प्रतिस्पर्धा के नजरिए से भी देखा जा रहा है। इसलिए लीग में बाकायदा 7 टीमों का गठन किया गया है। हर एक टीम में पंद्रह पंद्रह खिलाड़ी हैं, फाइनल और सेमीफाइनल समेत लीग में कुल 47 मुकाबले खेले जाएंगे। हालांकि इस लीग में जेल का कोई भी स्टाफ या पुलिसकर्मी हिस्सा नहीं ले सकता है। यह मुख्य तौर से सिर्फ बंदियों के लिए रखा गया है। मेरठ ज़ोन के एडीजी राजीव सबरवाल भी बंदियों के इस अनोखे मैच को देखकर हैरानी जताई। साथ ही उन्होंने इस निराले आयोजन की सराहना भी की है।
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क्रिकेट के अलावा इन चीजों का भी हो रहा है आयोजन
गौरतलब है कि क्रिकेट मैच के साथ ही जेल में कवि सम्मेलन, भागवत, सुंदरकांड इत्यादि का आयोजन भी करवाया जाता है। जेल अधीक्षक राकेश कुमार के द्वारा उठाए गए इस कदम की चारों ओर सारहाना की जा रही है। क्योंकि ये सारे आयोजन सिर्फ और सिर्फ कैदियों के सुधार के लिए हो रहे हैं, खेल मनोरंजन और भक्ति का भाव जाहिर तौर पर समाज में परिवर्तन के साथ ही उनके भीतर परिवर्तन ला सकता है।
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