भारत के लिए 31 टेस्ट खेल चुके वसीम जाफर ने 9 फरवरी को उत्तराखंड क्रिकेट टीम के कोद के पद से इस्तीफा दे दिय। जिसके बाद से एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। दिग्गज खिलाड़ी पर साम्प्रदायिक होने का आरोप लगाया गया है। लेकिन अब वसीम जाफर ने खुद सामने आकर इस आरोप को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है और बयान जारी किया है।
क्या है आरोप?
वसीम जाफर को जनवरी 2020 में उत्तराखंड क्रिकेट टीम का कोच नियुक्त किया गया था। लेकिन अब जाफर ने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उत्तराखंड क्रिकेट संघ ने जाफर पर आरोप लगाया है कि वह मजहब के आधार पर कप्तान का चयन किया और नमाज अदा करने के लिए बायो बबल के नियमों को तोड़कर वह मौलवी को लेकर आए।
लेकिन अब दिग्गज खिलाड़ी ने एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के द्वारा 10 फरवरी को अपना पक्ष रखा है और उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
दुखद है साम्प्रदायिक एंगल देना बिल्कुल गलत
उत्तराखंड क्रिकेट टीम के एक साल तक कोच के पद पर रहने के बाद 9 फरवरी को गंभीर आरोप लगाए जाने के कारण अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जाफर ने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा,
"जो कम्युनल एंगल लगाया, वह बहुत दुखद है। उन्होंने आरोप लगाया कि मैं इकबाल अब्दुल्ला का समर्थन करता हूं और उसे कप्तान बनाना चाहता हूं जो सरासर गलत है। वसीम जाफर ने कहा कि कम्युनल एंगल के आरोप काफी गंभीर है। यह काफी दुख की बात है कि मुझे इस पर बोलना पड़ रहा है। आप सभी मुझे जानते हैं और काफी समय से मुझे देख रहे हैं।"
बाबो बबल तोड़कर मौलवी बुलाने का लगा था आरोप
कोरोना वायरस को देखते हुए अब जो भी टूर्नामेंट खेले जा रहे हैं, चाहें वह घरेलू हो या अंतरराष्ट्रीय उसमें बायो बबल के सभी नियम लागू होते हैं। लेकिन जाफर पर ये भी आरोप लगाए गए कि उन्होंने इन नियमों को ताक पर रखकर देहरादून के शिविर में मौलाना को बुलाया था। जाफर ने इसपर कहा,
"बायो बबल में मौलवी आए और हमने नमाज पढ़ी. मैं आपको बताना चाहता हूं कि मौलवी, मौलाना जो भी देहरादून में शिविर के दौरान दो या तीन जुमे को आये, उन्हें मैंने नहीं बुलाया था। इकबाल अब्दुल्ला ने मेरी और मैनेजर की अनुमति जुमे की नमाज के लिए मांगी थी। हम रोज कमरे में ही नमाज पढ़ते थे लेकिन जुमे की नमाज मिलकर पढ़ते थे तो लगा कि कोई इसके लिए आएगा तो अच्छा रहेगा। हमने नेट अभ्यास के बाद पांच मिनट ड्रेसिंग रूम में नमाज पढ़ी। यदि यह सांप्रदायिक है तो मैं नमाज के वक्त के हिसाब से अभ्यास का समय बदल सकता था लेकिन मैं ऐसा नहीं हूं। इसमें क्या बड़ी बात है. मेरी समझ में नहीं आया।"
जय बिस्ट को बनाना चाहता था कप्तान
सैयद मुश्ताक अली 2021 में उत्तराखंड टीम का कप्तान इकबाल अब्दुल्ला को बनाया गया था। हालांकि उत्तराखंड की टीम ने पांच मैच खेले, जिसमें से वह सिर्फ एक ही मैच जीत सकी। मुस्लिम खिलाड़ी के सपोर्ट करने पर जाफर ने कहा,
"मैं जय बिस्ट को कप्तान बनाने जा रहा था। लेकिन रिजवान शमशाद और बाकी चयनकर्ताओं ने सुझाव दिया कि आप इकबाल को कप्तान बनाइए। वह सीनियर प्लेयर है, उसने आईपीएल खेला है और उसकी उम्र भी ज्यादा है। मैंने उनका सुझाव मान लिया। सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में जो भी खिलाड़ी खेले वे मैंने अपने विश्वास पर खिलाए। मैंने समद फल्लाह को आखिरी मैच में बाहर बैठाया। यदि मैं कम्युनल होता तो समद फल्लाह और मोहम्मद नाजिम दोनों सारे मैच खेलते। यह काफी हल्की बात है। मैं नए खिलाड़ियों को मौका देना चाहता था। उत्तराखंज की 22 सदस्यीय टीम में केवल तीन मुस्लिम खिलाड़ी थे। अगर मैं कम्युनल होता तो जय बिष्टा को मुंबई से प्रोफेशनल के रूप में क्यों लाता?"