क्या अब अंत की ओर है युवराज सिंह का शानदार क्रिकेट करियर?
Published - 14 Aug 2017, 11:04 AM

श्रीलंका के खिलाफ पांच वनडे और एकमात्र टी ट्वेंटी मैच की श्रृंखला के लिए रविवार, 13 अगस्त को भारतीय क्रिकेट टीम के चयनकर्ताओं द्वारा टीम इंडिया के 15 खिलाड़ियों के दल का ऐलान कर दिया गया. श्रीलंका के खिलाफ पांच वनडे मैचों की शुरुआत रविवार, 20 अगस्त से हो रही हैं. दोनों टीमों के बीच पहला मुकाबला दाम्बुला के मैदान पर खेला जायेंगा, जबकि एकदिवसीय सीरीज का समापन रविवार, 3 सितम्बर को प्रेमदासा स्टेडियम से होगा. आप सभी की जानकारी के लिए बता दे, कि दोनों देशों के बीच एकमात्र टी ट्वेंटी मुकाबला बुधवार, 6 सितम्बर को आर प्रेमदासा स्टेडियम में खेला जायेंगा.
हैरान कर देना वाला चयन
श्रीलंका के खिलाफ लिमिटेड ओवर की सीरीज के लिए टीम इंडिया के चयनकर्ताओं द्वारा काफी हैरान कर देने वाले और चौकाने वाले फैसला देखने को मिले. ऐसी अटकले लगाई जा रही थी, कि वनडे सीरीज के लिए कप्तान विराट कोहली को आराम दे दिया जायेंगा और उनकी स्थान पर रोहित शर्मा टीम की अगुवाई करते हुए दिखाई देंगे. मगर ऐसा देखने को नहीं मिला. चयनकर्ताओं ने विराट कोहली को आराम नहीं दिया, लेकिन टीम से सिक्सर किंग और दिग्गज ऑल राउंडर विश्व विजेता युवराज सिंह को टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
जी हाँ ! श्रीलंका के खिलाफ स्टार खिलाड़ी युवराज सिंह खेलते हुए नहीं दिखाई देंगे. युवराज सिंह के स्थान पर टीम में हाल में ही इंडिया ए को अपनी कप्तानी में त्रिकोणीय श्रृंखला जीताने वाले युवा बल्लेबाज़ मनीष पांडे को टीम में शामिल कर लिया गया. आप सभी की जानकारी के लिए बता दे, कि इस साल की शुरुआत में इंग्लैंड के खिलाफ जब घरेलू श्रृंखला का आयोजन किया गे था, तब युवराज सिंह की पुरे साढ़े तीन साल के एक लम्बे अन्तराल के बाद भारतीय टीम में वापसी हुई थी, लेकिन मात्र छह महीने के भीतर ही युवी को एक बार फिर से टीम इंडिया से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
सिर्फ विश्व ही नहीं जीता, बल्कि इस बीमारी को भी दी मात
युवराज सिंह का नाम आते ही सबसे पहले सभी के दिमाग में 2007 के टी ट्वेंटी वर्ल्ड कप और 2011 के वनडे विश्व कप की यादें ताज़ा हो जाती हैं. भला कोई कैसे भुला सकता हैं, युवराज के मैच जीताऊ प्रदर्शन को. सिर्फ विश्व कप ही नहीं, बल्कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर भी युवी ने विजय पताका लहराया और फतेह हासिल की. टीम से बाहर होने की एक बड़ी वजह खुद युवराज सिंह भी हैं. हालियाँ समय में उनका प्रदर्शन वाकई में बहुत ही ज्यादा निराशाजनक रहा.
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी से लेकर कैरीबियाई दौरे तक हर जगह युवराज सिंह के बल्ले ने उनका साथ नहीं दिया. हम सभी जानते हैं, कि आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय क्रिकेट टीम ने फाइनल तक का सफ़र तय किया था और युवराज सिंह भी टीम का एक अहम हिस्सा थे. आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान उनका बल्ले बिलकुल शांत रहा. पूरे टूर्नामेंट के चार मैचों में युवी के बल्ले से मात्र 35 की औसत के साथ 150 रन निकले. पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में युवी के बल्ले से बेहतरीन 53 रन निकले थे और उनको 'प्लेयर ऑफ़ द मैच' का ख़िताब भी दिया गया था, लेकिन इस पारी के बाद युवी के बल्ले से <7 बनाम श्रीलंका>, <23 नाबाद बनाम दक्षिण अफ्रीका> और फाइनल में पाकिस्तान के विरुद्ध मात्र 22 रन ही निकले.
सोचा यहाँ जरुर चलेंगा बल्ला
सभी ने सोचा चैंपियंस ट्रॉफी में रन नहीं बने ना सही, लेकिन वेस्टइंडीज़ में युवी का बल्ला जरुर आग उगलेगा. मगर कहानी वही पांच मैचों में सीरीज केवल तीन मैच ही खेलने को मिले और बल्ले से निकले मात्र 57 रन, औसत मामूली सी केवल 19. बात सिर्फ इन श्रृंखलाओं की नहीं थी, बल्कि इससे पहले आईपीएल 10 के दौरान भी उनका बल्ले 28 की औसत से मात्र 252 रन ही निकले. इंग्लैंड के खिलाफ जब युवी की वापसी हुई तो कटक वनडे में उनके यादगार 150 रनों की बेमिसाल पारी को छोड़ दे तो उनका बल्ला पूरा खामोश रहा.
सीरीज के बाकि मैचों में उनके बल्ले से मात्र 15 और 45 रन ही निकले. टी ट्वेंटी मैच के दौरान भी युवराज सिंह कुछ चमत्कार नहीं कर सके और केवल 45 रन ही बना सके. ऐसे में युवराज सिंह को बाहर किया जाने एकदम से सही भी हैं, लेकिन युवी जैसे अनुभवी और सबसे सीनियर खिलाड़ी को एक और मौका दिया जा सकता था. ख़ैर हम सभी यही चाहेंगे, कि इतने बड़े खिलाड़ी का करियर और यादगार सफ़र ऐसे ही खत्म ना हो जाए.