कोरोना वायरस से आईपीएल (IPL) में खिलाड़ियों की सुरक्षा का ख्याल करते हुए टूर्नामेंट को बीच में ही रोक दिया गया है. जिसके बाद से प्रशंसक दुखी हैं, लेकिन उनसे भी ज्यादा दुखी भारतीय क्रिकेट बोर्ड भी है. क्योंकि जिस टूर्नामेंट से उसे सबसे ज्यादा फायदा होता है. अब वह नहीं होगा. यहां तक कि लीग के बीच में रुक जाने से उसे करोड़ों का नुकसान हो जाएगा. यही नहीं अभी तक जो दर्शक आईपीएल के पीछे पड़े हुए थे अब वही कटते हुए से दिखाई दे सकते हैं. वैसे इससे ना सिर्फ बोर्ड बल्कि फ्रेंचाइजियों का भी बहुत नुकसान होगा. हम आपको बताते हैं कि कैसे.
सिर्फ जर्सी से ही होती है 40 करोड़ तक की कमाई
अगर आईपीएल (IPL) से कमाई की बात करें तो ना सिर्फ भारतीय क्रिकेट बोर्ड बल्कि सभी फ्रेंचाइजी भी करोड़ों की कमाई करती हैं. बोर्ड और फ्रेंचाइजी के बीच रेवेन्यू शेयरिंग का समझौता होता है. जबकि फ्रेंचाइजी की खुद कि कमाई अलग होती है. क्योंकि सभी फ्रेंचाइजी अपनी खुद की जर्सी बनवाती हैं. जिसमे कम्पनियों के लोगो लगाने में ही करोड़ों की कमाई हो जाती है.
जैसे किसी टीम की जर्सी में अगर फ्रंट में विज्ञापन लगाना हो तो उसके 15-25 करोड़ तक और अगर पीछे की साइड में लोगों लगवाना हो तो उसके लिए 7-13 करोड़ तक की लगत वसूली जाती है. यही नहीं सिर्फ कंधे में ही विज्ञापन का मूल्य 1.5 से 3 करोड़ है. सिर्फ यही नहीं किसी कंपनी को अगर टीम के हेलमेट पर भी अपना विज्ञापन देना हो तो उसे 2 से लेकर 14 करोड़ तक का भुगतान करना पड़ सकता है.
25-30 फीसद तक बढ़ सकती थी IPL की कमाई
आईपीएल (IPL) में सभी 8 टीमों के स्पॉन्सर अलग-अलग ही होते हैं. ऐसे में सभी टीमों को स्पॉन्सरशिप से होने वली कमाई में ही 25-30 प्रतिशत बढ़ने की ही उम्मीद थी. इस साल आईपीएल में सभी टीमों की कमाई 550 करोड़ से ज्यादा होने की उम्मीद थी. इस दौरान बड़ी टीमें 75-80 करोड़ तो छोटी टीमें 40-45 करोड़ रूपए तक की कमाई कर लेती हैं. लेकिन, आईपीएल इस तरह से बीच में ही रुक जाने से यह कमाई भी बीच में ही रुक गई. यही नहीं टीमों और बोर्ड को पैसे वापस भी करने पड़ सकते हैं.