सिर्फ 50 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में 8 शतक लगा चुका यह दिग्गज आज भी तलाश रहा हैं अपनी पहचान, सचिन से पहले लगा दिया था दोहरा शतक

Published - 30 Dec 2017, 12:35 PM

खिलाड़ी

भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता किसी से छुपी नहीं है, क्रिकेट यहा धर्मं माना जाता है, लेकिन एक दुर्भाग्य यह भी है कि यहां क्रिकेट की लोकप्रियता केवल पुरुषों के अंतर्राष्ट्रीय मैच तक ही सीमित है. भारत में कई श्रेणियों में क्रिकेट खेला जाता है. लेकिन वह इनकी आधी भी लोकप्रियता नहीं बटोर पाते. भले ही उनमे रिकॉर्ड भारत की प्रमुख टीम कही जाने वाली मैन इन ब्लू से पहले बन जाएं.

भारत की तरफ से सचिन तेंदुलकर को वनडे में पहला दोहरा शतक लगाने वाला खिलाड़ी माना जाता है, जबकि भारत का एक अन्य खिलाड़ी सचिन से पहले दोहरा शतक लगा चुका है, नाम है राजेंद्र वर्मा. ब्लाइंड क्रिकेटर राजेन्द्र आँखों से देख नहीं सकते, लेकिन क्रिकेट के प्रति प्रेम होने के चलते उनकी द्रष्टिबाधिता उनकी बढ़ा नहीं बनी.

राजेन्द्र वर्मा की कहानी उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा की तरह है, जो किसी अक्षमता को अपनी कमजोरी समझ बैठते हैं.

पहले जान लें, कैसे खेला जाता है ब्लाइंड क्रिकेट-

ब्लाइंडक्रिकेट का वनडे मैच 40 ओवर का होता है. स्टंप लोहे के और बॉल हार्ड प्लास्टिक की बनी होती है. इसमें छर्रे होते हैं. छर्रों की आवाज सुनकर बैटिंग की जाती है. अंडर आर्म बॉलिंग होती है. पिच मैदान की लंबाई सामान्य की तरह ही रहती है. 11 खिलाड़ियों को तीन श्रेणी बी1, बी2 बी3 में बांटते हैं. बी1 में शत प्रतिशत ब्लाइंड के 4 खिलाड़ी, बी2 में 80 प्रतिशत ब्लाइंड के 3 खिलाड़ी बी3 में 70 प्रतिशत ब्लाइंड के 4 खिलाड़ी होते हैं.

राजेन्द्र के नाम अंतरार्ष्ट्रीय क्रिकेट में कई रिकॉर्ड-

राजेन्द्र वर्मा ने ने भारतीय टीम की तरफ से 50 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं. जिसमे उनके नाम 8 शतक 20 अर्धशतक हैं. राजेन्द्र ने क्रिकेट में ऐसा कारनामा किया है, जिसे करने वाले खिलाड़ी बहुत कम हुए हैं. राजेन्द्र के नाम 5 वनडे मोचों की सीरीज में 576 रन हैं. इस दौरान उन्होंने 1 दोहरा शतक, 2 शतक, और 2 अर्धशतक जमाए.

इस तरह खेलने लगे क्रिकेट-

आनंदधाम में चल रहे दृष्टिबाधित सशक्तिकरण सम्मेलन में हिस्सा लेने राजेंद्र उदयपुर आए राजेन्द्र वर्मा ने बताया आम भारतीय की मुझे भी बचपन से क्रिकेट का शौक था. कमेंट्री सुनता था. कपिल देव, सुनील गावस्कर के बारे में सुनकर क्रिकेट खेलने की इच्छा होती थी. देख नहीं पाता था लेकिन रेडियो पर सुनाई देने वाला मैदान का शोर कानों में गूंजता रहता था. एक दिन सोचा मैं खेल सकता हूं. फिर मैने ब्लाइंड क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन कर ली. शुरुआत में परेशानी हुई. लेकिन बाद में मैंने परेशानी को अपनी ताकत बना लिया.

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