आईपीएल 2022 (IPL 2022) दुनिया की सबसे अमीर लीग में आती है. इस सीजन खिताब जीतने वाली टीम का प्राइज 20 करोड़ रुपए है जो आम आदमी के नजरिए से देखें तो भरमार पैसा है. लेकिन, एक फ्रेंचाइजी के लिए इस 20 करोड़ की रकम मायने रखती है या नहीं इस पर गौर करने की जरूरत है. इस रिपोर्ट में कुछ ऐसे ही पहलुओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आप समझ सकेंगे कि इन आईपीएल (IPL) फ्रेंचाइजियों की कमाई कैसे होती है.
कैसे होती है टूर्नामेंट की कमाई
आईपीएल (IPL) टीमों की कमाई पर गौर करें तो हमें ज्यादा दूर तक सोचने की जरूरत नहीं है. पिछले सीजन की ही बात करतें हैं उस वक्त आईपीएल की सबसे सस्ती टीम ब्रैंड वैल्यू के लिहाज से राजस्थान रॉयल्स थी. इस टीम की ब्रेंड वैल्यू 250 करोड़ रुपए थी. वहीं अगर धोनी की टीम CSK की बात करें तो चैन्नई की ब्रैंड वैल्यू तकरीबन 2700 करोड़ रुपए है. ऐसे में 20 करोड़ रुपए का विनिंग प्राइज क्या मायने हैं इन टीमों के लिए? इसके बारे में जानना आपके लिए जरूरी है.
IPL को कैश रिच लीग के नाम से भी जाना जाता है. जिसका मतलब ऐसी लीग से है जिसमें खिलाड़ियों पर जमकर पैसों की बारिश की जाती है. आईपीएल का बिजनेस मॉडल किस तरह से वर्क करता है इसके बारे में ज्यादा अच्छे से जानने की जरूरत है. अगर सीधे-सीधे प्वाइंट पर आएं तो और इसके बारे में जानने की कोशिश करें तो इस टूर्नामेंट में पैसों का असली खेल मैदान के बाहर चलता है. आईपीएल की गवर्निंग बॉडी BCCI है, जो इसे पूरी तरह से कंट्रोल करती है.
बीसीसीआई सबसे ज्यादा स्पॉन्सर से कमाई करती है
आईपीएल (IPL) में रेवन्यू जनरेट करने के 3 पिलर बनाए गए हैं. जिसमें पहला- ब्रॉडकस्टर यानी जिस चैनल पर इसे आप लाइव टेलिकास्ट देखते हो. दूसरा- आईपीएल ओनर मतलब वो बड़ी-बड़ी प्राइवेट कंपनी जो इस लीग से जुड़ी टीमों को मोटी रकम देकर खरीदती हैं और तीसरा- स्पॉन्सर जो ज्यादातर प्राइवेट कंपनी करती हैं और एड टीवी चैनल्स को देती हैं.
मोटी रकम कमाने की जब बात आती है तो ये पैसा स्पॉन्सर से ही कमाते हैं. स्पॉन्सर भी 2 तरह के होते हैं जिसमें टाइटल स्पॉन्सर प्रमुख है. जैसे इस टूर्नामेंट को टाटा लीग का नाम दिया गया है. यानी टाटा ने टाइटल स्पॉन्सर बनने के लिए दबाकर पैसे लुटाए हैं. इस साल टाटा ने स्पॉन्सर के लिए 330 करोड़ रुपए स्पेंट किया है. अब आप ये समझ लें कि असली खेल इन टाइटल स्पॉन्सर से जो पैसा बीसीसीआई को मिलता है वो इसका 50% खुद रखता है बाकी के 50% टीमों को दे देता है.
दूसरे टाइप के स्पॉन्सर और कमाई का जरिया
दूसरे टाइप के स्पॉन्सर की बात करें तो IPL में CEAT टायर ने स्ट्रेटजी टाइम आउट को स्पॉन्सर कर रखा है. जिसके लिए उन्होंने 30 करोड़ रुपए का भुगतान किया है. वहीं CRED पावरप्ले, ड्रीमइलेवन गेम चेंजर ऑफ द मैच जैसे नाम भी आपने इस सीजन में सुने होंगे. रिपोर्ट्स की माने तो कुल मिलाकर 210 करोड़ रुपए यहां से छपाई होती है जो बीसीसीआई के अलावा टीमों में भी बांटी जाती है.
बीसीसीआई ब्रॉडकास्टिंग राइट बेचकर भी अच्छा-खासा मुनाफा कमा लेती है. आईपीएल (IPL) के पहले 10 सालों को लिए सोनी ने 8207 करोड़ रुपए में इसे खरीदा था. साल 2018 में स्टार स्पोर्ट्स ने आईपीएल को प्रसारित करने लिए इसका राइट 16 हजार 400 करोड़ रुपए देकर 5 साल के लिए खरीदा था. इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि हर साल तकरीबन 3300 करोड़ रुपए की कमाई होती है. जिसका बीसीसीआई आधा पैसे खुद के पास रखती है और आधा टीमों को बांट दिया जाता है.
इस तरह भी होती है टीमों की कमाई
अब एक नजर डालते हैं आईपीएल (IPL) टीमों पर तो उन्हें एक सीजन में ही काफी ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है. प्लेयर की सैलरी देने से लेकर ट्रेनिंग तक का खर्चा आईपीएल टीम ही उठाती है. कुल मिलाकर एक फ्रेंचाइजी का हर साल खर्चा तकरीबन 200 करोड़ रुपए तक पहुंच जाता है. बीसीसीआई के साथ ये भले ही 50-50 की साझेदारी कर कमाई करती हैं. लेकिन, इनके लिए इतना पैसा काफी नहीं होता है.
ऐसे में टीमें और कहां से कमाई करती हैं इसके बारे में भी आपको बता देते हैं. फ्रेंचाइजी स्पॉन्सर जो आईपीएल टीम की जर्सी पर दिखाई देते हैं. अगर देखा देखा जाए तो कम से कम एक जर्सी पर 10 टीम स्पॉन्सर के LOGO लगे होते हैं. ये ब्रेंड सीधे इंडियन प्रीमियर लीग की टीमों को ही पैसे देते हैं ताकि वो उनके स्पॉन्सर की जिम्मेदारी लें. इसके अलावा जब आप मैच देखने के लिए टिकट खरीदते हो तो इसका भी 80% पैसा फ्रेंचाइजियों को ही मिलता है.
80% रेवन्यू होम ग्राउंड टीम को जाता है
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्टेडियम में मैच खेला जाता है उसकी होम टीम के पास 80% रेवन्यू जाता है. जैसे अगर मैच वानखेड़े में आयोजित किया जा रहा है तो टिकट का 80% पैसा मुंबई इंडियंस के पास जाएगा. बाकी 20% होम स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के खाते में चला जाता है. जो आंकलन किया गया है उसके आधार पर देखें तो एक मैच से IPL टीम तकरीबन 4 करोड़ रुपए टिकट से कमाती है. इसके अलावा मर्चेंडाइज जैसे टीशर्ट बेचकर भी फ्रेंचाजियां कमाई करती हैं.
जीतने वाली टीम को मिलेंगे 20 करोड़
अंत में बारी आती है आईपीएल (IPL) ईनाम की, इस साल गुजरात टाइटंस ने ट्रॉफी जीती तो उसे ईनाम के तौर पर 20 करोड़ की रकम दी गई. वहीं रनर-अप टीम रही राजस्थान रॉयल्स को 13 करोड़ का भुगतान किया गया है. जबकि क्वालीफाइर 2 हारने वाली टीम को 7 करोड़ और जो एलिमिनेटर हारी उसे उन्हें 6.5 करोड़ रुपए दिए जाएंगे. इस प्राइज मनी का आधा पैसा टीम के मालिक के पास जाता है और आधा पैसा टीम के खिलाड़ियों में बंटता है. हर टीम आईपीएल जीतना चाहती है 20 करोड़ के लिए नहीं बल्की अपने ब्रेंड वैल्यू को बढ़ाने के लिए.