भारत और श्रीलंका के बीच तीन मैचों की टी20 आई सीरीज की शुरूआत 3 जनवरी से हो चुकी है। पहले मुकाबले में भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ 2 रनों से जीत दर्ज की। इस जीत के साथ ही भारत ने सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली है। इस श्रृंखला का दूसरा मुकाबला आज यानी 5 जनवरी को पुणे में खेला जाना है। इस मैच में अगर टीम इंडिया जीत दर्ज करती है तो सीरीज अपने नाम करेगी।
वहीं श्रीलंकाई टीम इस मुकाबले को जीतकर सीरीज को 1-1 की बराबरी पर करना चाहेगी। हार्दिक (Hardik Pandya) की कप्तानी में मिली रोमांचक जीत के बात उनकी तुलना पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से की जा रही है। वहीं उनके द्वारा लिए गए तीन फैसलों के कारण उन्हें परमानेंट कप्तान बनाने की मांग तेज हो गई है। आईए जानते हैं उन तीन फैसलों के बारे में इस आर्टिकल के जरिए।
मुश्किल में आगे बढ़कर करते हैं टीम इंडिया को लीड
कप्तान हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) के अंदर लीडरशिप क्वालिटी देखी जाती है। जिस वजह से अक्सर उनहें धोनी की तरह ही मैदान पर बल्लेबाजी करते हुए देखा जाता है। हार्दिक ठीक धोनी की तरह ही अपनी बल्लेबाजी को अंत तक लेकर जाते हैं। पहले मुकाबले में भी उन्होंने टीम को एख छोर से संभालते हुए 29 रनों की शानदार पारी खेली थी।
साथ ही उन्होंने गेंदबाजी करते हुए पहला ओवर फेंक कर हर किसी को चौंका कर रख दिया था। उन्होंने 3 ओवर में 12 रन दिए। उनका इकॉनोमी रेट महज 3 का रहा। आगे बढ़कर टीम के लिए इस तरह का प्रदर्शन उनमें धोनी जैसी झलक को दिखाती है।
कप्तानी में लेते हैं धोनी जैसे जोखिम फैसले
मैदान पर उन्हें बीते मांगलवार को एक ऐसा फैसले लेते हुए देखा गया जो कभी महेंद्र सिंह धोनी लिया करते थे। माही मैदान पर बिल्कुल शांत होकर टीम के लिए एक-एक कदम उठाते थे। ऐसा ही कुछ झलक हार्दिक (Hardik Pandya) की कप्तानी में भी देखने को मिली और उन्होंने टीम इंडिया को जीत दिलाने के लिए शांत दिमाग से काम लिया। इतना ही नहीं उनका वो फैसले खिलाड़ियों ने सही भी साबित किया और भारत ने 2 रन से रोमांचक जीत भी हासिल की।
अब तक पांड्या की कप्तानी में भारतीय टीम को 5 टी20 मैच में जीत मिली है। हर सीरीज के साथ वह कप्तान के रूप में निखरते जा रहे हैं। धोनी की तरह ही हर परिस्थिति में उन्हें फिट होते हुए भी देखा जा सकता है। ये बड़ा कारण है कि उन्हें परमानेंट कैप्टन बनाने की मांग की जा रही है।
Hardik Pandya ने लिया साहसी फैसला
भारत और श्रीलंका के बीच पहला पहला अपने रोमांचक चरम पर पहुंच चुका था। आखिरी ओवर में श्रीलंका को जीत के लिए 13 रनों की दरकार थी। वहीं भारत को 2 विकेट चाहिए थे। इस दौरान हर किसी के दिमाग में सिर्फ एक ही नाम था जिसे अंतिम ओवर में गेंदबाजी के लिए देखा जा रहा था और वो नाम कप्तान हार्दिक (Hardik Pandya) का था।
लेकिन, उन्होंने स्पिनर गेंदबाज अक्षर पटेल को गेंद सौंपकर हर किसी को हैरानी में डाल दिया। उनके इस जोखिम भरे फैसले की धोनी से तुलना की जा रही है। क्योंकि साल 2007 के फाइनल मुकाबले में माही ने भी कुछ ऐसा ही फैसला पाकिस्तान के खिलाफ आखिरी ओवर में लिया था और जोगिंदर शर्मा से गेंदबाजी कराई थी। खास बात ये रही कि उस दौरान भी भारत ने शानदार जीत हासिल की थी।