टीम इंडिया (Team India) के दिग्गज ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने हाल ही में सभी तरह के क्रिकेट को अलविदा कह दिया. दायें हाथ के इस गेंदबाज की गिनती दुनिया के सबसे अच्छे स्पिन गेंदबाजो में होती है. भज्जी (Harbhajan Singh) पहली बार तब चर्चा में आये थे. जब उन्होंने साल 2001 में उस समय की सबसे मजबूत टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक विकेट चटकाया था. आज के इस आर्टिकल में हम आपको उनसे शुरूआती करियर से जुड़ा एक मजेदार किस्सा सुनाते हैं.
काफी शानदार रहा है करियर
हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) टीम इंडिया की लिए टेस्ट क्रिकेट में चौथे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज है. उनसे आगे केवल अनिल कुंबले (Anil Kumble), कपिल देव (Kapil Dev) और रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) है. भज्जी 2007 में टी20 और 2011 में वनडे क्रिकेट में वर्ल्ड चैम्पियन बनी टीम इंडिया का हिस्सा भी रह चुके हैं. हालाँकि टर्बनेटर के नाम से हरभजन अपने शुरूआती दिनों में अपने क्रिकेट करियर को लेकर ज्यादा सीरियस नहीं थे. इसके बारे में उन्होंने काफी पहले खुद बताया था.
हम निकले थे मस्ती करने लेकिन सीरियस वाली लाइन शुरू हो गई
हरभजन (Harbhajan Singh) ने बताया था कि, पहली बार वो जालंधर के अपने दोस्तों के साथ पटियाला ट्रायल देने के लिए गए थे. लेकिन वो इस चीज को लेकर बिलकुल भी सिरियस नहीं थे. वो वहां बस मजा करने के लिए गए थे. हरभजन ने काफी पहले जी टीवी के शो ‘जीना इसी का नाम है’ पर बताया था,
पहली बार जब हम ट्रायल्स देने गए, हमने अखबार में पढ़ा था कि ऑल इंडिया ट्रायल्स हो रहे हैं तो हम मजे करने गए थे, लेकिन जैसे जैसे ट्रायल्स चलता गया, जलंधर के 30 में से दो लड़के सिलेक्ट हुए थे. मैं सिलेक्ट हुआ था. लेकिन बाकी वापस आ रहे थे तो मैंने कहा कि मैं क्या करूंगा मैं भी चलता हूं लेकिन एक दोस्त ने मुझे बोला तेरा नाम आया है तू रुक. मैंने फिर ट्रायल्स दी और मैं सिलेक्ट हो गया. हम निकले थे मस्ती करने लेकिन सीरियस वाली लाइन शुरू हो गई.
हॉस्टल से कई बार भाग चुके थे भज्जी
भज्जी (Harbhajan Singh) को जब पता चला कि, उन्हें 3 साल की ट्रेंनिंग के लिए चंडीगढ़ में रुकना पड़ेगा तो उन्होंने अपने घरवालो को वहां जाने से साफ़ मना कर दिया था. क्योकिं वो इससे पहले कभी भी घर से बाहर नहीं गए थे. उन्होंने हॉस्टल से कई बार भागने की भी कोशिश की. लेकिन, उनके साथ वाले लड़के उन्हें पकड़कर वापस ले आते है. भज्जी ने इस बारे में कहा था,
वो दो साल मुश्किल समय था, वहां से मुझे जीवन के बारे में पता चला.