एक ऐसा कप्तान जिसने अपने कप्तानी में नहीं हारा मैच, जीता विश्व कप

Published - 12 Jun 2020, 11:32 AM

खिलाड़ी

आज महिला क्रिकेट का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. फैन्स भी इससे बहुत ज्यादा जुड़ते हुए नजर आ रहे हैं. हालाँकि ऐसा ही हमेशा नहीं रहा था. इंग्लैंड की महिला टीम की महान कप्तान रेचल हेहो फ्लिंट ने अपनी कप्तानी में विश्व कप जीता था और वो उस दौर में एक भी मैच बतौर कप्तान नहीं हारी थी.

इंग्लैंड की वो महान कप्तान जो कभी नहीं हारी मैच

इंग्लैंड

क्रिकेट को जन्म देने वाली इंग्लैंड की टीम ने पुरुषो के खेल में विश्व कप जीतने के लिए बहुत लंबा समय लिया था. लेकिन ऐसा नजारा महिला क्रिकेट में नहीं रहा था. इंग्लैंड के महिला क्रिकेट जगत में एक बड़ी शख्सियत का नाम 11 जून को 1939 में वूल्वरहैम्पटन शहर में हुआ था. वो एक ऐसी महिला क्रिकेटर थी. जिन्होंने महिला क्रिकेट को लेकर लोगो की सोच बदल दिया. जिसके कारण आज भी रेचल हेहो फ्लिंट की तारीफ होती है.

2 दिसंबर 1960 में उन्होंने अपना टेस्ट पर्दापण किया था. उन्होंने अपने करियर में 22 टेस्ट मैच खेले जिसमें 45 की औसत से 1594 रन बनाये थे. जबकि 23 एकदिवसीय मैच में 58.45 की औसत से 643 रन बनाये थे. जो बताती है की रेचल की स्तर की बल्लेबाज थी. उन्होंने कई बार मुश्किल परिस्थितियों में मैदान पर खड़े होकर लंबे समय तक बल्लेबाजी की थी.

महिला क्रिकेट का पहला छक्का जड़ा थे रेचल ने

रेचल हेहो फ्लिंट

जब महिला क्रिकेट में पहले छक्के का जिक्र आता है तो उसमें पहला नाम रेचल का ही आता है. 1963 में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ये कारनामा करके दिखाया था. उसके अलावा उन्होंने 8 घंटे बल्लेबाजी करके ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1976 में नाबाद 179 रनों की शानदार पारी खेली थी. बतौर कप्तान उन्होंने इंग्लैंड टीम की जिम्मेदारी 1966 में संभाली थी.

जिसके बाद 12 सालों तक टीम की कप्तानी की थी. इस बीच उनकी टीम ने एक भी मैच में हार का सामना नहीं किया.1973 में रेचल हेहो फ्लिंट के कप्तानी में ही इंग्लैंड की टीम ने पहले महिला विश्व कप पर कब्ज़ा जमाया था. जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को हराकर ख़िताब अपने नाम किया था. हालाँकि उस समय इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के अलावा कोई और टीम मजबूत ही नहीं थी.

कई खेल में हिस्सा थी इंग्लैंड की रेचल हेहो फ्लिंट

इंग्लैंड

फ्लिंट सिर्फ क्रिकेट ही नहीं बल्कि इंग्लैंड के लिए हॉकी टीम का हिस्सा भी रह चुकी है. जहाँ पर वो गोलकीपिंग की भूमिका में होती थी. इसके अलावा उन्होंने गोल्फ, स्क्वा जैसे खेल भी खेले. खेल जगत के बाहर वो चार सालों तक फिजिकल एजुकेशन की टीचर भी रहीं. इसके बाद वो वूल्वरहैम्पटन क्रॉनिकल में पत्रकार भी रहीं.

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