भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी सौरव गंगुली (Sourav Ganguly) को 12 साल पुराने मामले में कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने गांगुली के मामले में ट्रिब्यूनल के ब्याज भुगतान के आदेश के खिलाफ सर्विस टैक्स कमिश्नर (Commissioner of Service Tax) की अपील को खारिज कर दिया है. जज ने फैसला सुनाते समय याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा इस अपील पर सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं बनता है. चलिए आपको विस्तार से समझाते हैं कि आखिरकार क्या है यह पूरा मामला?
Sourav Ganguly को कलकत्ता हाईकोर्ट से मिली राहत
सौरव गंगुली (Sourav Ganguly) पर सर्विस टैक्स कमिश्नर ने एक दशक पहले कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. 26 सितंबर, 2011 को कारण बताओ नोटिस दिया गया था. नोटिस में उनसे ब्रांड के प्रचार-प्रसार को लेकर सेवा कर मांगा गया था. कोलकाता स्थित सीमा शुल्क, उत्पाद और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (पूर्वी क्षेत्र शाखा) ने 14 दिसंबर, 2020 को मांगी गई राशि और उसपर ब्याज भारतीय क्रिकेट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष गांगुली को लौटाने को कहा था.
राजस्व विभाग ने उच्च न्यायालय में इस आदेश को चुनौती दी थी. लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने गांगुली के मामले में ट्रिब्यूनल के ब्याज भुगतान के आदेश के खारिज कर दिया है.
12 साल पुराना है मामला
इस मामले पर सुनवाई करने वाले न्यायाधीश टी एस शिवज्ञानम और न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य ने कहा कि इस अपील पर ध्यान देने कोई मतलब नहीं बनता. बता दें कि यह मामला एक दशक से भी अधिक पुराना है. गांगुली को 26 सितंबर, 2011 को कारण बताओ नोटिस दिया गया था. नोटिस में उनसे ब्रांड के प्रचार-प्रसार को लेकर सर्विस टैक्स मांगा गया था.
नोटिस में गांगुली से सर्विस टैक्स की मांग की गई थी, जबकि सर्विस टैक्स कमिश्नर ने नवंबर, 2012 में अपने फैसले में पुष्टि की. इसले अलावा साथ ही ब्याज और जुर्माना देने का भी निर्देश दिया. बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष गांगुली (Sourav Ganguly) ने हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत 1,51,66,500 रुपये 26 फरवरी, 2014 को जमा किए और 50 लाख रुपये मार्च, 2014 में दिए. गांगूली की याचिका पर हाईकोर्ट ने 30 जून, 2016 को कहा कि वह न केवल दी गई राशि बल्कि 10 फीसदी की दर से ब्याज पाने के भी हकदार हैं.
यह भी पढ़ें: आर अश्विन के डुप्लीकेट ने भी कर दी स्टीव स्मिथ की हवा टाइट, प्रैक्टिस सेशन में ही चखाया जमकर मजा