वैसे तो क्रिकेट (Cricket) में बहुत से रिकॉर्ड टूटते हुए दिखाई देते हैं. लेकिन, आज भी कुछ ऐसे रिकार्ड हैं जो अभी तक नहीं तोड़े जा सके हैं और आगे भी किसी खिलाड़ी द्वारा तोड़ पाना बहुत कठिन दिखाई पड़ता है. रणजी ट्रॉफी और घरेलू क्रिकेट में भारतीय खिलाड़ियों द्वारा कुछ ऐसे रिकॉर्ड बनाए गए हैं, जो किसी भी खिलाड़ी द्वारा अभी तक नहीं तोड़े जा सके हैं. आज इस लेख में हम आपको जानकारी देंगे उन रिकार्डों के बारे में जिनको अभी तक तोड़ा नहीं जा सका है.
पांच खिलाड़ियों के घरेलू Cricket के रिकॉर्ड हैं कायम
5. राजिंदर गोयल के रणजी विकेट
भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) के वो खिलाड़ी जिनको अच्छे प्रदर्शन के बावजूद राष्ट्रीय टीम में शामिल होने का मौका नहीं मिल सका. वह अपने युग के महान स्पिनरों में गिने जाते हैं. लेकिन, उनका सबसे ज्यादा शानदार प्रदर्शन तो रणजी ट्रॉफी में सामने आया. आपको बता दें कि रणजी क्रिकेट में इनके नाम 637 विकेट दर्ज हैं.
राजिंदर गोयल के इस रिकॉर्ड को आज के समय में किसी भी गेंदबाज द्वारा तोड़ पाना असंभव सा प्रतीत होता है. इतने विकेटों के लिए कम से कम एक दशक की तो आवश्यकता होगी और फिर इतने अच्छे प्रदर्शन के बदौलत टीम में शामिल न किया जाए ये भी असंभव सा प्रतीत होता है.
5. एक सत्र में 1415 रन
टीम इंडिया के दूसरे राहुल द्रविड़ कहे जाने वाले वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण जो हद से ज्यादा प्रतिभाशाली टेस्ट क्रिकेटर के रुप में जाने जाते हैं. 1999 में टीम से बाहर होने के बाद वह एक बार फिर से रणजी टीम में शामिल हुए ओर 1999-2000 के रणजी Cricket में लक्षमण के बल्ले से 108 की औसत के साथ 1415 रन निकले.
आपको बता दें कि लक्ष्मण ने इस दौरान 9 मैचों में लगातार आठ शतक बनाए. इस धमाकेदार प्रदर्शन के बाद उनको एक बार फिर से टीम में शामिल किया गया. दिलचस्प है कि इस रिकॉर्ड को किसी भी खिलाड़ी के लिए तोड़ पाना असंभव प्रतीत होता है. हालांकि कुछ खिलाड़ी इस रिकॉर्ड के पास तक जरूर आए थे. लेकिन, वह भी इस रिकार्ड को तोड़ पाने में सफल नहीं हो सके.
3. सबसे कम रनों पर किया आउट
घरेलू Cricket हो या फिर अंतरराष्ट्रीय, टेस्ट मैच तो टेस्ट मैच ही होता है. घरेलू स्तर पर रणजी मैचों को टेस्ट की तर्ज पर ही खेला जाता है. आपको इसी रणजी इतिहास के एक दिलचस्प रिकॉर्ड के बारे में आज हम बताना चाहेंगे. बात 2010 में जयपुर में खेले गए एक रणजी मैच की है. जिसमें हैदराबाद की टीम ने एक शर्मनाक रिकॉर्ड स्थापित किया.
हैदराबाद की यह टीम सिर्फ 21 रनों पर ही आलआउट हो गई थी. इस मैच में उदईमान Cricketer दीपक चाहर ने हैदराबाद के 8 विकेट चटकाकर टीम को नेस्तनाबूत कर दिया. हैदराबाद के इस रणजी में सबसे कम रन पर आउट होने के रिकॉर्ड को कोई भी टीम नहीं तोड़ना चहेगी.
4. प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सबसे बड़ी पारी
यह बात उस समय की है जब भारत को आजादी मिले हुए अभी एक ही साल हुए थे. रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट में रनों का पहाड़ खड़ा हो गया. जी हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के बल्लेबाज भाउसाहब निंबालकर की, जिन्होंने प्रथम श्रेणी Cricket मैच में 443 रनों की नाबाद पारी खेली.
ऐसा कारनामा करने वाले वो विश्व के एकमात्र बल्लेबाज हैं. इस स्कोर को आज तक किसी भी बल्लेबाज द्वारा नहीं तोड़ा जा सका है. बात 1948 की है. 16-18 दिसंबर तक पूना क्रिकेट ग्राउंड क्लब में काठियावाड़ और महाराष्ट्र के बीच मैच में यह पारी खेली गई थी. 73 साल बाद भी यह रिकॉर्ड कायम ही है. इस दौर में जहां सभी गेंदबाज अपनी गेंदों से कहर बरपाने में लग जाते हैं, वहां तो यह रिकॉर्ड हमेशा अनछुआ ही रहेगा.