टीम इंडिया (Team India) में स्पिनरों की भरमार हैं, कुछ ऐसे भी स्पिनर रहे हैं जिनको देश के लिए खेलने का मौका नहीं मिला, अगर वह किसी और देश के लिए खेलते तो वह अच्छे रिकॉर्ड बना सकते थे. 2000 के दशक में अनिल कुंबले और हरभजन सिंह की जोड़ी ने धमाल मचाया, तो वहीं 2010 के दशक में रविचंद्रन अश्विन और रविन्द्र जडेजा की जोड़ी ने टीम में जबरदस्त प्रदर्शन किया.
मौजूदा समय में कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की जोड़ी का नाम लिया जाता है. घरेलू क्रिकेट और प्रथम श्रेणी में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद इन सभी खिलाड़ियों को टीम में शामिल होने का मौका मिला. लेकिन, आज हम आपको बतायेंगे कि इन खिलाड़ियों के अलावा और भी स्पिनर हैं जो प्रतिभाशाली रहे और अगर वो किसी और टीम के लिए खेलते तो कामयाब जरुर हो पाते.
ये पांच Indian खिलाड़ी हैं इस लिस्ट में
1. मुरली कार्तिक (Murali Kartik)
8 टेस्ट मैचों में 24 विकेट अपने नाम करने वाले मुरली कार्तिक, वैसे तो बहुत अच्छे स्पिन गेंदबाज थे. लेकिन, हरभजन सिंह और अनिल कुंबले की उपस्थिति में उनको ज्यादा मौके नहीं मिल सके. यही नहीं ज्यादा मौके नहीं मिलने की वजह से जब भी उन्हें टीम में मौका दिया गया तो वो उम्मीद पर खरा नहीं उतर सके.
दक्षिण अफ्रीकी टीम के खिलाफ मुरली का 2000 में Indian टेस्ट टीम में चयन किया गया, लेकिन अफ्रीकी टीम के खिलाफ उन्होंने मात्र 1 विकेट हासिल किया. जब भी टीम में तीसरे स्पिनर की बात की जाती है तो उनका नाम सबसे ऊपर आता था. इसके बावजूद उन्होंने मात्र 8 टेस्ट मैच खेले. आपको बता दें कि मुरली को लंकाशायर, समरसेट और सरे जैसे विभिन्न क्लबों के लिए खेलते हुए उन्हें बहुत सम्मान मिला, अगर वह इंग्लैंड क्रिकेट टीम में बाएं हाथ के स्पिनर के रुप में शामिल होते तो टीम के लिए कुछ खास कर सकते थे.
टेस्ट करियर (2000 - 2004)
8 मैचों में 34.16 के औसत और 80.5 के स्ट्राइक-रेट से 24 विकेट
प्रथम श्रेणी कैरियर (1996/97 - 2014)
203 मैचों में 26.70 के औसत से 644 विकेट .
2. सुनील जोशी (Sunil Joshi)
भारतीय टीम (Indian Team) के स्पिन आलराउंडर खिलाड़ी के रुप में टीम में शामिल सुनील जोशी भी अनिल कुंबले और हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ियों के रहते हुए टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे. 90 के दशक में कर्नाटक का यह गेंदबाज अपनी गेंदबाजी की बदौलत इस प्रकार उभरा कि टेस्ट क्रिकेट में अलग ही छाप छोड़ गया.
उनकी गेंदबाजी ऐसी थी कि वह बल्लेबाज को गलतियां करने के लिए मजबूर करते थे. उनकी गेंदबाजी में हद से ज्यादा सटीकता थी. एक गेंदबाज के साथ-साथ वह बल्लेबाजी भी आसान तरीके से करने में सक्षम थे, लेकिन हरभजन सिंह के टीम में शामिल होते ही इनके करियर में ग्रहण लग गया. यदि वह कीवी टीम के साथ खेल रहे होते तो उन्हें अच्छे अवसर मिलने की उम्मीद थी.
प्रथम श्रेणी करियरः
15 मैचों में 35.85 के औसत से 41 विकेट.
प्रथम श्रेणी करियर (1992/93 - 2011)
25.12 के औसत से 160 मैचों में 615 विकेट .
3. पद्माकर शिवलकर (Padmakar Shivalkar)
बीएस चंद्रशेखर और ईएएस प्रसन्ना जैसे Team India के दिग्गज स्पिनरों के दौर में एक ऐसा गेंदबाज उभर कर सामने आया जिसने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया था. लेकिन, बावजूद इसके उस प्रतिभाशाली स्पिनर को टीम इंडिया के गेट तक भी पहुंचने का मौका नहीं दिया गया. आपको बता दें कि सुनील गावस्कर ने खुद कहा था कि इस प्रतिभाशाली स्पिनर को खेलने में उन्हें डर लगता था.
घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने वाले इस खिलाड़ी का नाम था पद्माकर शिवालकर. 1940 में जन्मे पद्माकर शिवालकर ने किया. इन्होंने घरेलू क्रिकेट में अलग ही छाप छोड़ी. आपको बता दें कि एक बार बिशन सिंह बेदी के चोटिल होने की वजह से उन्हें टीम में शामिल करने का इरादा किया गया था. लेकिन, बेदी के ठीक होते ही पद्माकर को एक भी मैच खेलना का मौका नहीं मिला. ऐसे में अगर यह खिलाड़ी विंडीज क्रिकेट टीम में शामिल होते तो कुछ खास कर सकते थे.
प्रथम श्रेणी करियरः
124 मैचों में 589 विकेट हासिल किए. इस दौरान 42 बार पांच विकेट और 13 बार 10 विकेट लेने में कामयाब रहें.
4. राजिंदर गोयल (Rajinder Goel)
रणजी ट्रॉफी के साथ ही प्रथम श्रेणी मैचों में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले रजिंदर गोयल को तत्कालीन महान स्पिनरों में गिना जाता है. गोयल, शिवलकर के ही समकक्ष थे. अपनी बलखाती गेंदों से विकेट झटकने में कामयाब रहने वाले रजिंदर को 1964-65 में श्रीलंका के खिलाफ Indian टेस्ट टीम में चुना गया था. लेकिन, अपना जौहर दिखाने का उन्हें मौका नहीं मिल सका.
घरेलू क्रिकेट में कहर बरपाने वाला ये गेंदबाज किसी और टीम में शामिल होता तो टीम के लिए सफल प्रदर्शन करने में कामयाब हो पाता. आपको बता दें कि ग्वालियर की सेंट्रल जेल में बंद कुख्यात डकैत भूरा सिंह यादव ने गोयल को एक बधाई पत्र भेजा था. इसमें उसने उन्हें रणजी ट्रॉफी में 600 से अधिक विकेट लेने के लिए बधाई दी थी.
प्रथम श्रेणीः
157 मैचों में 18.58 की औसत से 750 विकेट.
5. वामन विश्वनाथ (Vaman Viswanath Kumar)
शिवलकर और गोयल की तरह ही वामन विश्वनाथ भी असंगत चयन नीतियों के शिकार हुए थे. प्रथम श्रेणी में 600 विकेट लेने वाले इस लेग ब्रेक गेंदबाज को Team India के लिए प्रतिनिधित्व करने का सही से अवसर नहीं मिला. 1961 में वामन को पाकिस्तान के खिलाफ फरवरी में और अगस्त 1961 में इंग्लैंड के खिलाफ मात्र 2 टेस्ट मैचों में ही टीम में शामिल किया गया.
इस दौरान उन्होंने 7 विकेट हासिल किए. लेकिन, अगर घरेलू क्रिकेट के प्रदर्शन को ध्यान में रखा जाता उन्हें और मौके दिए जाने चाहिए थे. वह अगर किसी और टीम के साथ खेल रहे होते तो अलग ही अंदाज में नजर आते. यह प्रतिभाशाली स्पिन गेंदबाज किसी भी बल्लेबाजी आक्रमण की धज्जियां उड़ने की काबिलियत रखता था.
टेस्ट करियर (1961) :
2 टेस्ट मैचों में 7 विकेट
प्रथम श्रेणी करियर (1955/56 - 1976/77) :
129 मैचों में 599 विकेट