5 दिग्गज क्रिकेटर जिनके करियर का आगाज बेहद निराशाजनक रहा, बाद में बन गये हीरो

Published - 18 Jul 2020, 07:15 AM

खिलाड़ी

किसी भी क्रिकेटर के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम कमाने के लिए, उनका पहला मैच बहुत अहम होता है. कई सालों की मेहनत के बाद, जब आप अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए खेलते हैं तो आपके लिए डेब्यू मैच की अहमियत और बढ़ जाती है. हालांकि ऐसे बहुत क्रिकेटर्स रहे हैं, जिनका पहले मैच में प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा.

क्रिकेट की दुनिया में हर खिलाड़ी चाहता है कि वो अपने पहले ही मैच में कमाल कर दिखाए. ऐसे में जब बात आती है इंटरनेशनल क्रिकेट की तो हर क्रिकेटर इसमें नाम कमाने के लिए अपनी पूरी जान लगा देता है, ताकि वो टीम में अपनी जगह बना सके, लेकिन अक्सर ऐसा होता नहीं है.

कभी-कभी क्रिकेटर्स की सालों की मेहनत पर पानी फिर जाता है और उन्हें मिला पहला सबसे बड़ा मौका ही उनके लिए परेशानी का सबब बन जाता है. हालांकि पहले मैच में अच्छा प्रदर्शन न करके भी कुछ क्रिकेटर्स ने आगे चलकर इस खेल में काफी नाम कमाया है. तो चलिए आज की इस स्टोरी में हम आपको ऐसे ही 5 क्रिकेटर्स के बारे में बताने वाले हैं जिनके करियर की शुरुआत तो अच्छी नहीं हुई मगर बाद मेंउनका जादू सर चढ़ कर बोला. तो चलिए शुरू करते हैं.

5. माइकल होल्डिंग

सोचिए, वेस्टइंडीज के महान तेज गेंदबाज माइकल होल्डिंग एक ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने उछाल वाली विकटों पर अपना खौफ पैदा किया. हालांकि ग्रेग चैपल ने उनकी गति का अच्छा फायदा उठाया और गाबा की विकेट पर उनकी अच्छी क्लास ली. वेस्ट इंडीज के 214 रन पर ऑल आउट होने जाने के बाद, जिसमें होल्डिंग ने कुछ अच्छे शॉट्स लगाए थे, उसके बाद इस तेज़ गेंदबाज ने 20 ओवर्स डाले और सिर्फ 81 रन दिए, हालांकि वो विकेट लेने में नाकाम रहे.

दूसरी पारी में लॉंरेंस रॉ और एल्विन कालीचरन की साझेदारी की बदौलत वेस्टइंडीज ने मेज़बान टीम के सामने 219 रन का लक्ष्य रखा. ग्रेग चैपल ने के बार फिर शानदार बल्लेबाज़ी की और शतक जमाया. होल्डिंग के लिए दूसरी पारी भी निराशाजनक रही और उन्होंने 10 ओवर्स में 46 रन दिए और एक बार फिर वो विकेट लेने में नाकाम रहे. इसका मतलब था की उन्हें अपनी पहली विकेट के लिए पर्थ का इंतज़ार करना था.

वाका पर होल्डिंग ने अपनी क्लास दिखाई और अपने खतरनाक स्पैल से ऑस्ट्रेलिया के निचले क्रम को तहस-नहस कर दिया, जिससे उन्होंने टीम को जीत की तरफ अग्रसर कर दिया था. अपने करियर के अंत तक उन्होंने 60 मुकाबलों में 23.68 की औसत से 249 विकेट अपने नाम किए थे.

4. विवियन रिचर्ड्स

वेस्ट इंडीज के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज विव रिचर्ड्स को हमेशा से ही ऐसे क्रिकेटर के रूप में देखा गया हैं, जोकि गेंदबाजों पर हमला करने के लिए जाना जाता था. लेकिन उनके पहले मैच में उनके लिए चुनौती कुछ अलग थी. भगवत चन्द्रशेखर की स्पिन के सामने वो पूरी तरह से जूझते नज़र आए और ऐसा लग रहा था. उन्हें इन कंडीशन में खेलने का कोई अनुभव नहीं हैं. रिचर्ड्स उस मैच में सिर्फ 4 और 3 रन ही बना पाए.

अगले मैच में विव रिचर्ड्स ने चंद्रशेखर के ना होने का पूरा फायदा उठाया और 192 रन मारकर अपनी छाप छोड़ी और फिरोज शाह कोटला के क्राउड को पूरा एंटरटेन किया. उनकी बल्लेबाज़ी आने से पहले टीम काफी मुश्किल में नज़र आ रही थी, लेकिन उन्होंने आकार सारा काम आसान कर दिया था.

3. लेन हटन

जब इंग्लैंड के बल्लेबाजों को उनके प्रदर्शन के तौर पर आंका जाता हैं, तो लेन हटन का नाम सबसे ऊपर आता हैं. उनके नाम 79 मैच में 7000 रन दर्ज हैं और इसी बीच उनकी औसत भी 56.67 की रही. इस ओपनर के सामने, शायद ही कोई दूसरा खिलाड़ी हो जो इनकी तकनीक और ध्यान का मुक़ाबला कर पाया हो.

हालांकि लेन हटन का पहला मुक़ाबला काफी निराशाजनक रहा और वो न्यूज़ीलैंड की गेंदबाजी के सामने जूझते नज़र आए. उन्हें जैक कोवी ने काफी परेशान किया, जोकि एक ही एक्शन से आउटस्विंगर और ऑफ ब्रेक दोनों डाल लेते थे. वो लॉर्ड्स में अपने पहले मुक़ाबले में पहली पारी में शून्य पर आउट हुए और दूसरी पारी में भी वो सिर्फ एक रन ही बना सके.

हटन ने अगले मैच में जोरदार वापसी की और किवी के खिलाफ आक्रामकता से खेले और एक शानदार सेंचुरी लगाई. उस मैच में उनके अलावा कोई और रन नहीं बना पाया था. अंत में इंग्लैंड ने वो मैच 130 रनों से जीता था.

2. शेन वार्न

जब शेन वॉर्न ने खेलना शुरू किया, तब स्टेडियम में अक्सर क्राउड़ एक बैनर लिए बैठती थी जिसमे लिखा होता था, "शेन कौन? रिकी बेनो अभी भी स्पिन के किंग हैं." यह देखकर अच्छा लगा कि कैसे शेन वॉर्न ने दर्शकों को अपना दीवाना बनाया. क्रिकेट में सबसे एंटरटेनिंग गेंदबाजों में एक रहे शेन वॉर्न का आगाज इतना खास नहीं रहा और वो उसे कभी भी भूल नहीं सकते.

भारत के खिलाफ आगाज करते हुए वार्न ने 45 ओवर डाले और 150 रन दे डाले. वॉर्न ने उस मैच में रवि शास्त्री का विकेट लिया, जिन्होंने उस मैच में दोहरा शतक लगाया था. वॉर्न का हर टीम के खिलाफ गेंदबाजी औसत 30 से नीचे का हैं, लेकिन भारत के खिलाफ वो 47.18 का हो जाता हैं. यह पहला मौका था, जब सचिन तेंदुलकर और शेन वॉर्न आमने सामने आए थे.

1. सर डॉन ब्रैडमैन

सर डॉन ब्रैडमैन के करियर की हमेशा ही आखिरी पारी की बात होती हैं, जिसमे उन्हें सिर्फ चार रन की जरूरत थी, अपने करियर औसत को 100 तक ले जाने के लिए। हालांकि वो गुगली को पढ़ने में नाकाम रहे और 0 पर आउट हो गए. उन्हें अपनी आखिरी पारी में चौके की जरूरत न पढ़ती, अगर वो अपने पहले मैच में अच्छा कर पाते.

ब्रिस्बेन के ग्राउंड में उन्हें मौरिस टेट ने 18 रनों के निजी स्कोर पर आउट किया. 742 रनों का पीछा करने उतरी ऑस्ट्रेलियन टीम के लिए ब्रैडमैन एक बार फिर नाकाम रहे और इस बार वो सिर्फ एक रन ही बना पाए. ऑस्ट्रेलिया उस मैच में 66 रन पर ऑल आउट हो गई. जिस मार्जिन से ऑस्ट्रेलिया हारी थी, वो अभी भी रिकॉर्ड ही हैं.

अगले मैच में ड्रॉप होने के बाद ब्रैडमैन ने एमसीजी में टीम में वापसी की और उसके बाद उन्होंने क्या किया यह हम सब जानते हैं.

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