साढे तीन महीने के लंबे दौरे के लिए टीम इंडिया (team india) इंग्लैंड (England Tour) की धरती पर पहुंच चुकी है. पहले भारत न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) का फाइनल मैच खेलेगी. इसके बाद इंग्लिश टीम के खिलाफ 5 मैचों की टेस्ट सीरीज खेलेगी. बीते एक दशक की बात करें तो भारतीय टीम का ये चौथा दौरा है. इस एक दशक के बीच भारत और अंग्रेजी टीम के बीच कुल 14 मुकाबले खेले गए हैं. इन सभी मैचों में भारत सिर्फ एक 2 ही मैच में जीत हासिल कर सका है. जबकि एक ड्रॉ रहा है.
इसके अलावा 11 मुकाबलों में इंग्लैंड ने ही बाजी मारी है. साल 2011 में भारतीय टीम को 4-0 से शिकस्त का सामना करना पड़ा था. इसके बाद जो 2 दौरे हुए उसमें सिर्फ एक-एक टेस्ट मैच में टीम को जीत नसीब हुई. इसके कारण कई खिलाड़ियों का करियर भी डूब गया. जो फिर से कभी टीम में वापसी नहीं कर सके. कौन से हैं वो खिलाड़ी, जानते हैं इस खास रिपोर्ट के जरिए...
प्रवीण कुमार
सबसे पहले बात करते हैं, प्रवीण कुमार (Praveen Kumar) की, अपनी स्विंग गेंदबाजी से अच्छे-अच्छों के सामने मुश्किल पैदा करने वाले प्रवीण कुमार भारत की ओर से 6 टेस्ट मैच खेल चुके हैं. परिस्थिति जब भी उनके पक्ष में रही उन्होंने इसका फायदा उठाया और बल्लेबाजों के सामने बड़ी मुसीबत भी बने. साल 2011 में जब टीम इंडिया इंग्लैंड (England tour) के दौरे पर पहुंची थी तब सभी गेंदबाजों में प्रवीण का प्रदर्शन सबसे ज्यादा बेहतरीन था.
उन्होंने लॉर्ड्स टेस्ट मैच में 5 विकेट भी चटकाए थे. इतना ही नहीं इस दौरे पर टीम की ओर से सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट (15) लेने वाले भी खिलाड़ी वही थे. लेकिन, उनकी रफ्तार में कमी का फायदा इंग्लिश बल्लेबाजों ने भी उठाया और जमकर रन बनाए. ये दौरान उनकी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का आखिरी दौरा साबित हुआ. इसके बाद उन्होंने एक भी टेस्ट मैच भारत के लिए नहीं खेला.
एस. श्री संत
दूसरे नंबर पर बात करते हैं, टीम इंडिया के खिलाड़ी एस श्री संत (s shree sant) की. साल 2011 में अंग्रेजों की धरती पर उनका ये दूसरा दौरा था. उस वक्त वो सिर्फ 28 साल के थे. 2011 में भारतीय टीम पूरी तरह से फ्लॉप साबित रही थी. जिसके कारण टीम को 4-0 से बड़ी शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
इस दौरे पर श्री संत ने कई जगहों पर अच्छी गेंदबाजी भी की. लेकिन, विकेट लेने में उन्हें सफलता नहीं मिली. इस दौरे पर उन्होंने नॉटिंघम में 3 विकेट चटकाए थे. जो उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा था. लेकिन, ये उनकी जिंदगी का भी आखिरी दौरान साबित हुआ. इसके बाद आईपीएल में उनका नाम स्पॉट फिक्सिंग में आया.
आरपी सिंह
इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर बाएं हाथ के तेज गेंदबाज आरपी सिंह (RP singh) का नाम आता है. साल 2011 में जब टीम इंडिया इंग्लैंड (England tour) के दौरे पर पहुंची थी, उस वक्त आरपी अमेरिका के मयामी में छुट्टियां काच का रहे थे. इस दौरे पर जब जहीर खान चोटिल हुए तो उनकी जगह इस क्रिकेटर को बुलाया गया. 3 साल के एक लंबे गैप के बाद उनकी टीम में एंट्री हुई थी. ऐसे में उन्होंने दी ओवल में एक टेस्ट मैच खेला.
लेकिन, विकेट हासिल करने में वो नाकामयाब रहे. उन्होंने इस मुकाबले में गेंदबाजी करते हुए कुल 118 रन दिए थे. इसके पीछे का एक कारण ये भी था कि, उनके पास मैच के लिए जरूरी फिटनेस भी नहीं थी. यहां तक कि, अपने दौर में जिस तरह से वो बल्लेबाजों पर हावी रहे थे, उस तरह की धार भी उनकी गेंदबाजी से गायब थी. इसके बाद उन्हें भारत की ओर से कभी खेलते हुए नहीं देखा गया.
पंकज सिंह
इस लिस्ट में चौथे नंबर पर घरेलू क्रिकेट के इस स्टार खिलाड़ी पंकज सिंह (pankaj singh) का नाम आता है. काफी संघर्ष और मेहनत के के दम पर लंबे अरसे के इंतजार के बाद उनकी जिंदगी में उस खुशी ने दस्तक दी. जिसकी चाहत उन्हें कई सालों से थी. ब्रिटेन दौरे पर उन्हें टीम इंडिया की तरफ से टीम में जगह दी गई.
हालांकि, वो भारत की ओर से सिर्फ 2 ही टेस्ट मैच खेल सके. पहले टेस्ट मैच में खराब फील्डिंग और ख़राब लक के कारण उन्हें कोई विकेट नहीं मिला. इसके बाद दूसरे टेस्ट मैच में उन्होंने 2 विकेट चटकाए. लेकिन, ये टूर उनकी जिंदगी का आखिरी दौरा साबित हुआ.
दिनेश कार्तिक
महेंद्र सिंह धोनी से पहले टेस्ट फॉर्मेट में डेब्यू करने वाले टीम इंडिया के बेहतरीन खिलाड़ी दिनेश कार्तिक सिर्फ 26 टेस्ट मैच ही खेल सके हैं. 17 साल के टेस्ट करियर में उन्हें सिर्फ 26 मैच में खेलने का मौका दिया गया. साल 2007 में इंग्लैंड (England tour) दौरे पर उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया था.
हालांकि, साल 2018 में उनके करियर के लिए काफी बुरा दौरा साबित हुआ. इस टूर पर दिनेश कार्तिक ने टेस्ट मैच खेले थे. इन मुकाबलों की 4 पारियों में उनके बल्ले से 0,20,1 और 0 रन ही निकले. इसके बाद उनकी टेस्ट टीम में कभी भी वापसी नहीं हुई.