खिलाड़ी कभी नहीं भूलेंगे 30 साल पुराना ये जख्म, जब एक नियम की वजह से हाथ से निकल गया था वर्ल्डकप

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Mohit Kumar
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ENG vs SA 1992 WC

ENG vs SA - 1992 WC: क्रिकेट की विश्वसनीयता खेल के रोमांचक एक्शन और निष्पक्ष नतीजों के कारण है। हर क्रिकेट प्रेमी मैदान में गेंद और बल्ले का मुकाबला देखने के लिए आतुर रहता है। खासकर अगर मैच विश्वकप सेमी फाइनल का हो तो दर्शकों की दीवानगी का अंदाजा लगाना मुश्किल है। खिलाड़ी भी विश्वकप के बड़े मुकाबले में अपना सब कुछ दांव लगा कर मैदान पर उतरते हैं।

लेकिन अगर किसी टीम को इस बड़े मंच पर विशेष नियम के कारण हार का सामना करना पड़े तो इससे दर्शक और खिलाड़ियों का दिल टूट जाता है। ऐसा ही कुछ आज से 30 साल पहले आईसीसी विश्वकप 1992 (WC 1992) के सेमी फाइनल में देखा गया था। इस मैच में इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका आमने-सामने थी।

ICC के नियम ने तोड़ा था दक्षिण अफ्रीका का सपना

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विश्वकप 1992 के ENG vs SA सेमी फाइनल को शायद ही कोई क्रिकेट प्रेमी भूल पाया होगा। दक्षिण अफ्रीका बनाम इंग्लैंड (ENG vs SA) मुकाबले का नतीजा इस प्रकार से निकाला गया कि हर कोई हैरान और परेशान हो गया था।

दरअसल, इस मैच को बारिश के कारण रोकना पड़ गया था। बारिश से पहले दक्षिण अफ्रीका को मैच जीतने के लिए 13 गेंदों में 22 रन बनाने थे। लेकिन जब बारिश बंद होने के बाद दोबारा मैच शुरू हुआ तो दक्षिण अफ्रीका को 21 रन बनाने के लिए सिर्फ 1 गेंद दी गई। इसे देखकर किसी को भी विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि 1 गेंद पर 21 रन बनाना नामुमकिन कार्य है।

ENG vs SA सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका की दुर्भाग्यपूर्ण हार

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1992 वर्ल्ड कप में आईसीसी ने सीसी की ओर से मोस्ट प्रोडक्टिव ओवर्स का नियम लागू किया गया था। इस नियम के मुताबिक पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम ने जिस ओवर में सबसे कम रन बनाए होते हैं। उतने ही रन दूसरी बल्लेबाजी करने वाली टीम के लक्ष्य में से घटा दिए जाते हैं। इंग्लैंड बनाम दक्षिण अफ्रीका (ENG vs SA सेमी फाइनल) मुकाबले में मैच को 12 मिनट के लिए रोका गया था और 2 ओवर कम कर दिए गए थे। लेकिन स्कोर में सिर्फ 1 रन की कटौती की गई। इस लिहाज से दक्षिण अफ्रीका को 21 गेंद में 1 रन बनाने का असंभव स लक्ष्य मिला।

दक्षिण अफ्रीका की टीम को इतिहास की सबसे अनलकी टीम माना जाता है, 22 साल तक रंगभेदी नीतियों के कारण बैन होने के बाद दक्षिण अफ्रीका ने 1992 वर्ल्ड कप में वापसी की थी। ऐसे में ENG vs SA सेमी फाइनल मुकाबले में उनका इस तरह हारना टीम के खिलाड़ियों के लिए हृदय विदारक था। इंग्लैंड टीम ने इस मैच में 6 विकेट के नुकसान पर 252 रन बनाए थे। जिसके जवाब में दक्षिण अफ्रीका मोस्ट प्रोडक्टिव ओवर्स नियम के तहत सिर्फ 232 रन बनाने में कामयाब हुई थी।

1992 विश्वकप पाकिस्तान ने अपने नाम किया था

The miracle of '92

दक्षिण अफ्रीका की इस दुर्भाग्यपूर्ण हार के बाद आईसीसी एक इस नियम को लेकर खूब हंगामा किया गया था। जिसके बाद आईसीसी ने कवर्थ लुईस नियम को लागू किया था। हालांकि इंग्लैंड की टीम को इस जीत का ज्यादा फायदा नहीं मिला, क्योंकि इंग्लैंड ने फाइनल मुकाबले में प्रवेश तो कर लिया था। लेकिन उसे फाइनल में पाकिस्तान के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। पाकिस्तान ने फाइनल मुकाबले में पहले बल्लेबाजी करते हुए 249 रन बनाए थे, जिसके जवाब में इंग्लैंड सिर्फ 227 रनों पर सिमट गई थी।