ENG vs IND: इंग्लैंड के खिलाफ एजबेस्टन टेस्ट मैच में मिली हार के बाद टीम इंडिया की जमकर फजीहत हो रही है। भारतीय समर्थक और क्रिकेट विश्लेषक जमकर खिलाड़ियों के साथ ही टीम मैनेजमेंट की भी भरसक आलोचना कर रहे हैं। इस प्रकार की प्रतिक्रिया आना लाजमी भी है।
क्योंकि भारतीय टीम ने साल 2007 के बाद अंग्रेजों की घरती पर टेस्ट सीरीज जीतने का सुनहरा मौका आसानी से जाने दिया। इस बीच भारतीय खेमे में एक ऐसा खिलाड़ी भी मौजूद था जो कि अपने दम पर मैच को भारत की झोली में डाल सकता था लेकिन उसे कोच और कप्तान ने प्लेइंग एलेवन में शामिल करना भी जरूरी नहीं समझा।
भारत को भारी पड़ा इस खिलाड़ी को बाहर बिठाना
दरअसल, हम बात कर रहे हैं मौजूदा समय में टीम इंडिया के लिए टेस्ट फॉर्मेट में सबसे बड़े मैच विनर कहे जाने वाले रविचंद्रन अश्विन की। 450 से भी ज्यादा विकेट लेने वाले इस गेंदबाज को प्लेइंग एलेवन में शामिल नहीं करना टीम मैनेजमेंट की सबसे बड़ी गलती साबित हुआ है। ENG vs IND मैच के चौथे दिन पिच एजबेस्टन की पिच पर अच्छा-खासा घुमाव और असमतल उछाल देखने को मिल रहा था।
ऐसे में अगर टीम इंडिया की ओर से ENG vs IND मैच में रवींद्र जडेजा के अलावा एक और स्पिनर होता तो इंग्लैंड के बल्लेबाज घुटने टेक सकते थे। खासकर जॉनी बेयरस्टो स्पिन के खिलाफ हमेशा से ही कमजोर खिलाड़ी रहे हैं। लिहाजा अश्विन को मौका देना टीम के हित में जा सकता था साथ ही वे बल्लेबाजी में भी अहम योगदान देने की काबिलियत रखते हैं। अश्विन के नाम टेस्ट फॉर्मेट में 5 शतक है।
ENG vs IND: शार्दूल ठाकुर दोनों ही पारियों में हुए फ्लॉप
रविचंद्रन अश्विन की जगह टीम मैनेजमेंट ने शार्दूल ठाकुर को टीम में जगह दी थी। जो कि इस मैच में पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुए हैं। ENG vs IND मैच से पहले उनके प्लेइंग एलेवन में चयन को लेकर भी सवाल किया जा रहा था, क्योंकि उनकी जगह टीम इंडिया को रविचंद्रन अश्विन को बाहर बिठाया गया था।
जिसके पीछे का तर्क ये था कि एजबेस्टन के मैदान में तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी। साथ ही उम्मीद थी कि शार्दूल ठाकुर नंबर-8 पर बल्लेबाजी करते हुए अहम योगदान देंगे। लेकिन वे दोनों ही पहलू पर हल्के साबित हुए। इस टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शार्दूल ने सिर्फ 1 विकेट चटकाया और दोनों परियो के रन मिलाकर कुल 5 रन बनाए।
भारत ने गंवाया साल 2007 के बाद इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीतने का मौका
आपको बता दें कि पिछले साल शुरू हुई ENG vs IND टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया ने 2-1 की बढ़त हासिल की हुई थी। ऐसे में अगर भारतीय टीम आखिरी टेस्ट मैच ड्रॉ भी करा लेती तो सीरीज बराबरी की जगह भारत के पक्ष में खत्म होती। इस मैच में मिली हार को भारतीय टीम लंबे समय तक याद रखेगी।
क्योंकि ये पहला मौका है जब किसी भी टीम ने भारत के खिलाफ 350 से ज्यादा रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत हासिल की हो। इंग्लैंड ने 378 के विशाल लक्ष्य को बोना बना दिया और सिर्फ 3 विकेट के नुकसान पर रन बना के जीत अपने नाम की।