महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) को कौन नहीं जानता है. वह नाम जिसने भारतीय क्रिकेट को एक अलग ही ऊंचाई पर पहुंचाने में मुख्य भूमिका निभाई है. सभी आईसीसी ट्रॉफियों के साथ ही आईपीएल और चैम्पियंस लीग में भी अपने नाम का डंका बजाने वाले धोनी का शुरूआती दौर बहुत अच्छा नहीं रहा था. उन्हें सालों मेहनत करनी पड़ी थी. घरेलू मैचों में भी उनका शानदार प्रदर्शन होने के बावजूद टीम इंडिया के दरवाजे उनके लिए बहुत देर से खुले थे. इस बात का खुलासा खुद पूर्व मुख्य चयनकर्ता किरण मोरे ने किया है कि धोनी का टीम इंडिया में पदार्पण करवाने के लिए कितनी दिक्कत हुई थी.
10 दिन तक मनाना पड़ा था सौरव गांगुली को
हाल में एक टीवी प्रोग्राम में साक्षात्कार के दौरान पूर्व चयनकर्ता किरण मोरे ने बताया कि उस वक्त हमे एक विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश थी. उस वक्त क्रिकेट का फॉर्मेट बदल रहा था. ऐसे में हमे एक पॉवर हिटर बल्लेबाज चाहिए था. एक ऐसा बल्लेबाज जो नंबर छह पर आकर भी टीम के लिए 40 से 50 रन बना सके.
राहुल द्रविड़ ने वैसे तो टीम के लिए बहुत बढ़िया प्रदर्शन किया था. लेकिन, उनके बाद कोई ऐसा चाहिए था जो विकेट के पीछे और आगे दोनों ही जगह मदद कर सके. हमे उनकी ही तरह विकेटकीपर चाहिए था. तब हमारी नजर पड़ी थी Mahendra Singh Dhoni पर. जिनको टीम में शामिल करने के लिए पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को 10 दिन तक मनाना पड़ा था.
दोस्त ने बताया था Dhoni के बारे में
आपको बता दें कि Mahendra Singh Dhoni को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाने का श्रेय किरण मोरे को ही जाता है. उन्होंने ही धोनी को प्रतिभा साबित करने के मौके दिए थे. उनका कहना था कि, " मेरे एक दोस्त ने मुझे धोनी के बारे में बताया था. उसके बाद मैं भी उनके खेल को देखने लिए गया था. वह एक फाइनल मैच था."
इस मैच में Dhoni विकेटकीपर के तौर पर खेले थे और पूरी टीम सिर्फ 170 रन पर ही सिमट गई थी. लेकिन, एमएस धोनी ने अकेले ही 130 रन बना दिए थे. इसके बाद जब धोनी को इंडिया ए की तरफ से 2004 में केन्या भेजा गया तब भी उन्होंने दो शतक और दो अर्धशतक की मदद से 362 रन बनाए थे. मोरे का यह भी कहना था कि धोनी को लेकर हमने एक जुआं खेला था. जिसमे पूरी तरह से कामयाब रहे.