एकमात्र भारतीय खिलाड़ी, जिसके शतक लगाने पर कभी नहीं हारी भारतीय क्रिकेट टीम

Published - 15 Sep 2019, 05:50 AM

खिलाड़ी

आज हम भारत के एक ऐसे बल्लेबाज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में ऐसा कहा जाता है कि जिस मैच में भी इस बल्लेबाज ने शतक लगाया वो मैच भारत कभी नहीं हारा। जी हां हम बात कर रहे हैं देश के सबसे उम्दा खिलाड़ियों में से एक गुंडप्पा विश्वनाथ की।

कानपुर से विश्वनाथ ने किया था डेब्यू

दाएं हाथ के बल्लेबाज गुंडप्पा विश्वनाथ ने 1967 में कर्नाटक की तरफ से रणजी के डेब्यू मैच में दोहरा शतक लगाया था। विश्वनाथ ने अपना अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरूआत ग्रीनपार्क स्टेडियम कानपुर से की थी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए पहले मुकाबले में विश्वनाथ शून्य पर आउट हो गए थे। लेकिन इसी टेस्ट की अगली पारी में 25 चौकों की मदद से 137 रन की शानदार पारी खेली थी। विश्वनाथ ने अपने क्रिकेट करियर में 91टेस्ट मैच खेले हैं। वहीं देश के लिए 25 एकदिवसीय मैच खेले हैं। इस दौरान विश्वनाथ ने 14 शतक भी लगाए।

विश्वनाथ के शतक के साथ टीम को मिली जीत

विश्वनाथ के नाम एक गजब का रिकॉर्ड है। विश्वनाथ ने जिस भी मैच में शतक लगाया उस मैच में टीम इंडिया को कभी भी हार नहीं मिली है। विश्वनाथ ने टेस्ट मैच में 14 शतक लगाए हैं। जिसमें चार बार भारत को जीत मिली हैं। बाकी दस मैच ड्रॉ रहे। 91 टेस्ट मैच में विश्वनाथ ने 6080 रन बनाए हैं। वहीं वनडे मैच में उन्होंने 439 रन बनाए हैं।

विस्डन में शामिल हुई विश्वनाथ की पारी

1974-75 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली गई विश्वनाथ की 97 रन की पारी उनकी सबसे यादगार पारी में से एक हैं। इस मैच में भारतीय टीम वेस्टइंडीज के तूफानी गेंदबाज एंडी रॉबट्रर्स के आगे 190 रन पर ढेर हो गई थी। इसके बावजूद विश्वनाथ ने 97 रन की सधी हुई पारी खेली। जिसे बाद में विस्डन की टॉप 100 पारियों में शामिल किया गया।

गावस्कर की बहन से रचाई शादी

गुंडप्पा विश्वनाथ ने देश के दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर की बहन कविता से शादी रचाई थी। हालांकि उन दिनों क्रिकेट प्रशंसकों के बीच दोनों में से कौन बेहतर खिलाड़ी है इसको लेकर अक्सर बहस चलती रहती थी लेकिन दोनों ही आपस में एक बेहतर दोस्त थे। विश्वनाथ के सम्मान पर ही सुनील गावस्कर ने बेटे का नाम भी उन्हीं के नाम पर रोहन जयविश्वाथ रखा।

2009 में मिला सीके नायडू आवार्ड


विश्‍वनाथ को 2009 का सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया। सन्यास लेने के बाद विश्वनाथ आईसीसी के रेफरी के तौर पर कई साल तक जुड़े रहे। इसी के साथ विश्वनाथ राष्ट्रीय चयन समिति के अध्यक्ष,क्रिकेट टीम के मैनेजर व राष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी के कोच के तौर पर देश के लिए योगदान देते रहे हैं।

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