एक समय आता है जब आपका शरीर नहीँ तो दिमाग थक जाता है। आप फिर अपने उस कर्तव्य से सन्यास लेने को सोचते है। ऐसा ही कुछ होता है खेल के मैदान में। लय बिगड़ रही होती है, अच्छा खेल नहीँ दिखा पा रहे होते है और अचानक से निर्णय आता है सन्यास का। लेकिन इस सन्यास के वक़्त खिलाड़ी ऐसे दौर से गुजर रहे होते है जहाँ इन खिलाड़ियों को रिकॉर्ड्स के पन्ने दिखना बंद हो चुके होते है। उनके दिमाग में बस अपने प्रिय खेल को छोड़ के जाने का दुख, चक्कर मार रहा होता है। वो अपने खेल के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने के करीब हो कर भी, फैंस को अलविदा कह जाते है। आइए जानते है ऐसे ही कुछ खिलाड़ियों की कहानी जो अगर सन्यास नहीँ लिए होते तो अपने कैरियर में इन रिकॉर्ड्स को जोड़ जाते।
#1 ए बी डी विल्लिर्स

दुनिया भर में 360° के नाम से मशहूर साउथ अफ्रीका के मिडिल आर्डर बल्लेबाज डी विल्लिर्स ने साल 2018 मई में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास ले लिया। उनके इस फैसले ने फैंस के साथ क्रिकेट जगत को भी सकते में ला दिया। 34 वर्षीय डी विल्लिर्स ने यह फैसला तब लिया जब सारी टीमें 2019 वर्ल्ड कप की तैयारी में जुटने को थी।
इंगलैंड के खिलाफ़ अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुवात करने वाले डी विल्लिर्स ग्राउंड के किसी भी कोने में गेंद पहुंचाने की क्षमता रखते है। फील्डिंग में अद्भुत कैच पकड़ने वाले डी विल्लिर्स आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेलते है। वैसे तो डी विल्लिर्स के संन्यास के बाद अभी तक साउथ अफ्रीका ने कोई एकदिवसीय मुकाबला नहीँ खेला है। अपने 13 साल के क्रिकेट इतिहास में उन्होंने 228 एकदिवसय मुकाबले खेले है। जिसमें 53.50 की औसत से उन्होंने 9577 रन बनाए है। उनके पूरे एकदिवसीय कैरियर में उनका स्ट्राइक रेट 101.09 का रहा है। अगर सन्यास लेने से पहले वो 433 रन और मार जाते तो जैक कैलिस के बाद साउथ अफ्रीका के लिए 10000 रन मारने वाले वो दूसरे बल्लेबाज बन जाते।
#2 कुमार संगाकारा
श्रीलंका के इस विकेट कीपर बल्लेबाज को कौन नहीँ जानता। विश्व के जाने माने विकेट कीपर बल्लेबाजों में से एक संगाकारा ने 2014 में अंतराष्ट्रीय T-20 और 2015 वर्ल्ड कप के बाद एकदिवसीय मुकाबलो से संन्यास ले लिया। इतिहास के पन्नों पर दर्ज बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने एक ही टूर्नामेंट में चार लगातार सतक मार सब को अपना फैन बना लिया था। विश्व कप 2015 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेला गया मुकाबला इनका आखिरी मैच था। इस मैच में संगाकारा ने 45 रनों की शानदार पारी खेली थी।
अपने पंद्रह साल के कैरियर में संगाकारा ने 404 एकदिवसीय मुकाबले खेले। जिसमें 41.98 की औसत से उन्होंने 14,234 रन बनाए। इस दौरान कुल 25 मर्तफा सतकिय पारी खेली। जबकि 93 अर्धसतक भी लगाए। इसे ज्यादा अर्धसतक क्रिकेट इतिहास में सिर्फ सचिन के है। उन्होंने 96 अर्थसतक लगाए है। यहाँ तक की संगाकारा के नाम 99 स्टम्पिंगस भी है। इस रिकॉर्ड को आगे चल पूर्व भारतीय कप्तान एवं विकेट कीपर महैंद्र सिंह धोनी ने 100 स्टम्पिंगस अपने नाम कर तोड़ा।
# 3. सचिन रमेश तेंदुलकर
क्रिकेट के मैदान पर भारत और पाकिस्तान का मुकाबला ही ऐसा है जो चाहे किसी भी देश मे खेला जाए पर सीटे भर जाती है। 1998 में पाकिस्तान के खिलाफ अपने कैरियर की शुरुवात करने वाले सचिन, साल व साल अपने खेल के द्वारा सबको प्रभावित करते गए है। 2013 मुम्बई टेस्ट के बाद सचिन ने संन्यास लिया और विश्वभर को अपनी बल्लेबाजी की यादों के सहारे क्रिकेट मैदान को प्रणाम कर छोड़ दिया। एकदिवसीय क्रिकेट में उन्होंने अपना आखिरी मुकाबला 2012 एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ खेला और दिसंबर 2012 में अपने संन्यास की घोषणा कर दी।
463 एकदिवसीय मुकाबले खेल सबसे ज्यादा एकदिवसीय खेलने का रिकॉर्ड बनाया। एकदिवसीय मुकाबलो में 18,426 रनों के साथ उन्होंने सबसे ज्यादा रन बनाने का भी रिकॉर्ड अपने नाम किया। उनकी रिकॉर्ड की सूची में एक रिकॉर्ड टेस्ट, एकदिवसीय श्रृंखला मिला 100 अंतराष्ट्रीय सतक मारने का भी है। लेकिन जिस एक रिकॉर्ड को वो इतिहास के पन्नो पर लाना भूल गए वो था एकदिवसीय मुकाबलो में 50 सतक। इस फॉरमेट में उनके नाम केवल 49 सतक ही रह गए।
#4. मोहम्मद यूसुफ

मजीद खान, ज़हीर अब्बास और सईद अनवर जैसे पाकिस्तानी बल्लेबाजों के नक्शे कदम पर चलने में यूसुफ ने देरी नहीँ की। 1998 में हरारे में अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुवात करने वाले यूसुफ 288 एकदिवसीय मुकाबले खेल चुके है। इन मुकाबलो में 41.71 की औसत से उन्होंने 9720 रन मारे है। पूरे पाकिस्तान बल्लेबाजो में सईद अनवर की 20 सतक के बाद इनके नाम सबसे ज्यादा 15 सतक है।
2010 के शुरुवात में ही यूसुफ , इंजमाम के बाद 10000 रनों का आंकड़ा छूने वाले दूसरे बल्लेबाज बन सकते थे।लेकिन खुद को कुछ समय के लिए क्रिकेट मैदान से दूर रखने का इनका फैसला इनको तकलीफ़ दे गया। साल 2010 में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने मैदान से दूर रखा और देखते ही देखते 10000 के आंकड़े से मात्र 280 रन पहले ही उन्हें संन्यास लेना पड़ा।
#5 ऐडम गिलक्रिस्ट

क्रिकेट मैदान में अगर किसी बल्लेबाज ने सही तौर पर विकेट कीपर बल्लेबाज की अहमियत को समझाया है तो वो थे गिलक्रिस्ट। एकदिवसीय और टेस्ट मैचों में रफ्तार के साथ रनों की भरमार लगाने वाले गिलक्रिस्ट ऑस्ट्रेलिया के ओपनर बल्लेबाज थे। इन्होंने टेस्ट में कुल 96 और एकदिवसीय क्रिकेट में कुल 287 मुकाबले खेले है।
50-50 के एकदिवसीय मुकाबलो में 96.94 के स्ट्राइक रेट से गिलक्रिस्ट ने कुल 9410 रन बनाए है। जब 2008 में उन्होंने संन्यास लिया तो उस समय तक वो सबसे ज्यादा रन बनाने वाले विकेट कीपर बल्लेबाज थे। गिलक्रिस्ट ने अपना आखिरी मुकाबला भारत के खिलाफ कामनवेल्थ बैंक सिरीज़ के दूसरे फाइनल के तौर पर खेला था। यह फाइनल भारत के नाम रहा था पर दर्शकों ने गिलक्रिस्ट को तालियों की गड़गड़ाहट के बीच क्रिकेट मैदान से अलविदा किया। वो 10000 के आंकड़े से मात्र 690 रन दूर रह गए।