पाकिस्तान में 13 साल पहले श्रीलंकाई टीम पर हुआ था आतंकी हमला, 2 गोली, 86 टांकों का दर्द सहने वाले अंपायर ने सुनाई दर्दनाक कहानी
Published - 03 Mar 2022, 10:44 AM

पाकिस्तान के अंपायर अहसान रजा (Ahsan Raza) ने श्रीलंकाई टीम पर हुए हमले की आपबीती बाताई. अहसान रजा ने मीडिया को एक इंटरव्यू दिया है. जिसमें उन्होंने इस घटना पर प्रकाश डाला. श्रीलंका की टीम 3 मार्च साल 2009 को पाकिस्तान में क्रिकेट खेलने गई थी. जिन पर दहाड़े दहशतगर्दों ने हमला कर दिया था. जिसके बाद पाकिस्तान में सभी देशों को टीमों ने क्रिकेट खेलना मना कर दिया था. इस घटना को भले ही 13 साल गये हो, लेकिन इस घटना को याद करके आज भी लोगों का दिल कांप जाता है. पाकिस्तान के अंपायर अहसान रजा (Ahsan Raza) भी इस घटना का शिकार हुए थे. अब उन्होंने इस घटना के बारे में विस्तार से बताया है.
अंपायर Ahsan Raza को लगी थी 2 गोलियां
3 मार्च साल 2009 का दिन क्रिकेट के इतिहास में सबसे काला दिन माना जाता हैं. क्योंकि लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम के निकट श्रीलंकाई क्रिकेट टीम की बस पर हुए आतंकी हमले में टीम के कई बड़े खिलाड़ी और अंपायर घायल हो गए थे. हमलावरों ने गद्दाफी स्टेडियम में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन के खेल से ठीक पहले स्टेडियम जा रही श्रीलंकाई टीम की बस पर अचानक हमला बोल दिया था. जिसमें पाकिस्तान के अंपायर अहसान रजा (Ahsan Raza) बुरी तरह से घायल हो गये थे.
इस घटना के दौरान अंपायर अहसान रजा ने भी खुद को बचाने काफा प्रयास किये. जब तक वो अपने आप को बचा पाते तब तक हमलावरों की दो गोलियां उनके शरीर में लग चुकी थी. गोली लगने के बाद शरीर से खून बहने लगा था. खून को रोकने के लिए रैफरी क्रिस ब्रॉड उनके शरीर पर ढ़ाल बने. उन्होंने ऐसा इसलिए किया जिससे अहसान के शरीर से खून निकलना बंद हो जाए. क्योंकि गोली लगने के बाद उनके शरीर से खून बंद नहीं हो रहा था. इस हमले में टीम के कप्तान महेला जयवर्धने, उपकप्तान कुमार संगकारा और स्पिनर अजंथा मेंडिस सहित पांच क्रिकेट खिलाड़ी घायल हुए थे. थिलान समरवीरा और थरंगा परावित्राना गंभीर रुप से घायल हुए थे.
'इस खैफनाक मंजर को भूल पाना है मुश्किल'
जब खिलाड़ियों पर हमले की बात आती है तो सबसे पहले 3 मार्च साल 2009 का दिन याद आता है. इस घटना से क्रिकेट जगत थरथरा उठा था. क्योंकि खिलाड़ी अपने अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनका बाहर की दुनिया से कोई मतलब नहीं रहता. हालांकि उन हमलावरों ने खिलाड़ियों को भी नहीं छोड़ा. अंपायर अहसान रजा (Ahsan Raza) आज जब भी वो उन जख्मों को देखते जो उन्हें इस घटना से मिले, तो खौफनाक मंजर दोबरा से याद आ जाता है.
"अंपायर अहसान रजा नहाते वक्त अपने शरीर की चोटों को जब वो देखते हैं तो एक ही सेकंड में सब कुछ याद आ जाता है लेकिन वो बुरी यादों के उस साए से अब बाहर आ चुके हैं. आज वो खेल के लोकप्रिय अंपायरों में शुमार हैं."