आकाश चोपड़ा और वीरेंद्र सहवाग ने लगाया आरोप, धोनी की वजह से खत्म हुआ इस प्रतिभाशाली भारतीय खिलाड़ी का करियर

बुधवार, 25 अक्टूबर को भारत और न्यूजीलैंड के बीच तीन वनडे मैचों की श्रृंखला का दूसरा मुकाबला पुणे में एमसीए क्रिकेट स्टेडियम में खेला गया. जहाँ मेजबान भारतीय क्रिकेट टीम ने शानदार खेल दिखाते हुए ना सिर्फ मुंबई में मिली हार का बदला लिया, बल्कि श्रृंखला हार से भी बच गयी.
धोनी और कार्तिक को लेकर हुए बड़े खुलासे
मैच के दौरान टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और दिनेश कार्तिक की जोड़ी को एक साथ बल्लेबाजी करते हुए देखा गया. दोनों खिलाड़ी टीम इंडिया को मैच जीतकर ही मैदान से लौटे. दोनों खिलाड़ियों के बीच नाबाद 28 रनों की साझेदारी देखने को मिली. महेंद्र सिंह धोनी जहाँ 18 रन बनाकर नाबाद लौटे, तो दिनेश कार्तिक के बल्ले से भी मैच जीताऊ 64 रनों की शानदार पारी निकली.
मैच के दौरान जब दोनों खिलाड़ी एक साथ बल्लेबाजी कर रहे थे, तब कमेंटरी बॉक्स में बैठे कमेंट्री कर रहे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी आकाश चोपड़ा और वीरेंद्र सहवाग ने दोनों के बारे में एक अनसुने किस्से का व्याख्यान किया. एक ऐसी बात बताई, जो शायद ही आप सभी को पता हो.
साल 2004-05 की हैं बात
जी हाँ ! यह बात आज से 13-14 साल पुरानी हैं. जब महेंद्र सिंह धोनी और दिनेश कार्तिक का चयन इंडिया ए की टीम में हुआ था और टीम को केन्या और ज़िम्बाब्वे का दौरा करना था. आकाश चोपड़ा ने बताया, कि
''उस दौरे पर दिनेश कार्तिक और एमएस धोनी एक साथ ही नेट्स पर बल्लेबाजी किया करते थे. कार्तिक, धोनी को नेट्स पर गेंदबाजी किया करते थे और धोनी उनके सामने बल्लेबाजी. दौरे पर दिनेश कार्तिक को मैच खेलने का मौका मिला था और धोनी बेंच पर बैठा करते थे.''
''उस दौरे के बीच में दिनेश कार्तिक का चयन भारतीय टीम में इंग्लैंड दौरे के हो गया और वह वहन चेले गये और इसी कारण एमएस धोनी को केन्या और ज़िम्बाब्वे में मैच खेलने का मौका मिला. उसके बाद जो हुआ वह इतिहास बन गया.''
इस पर वीरेंद्र सहवाग ने अपना जवाब देते हुए कहा, कि ''यह उसी का नतीजा हैं, कि आज धोनी के 308 मैच हो गये हैं और दिनेश कार्तिक सिर्फ 78 ही खेल सके हैं.''
गांगुली को दिया क्रेडिट
वीरेंद्र सहवाग ने आगे कहा, कि ''धोनी को धोनी बनाने में सबसे बड़ा हाथ उस समय के कप्तान सौरव गांगुली का रहा हैं. सौरव ने ही धोनी को नंबर पर तीन पर खेलने का मौका दिया. अगर दादा धोनी को उपरीक्रम में ना आजमाते तो शायद हमे कभी भी 148 और 183 जैसी पारियां देखने को ना मिलती और शायद धोनी का भी इतना बड़ा नाम ना होता.''
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