क्रिकेट जगत में पसरा मातम, दिग्गज खिलाड़ी एंडरसन का हुआ निधन
Published - 22 Aug 2025, 08:07 AM | Updated - 22 Aug 2025, 08:30 AM

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Anderson : क्रिकेट एक खेल नहीं कहानियो का भंडार है। कुछ खिलाड़ी ऐसे भी होते है जो क्रिकेट में अपनी गहरी छाप छोड़ जाते हैं जिन्हे लम्बे समय तक याद किया जाता हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी नाम होते हैं, जो क्रिकेट में लम्बा करियर और न ही लंबी सफलता पा सके। लेकिन कुछ खिलाड़ी इतिहास रच जाते हैं। इसी कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं एंडरसन (Anderson) की, जिनकी अचानक मौत हो गई।
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Anderson की अचानक मौत से लोगों को लगा झटका
एंडरसन के कई सालों तक क्रिकेट से दूर रहने के बाद लोग उन्हें भूल चुके थे। लेकिन अचानक से उनका नाम फिर सुर्खियों में आया जब 31 मई 2025 को न्यूजीलैंड के वांगारेई में 76 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
लेकिन उनका निधन रहस्यमयी रहा। एक ऐसा खिलाड़ी जो दशकों पहले मैदान छोड़ चुका था अचानक से अपनी मौत के बाद खबरों में क्यों आया? उनकी मौत को लेकर कोई साफ़ जानकारी सामने नहीं आई। क्या यह महज़ एक सामान्य मौत थी या फिर इसमें कोई अनकही कहानी छुपी है?
कौन है एंडरसन?
रोबर्ट एंडरसन (Robert Anderson) का जन्म 2 अक्टूबर 1948 को न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में हुआ था। रॉबर्ट एंडरसन 1976-77 में न्यूज़ीलैंड (New Zealand Cricket Team) लिए खेलते हुए पाकिस्तान दौरे पर अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की। शुरुआत करने से पहले ही वह एक पूरा दौरा कर चुके थे। उन्होंने 1973 में इंग्लैंड का दौरा किया था।
उन्होंने शुरुआती मैच में शतक के साथ दौरे की शुरुआत की और हालाँकि वे उस सफलता को दोहराने में नाकाम रहे, लेकिन उन्होंने तीनों टेस्ट मैच खेलने का दमखम दिखाया। उन्होंने अपने पदार्पण मैच में 92 रन बनाए, जो उनका सर्वोच्च स्कोर रहा, लेकिन भारत दौरे में वह अपनी जगह बरकरार नहीं रख पाए।
सपनो जैसा आगाज़ हुआ अंतराष्ट्रीय करियर
एंडरसन (Anderson) ने 1977-78 में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, जहाँ उन्होंने 38.59 की औसत से 849 रन बनाए, और इंग्लैंड के खिलाफ तीनों टेस्ट मैचों के लिए उन्हें टीम में शामिल किया गया और इसके तुरंत बाद इंग्लैंड के अपने दूसरे दौरे के लिए भी उन्होंने अपनी जगह बरकरार रखी।
हालाँकि, काउंटी मैचों में उन्हें सफलता मिली, जिसमें स्कॉटलैंड के खिलाफ करियर की सर्वश्रेष्ठ 155 रन की पारी भी शामिल है। लेकिन टेस्ट मैचों में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा, जहाँ उन्होंने छह पारियों में 29 रन बनाए। विजडन ने उन्हें "सबसे बड़ी निराशाओं" में से एक बताया। एंडरसन के पिता मैक ने द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद एक बार न्यूजीलैंड की ओर से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच खेला था।
एंडरसन का सपनों से गुमनामी तक का सफ़र
1976 से लेकर 1978 तक यानि केवल तीन सालों में एंडरसन (Anderson) का अंतर्राष्ट्रीय सीमित रहा। वह तीन टेस्ट मैचों और कुछ एक दिवसीय मुक़ाबले ही खेल पाए। उनके बल्ले से निकली चमक को दोहराना उनके लिए आसान नहीं था।
धीरे धीरे वह टीम से बाहर होते चले गए और क्रिकेट से गायब हो गए। उनके चाहने वालों के लिए यह किसी अधूरे अध्याय जैसा था। एक जो अच्छा खिलाड़ी जो अच्छे आगाज़ के बाद बड़ा नाम बन सकता था, वह अचानक से गुमनाम हो गया।
एंडरसन की पारिवारिक विरासत
रोबर्ट एंडरसन (Robert Anderson) के पिता डब्लू एम एंडरसन भी क्रिकेट से जुड़े थे और उनका बेटा टी आर एंडरसन भी इस खेल से अपना रिश्ता जोड़ चुका है, यानि क्रिकेट खेलना पारिवारिक परंपरा रही हैं। लेकिन फिर भी रोबर्ट की कहानी अधूरी रह गई। न वह केवल क्रिकेट के बड़े सितारे बने न ही उनकी ज़िन्दगी का अंत कुछ खास अच्छा रहा।
एंडरसन का रहस्य अब भी बाकी है…
आज जब कोई भी क्रिकेट प्रेमी उनके पुराने रिकॉर्ड्स पलटता है, तो उसके मन में यही सवाल उठता है। क्या रॉबर्ट एंडरसन (Robert Anderson) का करियर महज़ किस्मत का शिकार था? या उनकी मौत के पीछे कोई अनकही दास्तान छिपी है?
क्या वह क्रिकेट की दुनिया के भूले-बिसरे योद्धा थे या एक रहस्यमयी किरदार, जिनकी कहानी अब भी अधूरी है? उनकी ज़िंदगी और मौत दोनों ही क्रिकेट इतिहास का ऐसा पन्ना है, जिसे बार-बार पढ़ने पर भी जवाब नहीं मिलता।
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