क्रिकेट को जेन्टलमेन गेम भी कहा जाता है। आज क्रिकेट में पैसे खूब हैं, दुनियाभर में टी20 लीग खेली जाती हैं, जिसमें तमाम खिलाड़ियों को भारी रकम मिलती है। तो वहीं इस खेल का एक दूसरा पहलू भी है, जिसमें कुछ खिलाड़ियों को खराब आर्थिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से एक क्रिकेटर हैं, जिम्बाव्बे क्रिकेट टीम के रियान बर्ल (Ryan Burl)। उनके पास खेलने के लिए अच्छी कंडीशन के जूते तक नहीं हैं। उन्होंने इसके लिए सोशल मीडिया पर मदद मांगी है।
Ryan Burl ने मांगी मदद
Any chance we can get a sponsor so we don’t have to glue our shoes back after every series 😢 @newbalance @NewBalance_SA @NBCricket @ICAssociation pic.twitter.com/HH1hxzPC0m
— Ryan Burl (@ryanburl3) May 22, 2021
रियान बर्ल (Ryan Burl) 2017 में जिम्बाव्बे क्रिकेट टीम का हिस्सा बने। वह अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए 3 टेस्ट, 18 एकदिवसीय व 25 टी20 मैच खेल चुके हैं। हालांकि वह अब तक खाते में कुल 24 ही रन जुड़े हैं, जबकि वनडे में इस खिलाड़ी ने लगभग 21 की औसत से 243 रन बनाए हैं। बात करें, टी-20 की तो इस खिलाड़ी ने इस फॉर्मेट में टेस्ट और वनडे के मुकाबले बेहतर औसत से रन बनाए हैं। टी-20 में उनके नाम लगभग 25 की औसत से 349 रन दर्ज हैं।
उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर एक फोटो शेयर की है, जिसमें उनके जूते और ग्लू दिख रहा है। इसके कैप्शन में उन्होंने लिखा है कि, 'कोई है जो जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम के जूतों को स्पॉन्सर करना चाहता है, ताकि खिलाड़ियों को हर सीरीज के बाद सोल चिपकाने की जरूरत न पड़े।'
जिम्बाव्बे बोर्ड की स्थिति नहीं अच्छी
वैसे ये बात किसी से नहीं छिपी है कि जिम्बाव्बे का क्रिकेट बोर्ड कितना गरीब है। हाल ही में कुछ समय पहले ऐसी खबर सामने आई थी कि जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड के पास अपने खिलाड़ियों को देने के लिए पैसे भी नहीं थे और इसी के चलते कई खिलाड़ियों ने (तादेंदा तायबू और ब्रेडन टेलर) सहित इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था।
साल 2019 में तो आईसीसी ने भी ज़िम्बाब्वे क्रिकेट टीम को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से भी हटा दिया था। हालांकि, इसके बाद भी खिलाड़ी खुद के खर्चे पर खेलते रहे। जानकारी के लिए बता दें कि 90 के दशक में ऐसा बिल्कुल नहीं था और भले ही जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड तब भी ज्यादा अमीर भले ही न हो लेकिन उस समय टीम का विश्व क्रिकेट में एक अलग ही वर्चस्व हुआ करता था।