क्रिकेट के इतिहास में कई ऐसे कप्तान (Cricket Captain) आए हैं, जिन्होंने अपने निराले अंदाज से विश्व क्रिकेट में अपना योगदान दिया है। अब वो चाहे अच्छा हो या बुरा ये बहस का एक अलग विषय हो सकता है। लेकिन एक कप्तान की सोच ही मैदान में उतरे 10 खिलाड़ी और ड्रेसिंग रूम तक के माहौल को बनाती और बिगाड़ती है।
अपने देश की क्रिकेट टीम की कप्तानी करना खिलाड़ी के लिए सपने जैसा होता है। लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट के दबाव में इस जिम्मेदारी को संभालना हर किसी के बस की बात नहीं है। कई खिलाड़ी इस दबाव की स्थिति में बिखर जाते हैं और तो कुछ निखर जाते हैं।
कप्तानों (Cricket Captain) के बारे में इतनी बात इसीलिए की जा रही है क्योंकि, हम इस लेख के जरिए 5 ऐसे खिलाड़ियों के बारे में बात करने वाले हैं जिनको करियर के दौरान कप्तानी से हटने के बाद दोबारा ये जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
1. मोहम्मद नबी
अफगानिस्तान क्रिकेट टीम के हरफनमौला खिलाड़ी मोहम्मद नबी (Mohammed Nabi) अपने देश की क्रिकेट के सबसे अहम खिलाड़ियों में से एक हैं। गेंद और बल्ले से टीम के लिए अद्भुत योगदान देने की काबिलियत रखने वाले इस खिलाड़ी ने 2014 टी20 वर्ल्डकप और 2015 विश्वकप में अफगानिस्तान की अगुवाई की थी।
लेकिन खराब प्रदर्शन के चलते उन्होंने अप्रैल 2015 से कप्तानी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अब 7 साल के लंबे अंतराल के बाद मोहम्मद नबी को हाल ही में आयरलैंड के खिलाफ सीरीज में एक बार फिर अफगानिस्तान क्रिकेट टीम का कप्तान (Cricket Captain) नियुक्त किया गया है।
2. शाहिद अफरीदी
विश्व क्रिकेट के इतिहास के सबसे धाकड़ बल्लेबाजो में से एक शाहिद अफरीदी (Shahid Afridi) ने अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी से पूरी दुनिया में नाम कमाने वाले खिलाड़ी है। लेकिन एक कप्तान के तौर पर वे कामयाब नहीं हो पाए। अफरीदी को साल 2009 में टीम के टी20 प्रारूप की कप्तानी सौैंपी गई थी। हालांकि उस दौरान अफरीदी ने अपने देश के क्रिकेट बोर्ड से मतभेद होने के चलते समय से पहले ही संन्यास लेने की घोषणा कर दी थी.
इसके बाद साल 2014 में मोहम्मद हफीज के कैप्टेंसी से अचानक इस्तीफा देने के बाद एक बार फिर से शाहिद अफरीदी को टी20 प्रारूप की कमान सौंप गई थी। उन्हीं के नेतृत्व में पाकिस्तान टीम ने 19 टी-20 मैच खेले जिसमें टीम को 8 में जीत और 11 मैचों में हार झेलनी पड़ी। यहां तक कि एशिया कप 2022 और टी20 वर्ल्ड कप में भी पाकिस्तान टीम को उन्हीं की कप्तानी में करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके चलते उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। ऐसे में अफरीदी ने साल 2016 में एक बार फिर इस प्रारूप से अलविदा कह दिया था।
3. महेंद्र सिंह धोनी
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने अपने कार्यकाल में कई ऐसे अद्भुत कार्य किये हैं जो किसी भी आम खिलाड़ी के बस की बात नहीं है। रांची जैसे छोटे शहर से आने के बावजूद इस खिलाड़ी ने अपने 16 साल लंबे करियर में पूरी दुनिया को अपना मुरीद बनाया। माही ने विश्व क्रिकेट को कप्तान की एक नई परिभाषा गढ़ने पर मजबूर कर दिया।
एमएस धोनी अबतक एक मात्र ऐसे कप्तान (Cricket Captain) हैं जिन्होंने 3 आईसीसी ट्रॉफी अपने कैबिनेट में सजा रखी है। साल 2017 में उन्होंने लिमिटेड ओवर फॉर्मेट में बतौर कप्तान अपने पद से इस्तीफा देते हुए विराट कोहली को टीम की कमान सौंपने का फैसला किया था। लेकिन साल 2018 में अफगानिस्तान के खिलाफ उन्हें आखिरी बार टीम इंडिया की कप्तानी करते हुए देखा गया। क्योंकि इस दौरान विराट कोहली और उनके डिप्टी रोहित शर्मा को आराम दिया गया था।
4. शाकिब अल हसन
बांग्लादेश के शाकिब अल हसन (Shakib Al Hasan) सीमित ओवरों के खेल में अपने देश के लिए सबसे बड़े खिलाड़ी हैं। हरफनमौला प्रतिभा से लैस शाकिब ने तीनों फॉर्मेट में अपना लोहा मनवाया है। लेकिन लिमिटेड ओवर में उनका कोई सानी नहीं है। साल 2019 के विश्वकप में वे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में तीसरे स्थान पर थे।
लेकिन इसी टूर्नामेंट के बाद आईसीसी के नियमों की अवहेलना के मामले में उन्हें 1 साल तक इंटरनेशनल क्रिकेट से बैन कर दिया गया। जिसके चलते उनकी कप्तानी (Cricket Captain) भी चली गई। अब एक बार फिर टी20 विश्वकप 2022 से पहले बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड ने अपने अनुभवी खिलाड़ी पर भरोसा जताते हुए उन्हें दोबारा से टीम की अगुवाई का जिम्मा सौंपा है।
5. असगर अफ़ग़ान
अफगानिस्तान के दिग्गज बल्लेबाज असगर अफ़गान (Asghar Afghan) भी उन खिलाड़ियों की लिस्ट में अपनी जगह बनाते हैं जिनकी कप्तानी जाने के बाद दोबारा यही जिम्मेदारी सौंपी गई थी। साल 2018 में पहली बार उन्हें इंटरनेशनल स्तर पर कप्तानी (Cricket Captain) करने का मौका दिया गया था। लेकिन विश्वकप 2019 से ठीक पहले उनकी जगह गुलबदीन नाइब को कप्तान बनाने का ऐलान कर दिया गया।
राशिद खान और मोहम्मद नबी ने भी अपने देश के क्रिकेट बोर्ड के इस फैसले को सही नहीं करार दिया था। उस समय अफगानिस्तान क्रिकेट संकट के दौर से गुजर रहा था, विश्वकप के खराब प्रदर्शन के बाद नाइब पर गाज गिरी और एक बार फिर दिसंबर 2019 में ACB ने असगर को टीम की कमान सौंपने का फैसला किया।