4,4,4,4,4,4,4,4..... रणजी में पुजारा का गजब करिश्मा, 548 मिनट क्रीज पर टिके, खेली 427 बॉल, ठोके ऐतिहासिक रन

Published - 28 Oct 2025, 11:35 AM | Updated - 28 Oct 2025, 11:42 AM

Cheteshwar Pujara

भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा (Cheteshwar Pujara) ने रणजी ट्रॉफी के दौरान धैर्य और सटीकता का उत्कृष्ट उदाहरण पेश करते हुए अपने शानदार घरेलू करियर का एक और अध्याय लिखा। यह अनुभवी बल्लेबाज 548 मिनट तक क्रीज पर डटा रहा और 427 गेंदों का सामना पूरी एकाग्रता के साथ किया।

पुजारा (Cheteshwar Pujara) की पारी धैर्य, समय और दृढ़ संकल्प का मिश्रण थी, जो एक तरह से क्लासिक टेस्ट शैली की बल्लेबाजी की याद दिलाती है। लगातार बाउंड्री लगाते हुए, पुजारा ने अपनी मैराथन पारी को एक ऐतिहासिक उपलब्धि में बदल दिया। उनके प्रदर्शन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह भारत के सर्वश्रेष्ठ लाल गेंद विशेषज्ञों में से एक क्यों हैं।

रणजी में Cheteshwar Pujara का गजब करिश्मा

चेतेश्वर पुजारा का नाम लंबे समय से दृढ़ता का पर्याय रहा है, लेकिन 2012-13 के रणजी ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल में कर्नाटक के खिलाफ सौराष्ट्र की ओर से खेली गई उनकी ऐतिहासिक पारी ने "धीरज" शब्द को नई परिभाषा दी।

शुरुआत में ही मैदान पर उतरकर, पुजारा (Cheteshwar Pujara) ने गजब की एकाग्रता के साथ पारी को संभाला और आश्चर्यजनक रूप से 548 मिनट क्रीज पर बिताए। 427 गेंदों का सामना करते हुए, उन्होंने 352 रनों की शानदार पारी खेली - रणजी ट्रॉफी के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत प्रयासों में से एक।

Cheteshwar Pujara

उनकी पारी केवल आंकड़ों की नहीं थी, यह उनके स्वभाव, सटीकता और अनुशासन का परिणाम थी। हर रन सोचे-समझे शॉट चयन से आया, चाहे वह कवर्स के ऊपर से एक हल्का शॉट हो या मिड-ऑन के ऊपर से एक तेज ऑन-ड्राइव।

कर्नाटक के गेंदबाजों की अथक मेहनत के बीच, चेतेश्वर पुजारा ने मैच को तकनीकी महारत और मानसिक दृढ़ता के एक व्यक्तिगत प्रदर्शन में बदल दिया।

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सौराष्ट्र का दबदबा दीवार के इर्द-गिर्द बना

पुजारा (Cheteshwar Pujara) की शानदार पारी सौराष्ट्र की दूसरी पारी में घोषित 7 विकेट पर 757 रन के विशाल स्कोर की रीढ़ बन गई। शेल्डन जैक्सन (117) के कुशल समर्थन से, सौराष्ट्र के बल्लेबाजों ने कर्नाटक के गेंदबाज़ी आक्रमण को तहस-नहस कर दिया, जिसके पास लगातार बढ़ते रनों का कोई जवाब नहीं था।

कृष्णप्पा गौतम और अभिमन्यु मिथुन की अगुवाई में कर्नाटक के गेंदबाजों ने अथक प्रयास किया, लेकिन पिच से उन्हें ज़्यादा मदद नहीं मिल सकी। पुजारा (Cheteshwar Pujara) की पारी ने न केवल विपक्षी टीम का मनोबल गिराया, बल्कि अपनी टीम को नॉकआउट मुकाबले में जरूरी मनोवैज्ञानिक बढ़त भी दिलाई। उनके संयम ने सुनिश्चित किया कि सौराष्ट्र पहले दिन से ही नियंत्रण में रहे और खेल को एकतरफा बना दिया।

हालांकि पहली पारी में सौराष्ट्र के बनाए 469 के जवाब में 396 रन पर सिमटी कर्नाटक की टीम पहली पारी में पिछड़ने के कारण मुकाबला हार गई। लेकिन दूसरी पारी में पुजारा के कमाल ने कर्नाटक को आउट क्लास कर दिया।

युगों-युगों तक याद रहने वाली पारी

जब पुजारा (Cheteshwar Pujara) 352 रन बनाकर आखिरकार मैदान पर उतरे, तो उन्होंने अपने साथियों, विरोधियों और प्रशंसकों, सभी के लिए प्रशंसा की एक लहर छोड़ दी। उनके इस प्रयास ने सौराष्ट्र को सेमीफाइनल में पहुंचाया और एक बार फिर साबित कर दिया कि तेज रनों के दौर में धैर्य और तकनीक अमूल्य हैं।

इस पारी ने क्रिकेट प्रेमियों को टेस्ट शैली की बल्लेबाजी के शाश्वत मूल्य की याद दिलाया कि शान्त मन और अनुशासन दृढ़ता का मानक है, जो पुजारा ने क्रीज पर दिखाया।

यह एक घरेलू उपलब्धि से कहीं बढ़कर था; यह पुजारा (Cheteshwar Pujara) की अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के लिए तैयारी का प्रमाण था। 548 मिनट की उनकी पारी, जिसमें बाउंड्रीज़ तो थीं, लेकिन संयम भी था, हमेशा एक रणजी क्लासिक के रूप में याद की जाएगी—एक ऐसी पारी जो प्रथम श्रेणी क्रिकेट के असली सार का प्रतीक है।

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पुजारा ने 2012-13 के रणजी ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल में कर्नाटक के खिलाफ 427 गेंदों का सामना करते हुए 352 रनों की मैराथन पारी खेली थी।

अपनी इस शानदार पारी के दौरान पुजारा करीब 548 मिनट तक क्रीज पर डटे रहे।