4,4,4,4,4,4,4,4..... ऑस्ट्रेलिया के इस विध्वंसक बल्लेबाज के आगे गेंदबाज बेबस, 100-200 नहीं 452 रन की खेली ऐतिहासिक इनिंग
Published - 08 Oct 2025, 09:29 AM | Updated - 08 Oct 2025, 09:32 AM

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Australia: कभी-कभी क्रिकेट में कुछ पारियां ऐसी होती हैं जो सिर्फ रिकॉर्ड बुक में नहीं, बल्कि इतिहास के दिल में दर्ज हो जाती हैं। वह एक ऐसा मैच था जिसमें ऑस्ट्रेलिया (Australia) के एक बल्लेबाज ने ऐसा तूफान मचाया कि गेंदबाजों के कदम डगमगा गए, मैदान में बैठे दर्शक स्तब्ध रह गए और स्कोरबोर्ड जैसे रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
हर ओवर में चौके, हर सत्र में रनों की बरसात और सामने गेंदबाजों की पूरी थकान—यह किसी आम पारी की कहानी नहीं थी, बल्कि उस बल्लेबाज की थी जिसने क्रिकेट को नई परिभाषा दी।
पहली पारी में Australia की इस टीम का संघर्ष
साल था 1930, ऑस्ट्रेलिया (Australia) की प्रतिष्ठित घरेलू प्रतियोगिता शेफील्ड शील्ड का दौर चल रहा था, जहां न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड आमने-सामने थे। मैच की शुरुआत न्यू साउथ वेल्स ने की, लेकिन टीम का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। शुरुआती विकेट जल्दी गिर गए और बल्लेबाजों ने क्वींसलैंड के गेंदबाजों का सामना करने में संघर्ष किया।
पुड थर्लो और एलेक हरवुड ने बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए चार-चार विकेट झटके। पूरी टीम सिर्फ 235 रन पर सिमट गई। इस स्कोर ने मैच को शुरुआती दौर में ही संतुलन की स्थिति में पहुंचा दिया। न्यू साउथ वेल्स के बल्लेबाज बड़े स्कोर की तलाश में थे, लेकिन क्वींसलैंड के गेंदबाजों की सटीक लाइन और लेंथ के सामने वे टिक नहीं पाए।
क्वींसलैंड की पहली पारी – मामूली बढ़त, पर दबाव कायम
क्वींसलैंड ने जब अपनी पहली पारी की शुरुआत की, तो उनका लक्ष्य था एक मजबूत लीड लेना। लेकिन ऐसा हो नहीं सका। कप्तान लियो ओ’कॉनर ने 21 रन बनाए, जबकि एरिक बेंस्टेड ने 51 और विक्टर गुडविन ने 67 रन की उपयोगी पारियां खेलीं। इसके बावजूद टीम का कुल स्कोर 227 रन पर रुक गया — यानी न्यू साउथ वेल्स से सिर्फ 8 रन पीछे।
न्यू साउथ वेल्स के स्टार गेंदबाज स्टैन मैकेब ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 5 विकेट झटके, वहीं अलन फेयरफैक्स ने 3 विकेट लिए। इस तरह पहली पारी के बाद मुकाबला पूरी तरह बराबरी पर नजर आने लगा। लेकिन अगले दो दिनों में इस मैच का चेहरा बदलने वाला था।
डॉन ब्रैडमैन की ऐतिहासिक पारी
दूसरी पारी में जब न्यू साउथ वेल्स के शुरुआती विकेट जल्दी गिर गए, तो मैदान पर आए डॉन ब्रैडमैन। उस समय कोई नहीं जानता था कि वह इतिहास रचने वाले हैं। ब्रैडमैन ने शुरुआत से ही अपने आत्मविश्वास और क्लास का प्रदर्शन किया।
गेंदबाजों के हर प्रयास को उन्होंने सटीक टाइमिंग और सधे हुए शॉट्स से जवाब दिया। उनके बल्ले से चौके की आवाज पूरे मैदान में गूंज रही थी। क्वींसलैंड के गेंदबाज — थर्लो, हरवुड और रोवे — सभी ने कोशिश की, लेकिन ब्रैडमैन के सामने सब नाकाम रहे।
उन्होंने 465 गेंदों पर 452 रन नाबाद बनाए, जिसमें 49 चौके शामिल थे। उनका स्ट्राइक रेट उस दौर में लगभग अविश्वसनीय — 97.20 रहा। इस पारी में कप्तान एलन किप्पैक्स (115 रन) और स्टैन मैकेब (60 रन) ने भी अहम योगदान दिया, लेकिन यह मुकाबला पूरी तरह ब्रैडमैन के नाम रहा।
न्यू साउथ वेल्स ने अपनी दूसरी पारी 761/8 पर घोषित की और क्वींसलैंड के सामने पहाड़ जैसा लक्ष्य रख दिया। ब्रैडमैन की यह पारी न सिर्फ फर्स्ट-क्लास क्रिकेट की सबसे बड़ी पारी बनी बल्कि क्रिकेट के इतिहास की सबसे चमकदार कहानियों में से एक बन गई।

क्वींसलैंड की दूसरी पारी — एवरेट का कहर और शर्मनाक हार
इतने बड़े लक्ष्य के सामने क्वींसलैंड की टीम पूरी तरह ढह गई। टीम सिर्फ 84 रन पर ऑलआउट हो गई। न्यू साउथ वेल्स के तेज गेंदबाज सैम एवरेट ने कहर बरपाते हुए 6 विकेट झटके। बाकी गेंदबाजों ने भी सटीक लाइन के साथ दबाव बनाए रखा।
क्वींसलैंड के कप्तान लियो ओ’कॉनर (17 रन) और फ्रांसिस ब्रू (26 रन) को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा पार नहीं कर सका। नतीजा यह रहा कि न्यू साउथ वेल्स ने यह मुकाबला एक पारी और 449 रन से अपने नाम किया — जो उस समय फर्स्ट-क्लास इतिहास की सबसे बड़ी जीतों में से एक थी।
क्रिकेट इतिहास में दर्ज हुआ ब्रैडमैन का चमत्कार
डॉन ब्रैडमैन की 452 रन नाबाद की यह पारी लंबे समय तक फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में किसी भी बल्लेबाज का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर बनी रही। यह केवल एक रिकॉर्ड नहीं था, बल्कि धैर्य, क्लास और मानसिक मजबूती का जीवंत उदाहरण था।
1930 के दशक में जब न आधुनिक उपकरण थे, न सुरक्षात्मक हेलमेट, तब ब्रैडमैन ने गेंदबाजों पर ऐसा दबदबा बनाया जो आज तक याद किया जाता है। उनकी यह पारी क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक सबक बन गई — कि अगर प्रतिभा, अनुशासन और आत्मविश्वास एक साथ हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।
ब्रैडमैन की यह पारी आज भी क्रिकेट के इतिहास में “ब्रैडमैन स्पेशल” के नाम से जानी जाती है — एक ऐसी इनिंग जिसने यह साबित किया कि असली महानता सिर्फ रन बनाने में नहीं, बल्कि इतिहास गढ़ने में होती है।