विश्व क्रिकेट में 50 ओवर के वर्ल्ड कप (World Cup) से बड़ा कोई टूर्नामेंट नहीं है। हर क्रिकेटर न केवल विश्व कप (World Cup) में खेलना चाहता है बल्कि चैंपियन टीम का हिस्सा बनकर सफलता के शिखर को भी हासिल करना चाहता है। क्रिकेट की दुनिया भर के बहुत सारे क्रिकेटरों को वर्षों से इस टूर्नामेंट में भाग लेने का सौभाग्य मिला है। ये खिलाड़ी वे हैं जिन्होंने विश्व कप (World Cup) की महिमा का स्वाद चखा है।
वहीं कुछ भारतीय खिलाड़ी ऐसे भी हैं जिन्हें अपनी-अपनी टीमों का प्रतिनिधित्व करने के लिए बेहतरीन होने के बावजूद विश्व कप (World Cup) में अपने देश के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। इन खिलाड़ियों को टीम इंडिया के चयनकर्ताओं ने नजरअंदाज किया, हालांकि वह टीम का हिस्सा बनने के हकदार थे। इस आर्टिकल में हम पांच ऐसे ही भारतीय क्रिकेटरों के बारे में बात कर रहे हैं जो विश्व कप (World Cup) में नेशनल टीम की तरफ से खेलने में असफल रहे।
5 खिलाड़ी जिन्हें नहीं मिला World Cup खेलने का सुनहरा मौका
रोहित शर्मा (2011)
टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा को अच्छी फॉर्म में होने के बावजूद साल 2011 में एकदिवसीय वर्ल्ड कप टीम इंडिया में शामिल नहीं किया गया था। एमएस धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने 2 अप्रैल 2011 को दूसरी बार विश्व कप का खिताब जीता। फाइनल मैच में श्रीलंका को मात देकर टीम ने विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया।
उस टीम में कई दिग्गज सितारे थे हालांकि उस दौरान रोहित शर्मा से ज्यादा कोहली को तवज्जो दिया गया था। 2011 वर्ल्ड कप टीम से ड्रॉप किए जाने के बाद रोहित शर्मा ने भारत के लिए क्रिकेट में बल्ले से अहम योगदान दिया और 2015 वर्ल्ड कप (World Cup) टीम में अपनी जगह पक्की की। इसके बाद से से उनका बोलबाला लगातार भारतीय टीम में जारी है. हिटमैन के क्रिकेट करियर की बात करें तो उन्होंने टीम इंडिया के लिए डेब्यू साल 2007 में किया था। तब से लेकर अब तक उन्होंने 226 पारियों में 9376 रन बनाए हैं।
युवराज सिंह (2015)
भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी युवराज सिंह का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है। साल 2015 में खेले गए वर्ल्ड कप (World Cup) में यूवी को टीम इंडिया का हिस्सा नहीं बनाया गया था। हालांकि उन्हें उस समय टीम से ड्रॉप करने की कई वजह थी। उस समय युवराज का वनडे क्रिकेट में प्रदर्शन बेहद ही खराब चल रहा था। इसके अलावा उनमें पहले जैसी एकाग्रता नहीं रही थी।
युवराज कैंसर की घातक बीमारी से उबर तो गए थे, लेकिन दुर्भागयवश उसका असर उन पर साफ-साफ दिखाई दे रहा था। उनकी जगह टीम में रवींद्र जडेजा ने ले ली थी। धोनी की नजर में जडेजा बेहतर कर सकते थे। इसलिए बीसीसीआई चयनकर्ताओं ने भी युवराज से ज्यादा जडेजा पर भरोसा जताया था। बीमारी के बाद वापसी कर रहे युवराज की तकनीक और रिफ्लेक्स में भी कमी आ गई थी। उनकी फिटनेस भी पहले जैसी नहीं थी और उनका वजन भी बढ़ा हुआ था, जो शायद दवाओं का असर था। ऐसे में उन पर दांव खेलना बीसीसीआई के लिए जोखिम भरा हो सकता था।
युजवेंद्र चहल (2021)
टीम इंडिया के स्पिनर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) भी उन बदकिस्मत खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्हें वर्ल्ड कप (World Cup) के एक एडिशन में अपनी टीम के लिए खेलने का मौका नहीं दिया गया। साल 2021 में युजवेंद्र को टी20 वर्ल्ड कप टीम इंडिया में जगह नहीं मिल पाई थी। चयनकर्ताओं ने आर अश्विन, राहुल चाहर, वरुण चक्रवर्ती को विश्व कप टीम में चुना लेकिन चहल को टीम से बाहर का रास्ता दिखाया। उनके समय चहल शानदार फॉर्म में चल रहे थे।
उन्होंने आईपीएल 2021 में कुल 18 विकेट लिए और सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों की लिस्ट में छठे गेंदबाज रहे। चहल ने आईपीएल के 14वें सीजन के भारत चरण में कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया था, लेकिन यूएई चरण में उनका प्रदर्शन बेहतरीन रहा। चहल ने यूएई में एक स्पिन गेंदबाज के रूप में खुद को साबित किया था, लेकिन उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया था। इसके बाद फैंस ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहीर की थी।
इरफान पठान (2011)
पूर्व भारतीय कप्तान क्रिस श्रीकांत के नेतृत्व में भारत के चयनकर्ता पैनल ने 2011 विश्व कप के लिए 30 सदस्यीय की टीम का चयन किया था। लेकिन इन 30 खिलाड़ियों में इरफान पठान का नाम शामिल नहीं था। पठान ने 2007 टी20 विश्व कप (World Cup) में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। इसके बावजूद उन्हें तीन साल बाद 2011 में वर्ल्ड कप खेलने का मौका नहीं मिल पाया।
इरफान पठान ने 2000 के दशक में बाएं हाथ के तेज गेंदबाज के रूप में अपनी पहचान बनाई। इरफान ने अपने सफल करियर में 120 वनडे खेले और उनमें 173 विकेट लिए। दुर्भाग्य से यह खिलाड़ी एक भी विश्व कप नहीं खेल सका। 2009 में टीम से बाहर किए जाने के बाद इरफान पठान ने 2011 और 2012 में वापसी करने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए।
अंबाती रायडू (2019)
विश्व कप 2019 (World Cup) में उम्मीद की जा रही थी कि अंबाती रायुडू को भारतीय टीम में खाली नंबर चार के लिए चुना जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उनके हाथों एक बार फिर निराशा ही लगी। रायडू ने भारत के लिए साल 2013 में जिम्बाब्वे के खिलाफ़ मुकाबला खेलकर अपने वनडे करियर की शुरुआत की थी। हालांकि उन्हें कभी अच्छा तो कभी बुरा प्रदर्शन कर टीम से बाहर और अंदर होते रहे।
लेकिन साल 2015 में उनका वर्ल्ड कप टीम में चयन हुआ, मगर उन्हें एक भी मुकाबला खेलने का मौका नहीं मिल पाया। इसके बाद अंत में साल 2019 में उन्हें टीम से ही बाहर कर दिया गया। अंबाती का करियर कुछ खास बड़ा नहीं रहा। उन्होंने 50 वनडे मैच खेलते हुए 1694 रन बनाए, जबकि 5 टी20 मैच की पारियों में 42 रन जोड़े।