BCCI पर टूटा दुखों का पहाड़, कोर्ट ने 538 करोड़ देने की सुनाई पनिशमेंट, सामने आई चौंका देने वाली वजह
Published - 19 Jun 2025, 12:52 PM | Updated - 19 Jun 2025, 12:58 PM

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BCCI : हाल ही में IPL 2025 का समापन हुआ। इस लीग के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी (BCCI) ने करोड़ों रुपए कमाए। लेकिन टूर्नामेंट खत्म होने के कुछ ही दिनों बाद उन्हें करोड़ों रुपए का चूना लगने वाला है। क्या है पूरा मामला, IPL की वजह से बीसीसीआई पर कैसे आई इतनी बड़ी मुसीबत। तो चलिए इसका जवाब नीचे दी गई रिपोर्ट में बताते हैं....?
BCCI के खिलाफ सुनाया कोर्ट ने फैसला
दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को बड़ा झटका दिया है। 2011 में आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट को लेकर विवाद पैदा होने के बाद आर्बिट्रेशन ने कोच्चि टस्कर्स केरल टीम के मालिकों के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके अनुसार भारतीय बोर्ड को टीम मालिकों को 538 करोड़ आईपीएल फ्रेंचाइजी कोच्चि टस्कर्स केरल के मालिकों को मुआवजे के तौर पर देने होंगे।
बीसीसीआई ने आखिर क्या किया?
न्यायमूर्ति रियाज चागला की एकल पीठ ने बीसीसीआई (BCCI)की समीक्षा याचिका खारिज कर दी। उन्होंने 2015 में उच्च न्यायालय में मध्यस्थता पुरस्कार को चुनौती दी थी। बोर्ड ने 2011 आईपीएल सत्र में भाग लेने वाली कोच्चि टस्कर्स पर फ्रेंचाइजी समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।
इसके बाद टीम को अगले सत्र में खेलने की अनुमति नहीं दी थी। लेकिन बोर्ड उल्लंघन का खुद ही दोषी पाया गया। तब कोर्ट ने भारतीय बोर्ड को 538 करोड़ रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया था। लेकिन भारतीय बोर्ड ने ट्रिब्यूनल के फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
बीसीसीआई ने स्वयं अनुबंध का उल्लंघन किया
अदालत ने कहा, "मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 के तहत इस अदालत का अधिकार क्षेत्र बहुत सीमित है। बीसीसीआई की याचिका इसी धारा के अंतर्गत आती है। क्रिकेट बोर्ड इस फैसले पर सवाल नहीं उठा सकता क्योंकि वह सबूतों और योग्यताओं से संतुष्ट नहीं है।"
बीसीसीआई (BCCI)द्वारा कोच्चि फ्रेंचाइजी को बर्खास्त करना अनुबंध का उल्लंघन है। अदालत ने कहा है कि मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 के तहत अदालत के पास हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाइश नहीं है।
इन दोनों कंपनियों के पास स्वामित्व
यह विवाद तब उत्पन्न हुआ जब बीसीसीआई ने सितंबर 2011 में कोच्चि टस्कर्स केरल फ्रेंचाइजी को समाप्त कर दिया, जिसका नेतृत्व रोंडीवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड (आरएसडब्लू) करता था और बाद में कोच्चि क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड (केसीपीएल) द्वारा संचालित किया गया।
लेन-देन अनुबंध के अनुसार किया जाता
इंडियन प्रीमियर लीग के अंतर्गत अलग-अलग कंपनियों के पास अलग-अलग टीमें हैं। कई टीमें 2008 से लगातार इस प्रतियोगिता में भाग ले रही हैं। बीसीसीआई (BCCI) इन टीमों के मालिकाना हक वाली कंपनियों के साथ कुछ समझौते करता है।
इन समझौतों के अनुसार, टीमों के मालिकाना हक वाली कंपनियों और बोर्ड के बीच वित्तीय और अन्य लेन-देन होते हैं। ऐसा ही कुछ कोची की टीम के साथ था। हालांकि, बोर्ड ने इस समझौते के उल्लंघन के लिए कोच्चि टास्कर्स के मालिक आरएसडब्लू को दोषी ठहराया। इस मामले में कोच्चि क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का भी नाम आया, जिसे बाद में कोच्चि टीम का स्वामित्व सौंप दिया गया