‘सिपाही’ के बेटे ने WC में मचाया धमाल, पढ़िए U-19 स्टार रवि कुमार के संघर्ष की पूरी कहानी

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Rahil Sayed
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अंडर 19 वर्ल्डकप 2022 में टीम इंडिया का प्रदर्शन ज़बरदस्त रहा है. टीम के बल्लेबाज़ों और गेंदबाज़ों ने सबको काफी प्रभावित किया है. ऐसे में टीम के लेफ्ट आर्म तेज़ गेंदबाज़ रवि कुमार (Ravi Kumar) ने वर्ल्ड कप के क्वाटर फाइनल मुकाबले में बांग्लादेश के खिलाफ गज़ब की गेंदबाज़ी की है. उन्होंने अपने पूरे स्पेल में 3 विकेट चटकाकर केवल 14 रन दिए. साथ ही एक मेडिन ओवर भी डाला. उनके इस प्रदर्शन का बांग्लादेश के खिलाफ टीम को जीत दिलवाने में काफी एहम योगदान रहा है. बांग्लादेश की पारी को भारत ने केवल 111 रनों पर समाप्त कर दिया था. जिसके चलते भारत ने मुकाबला 5 विकेटों से जीत लिया. अगर बात करें रवि कुमार की तो उनकी प्रशंसा देखते ही बनती है.

Ravi Kumar का अंडर 19 वर्ल्डकप तक का सफर नहीं था आसान

ravi kumar

अंडर 19 भारतीय टीम के तेज़ गेंदबाज़ रवि कुमार (Ravi Kumar) का वर्ल्डकप तक का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था. आपको बता दें कि, रवि को अंडर 16 खेमे में से बर्खास्त कर दिया गया था क्योंकि बोन टेस्ट में रवि की उम्र ज़्यादा आ रही थी. लेकिन इसके बाद भी इनका जोश ठंडा नहीं हुआ. इन्होंने खूब मेहनत की जिसके चलते इनको मांकड़ ट्रॉफी में बंगाल अंडर 19 टीम को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला.

उस टूर्नामेंट में रवि (Ravi Kumar) का प्रदर्शन वाकई तारीफ के काबिल रहा. जिसके बाद उनको चैलेंजर्स ट्रॉफी और एशिया कप में भी खेलने का मौका दिया गया था. ग़ौरतलब है कि इन सब के बाद इनको भारतीय टीम के अंडर 19 विश्वकप के स्क्वाड के लिए चुन लिया गया.

इस तेज़ गेंदबाज़ का मन कभी पढ़ाई में नहीं लगा. शुरू से ही उनका रुझान खेल की ओर ज़्यादा था. जिसके चलते उनकी मां उनसे काफी परेशान भी रहती. रवि की पढ़ाई को लेकर उनको बहुत चिंता होती थी. रवि कुमार के पिता ने खुलासा किया कि जब रवि को पढ़ाई के संबंध में कुछ कहते थे, तो वह आगे से कहता, "आज आप मुझे रोक रही हैं, एक दिन ऐसा आएगा कि आप मुझे टीवी पर देखोगे."

मज़े-मज़े में किया था क्रिकेट खेलना शुरू

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कुछ समय बाद रवि (Ravi Kumar) कोलकाता चले गए थे और फिर वहां खेलने भी लगे. असल में रवि कुमार अपनी ज़िंदगी से कुछ और ही चाहते थे. उनका क्रिकेटर बनने का लक्ष्य नहीं था. ग़ौरतलब है कि रवि को एयर फाॅर्स में भर्ती होना था. लेकिन शानदार कोच अमित भारद्वाज से मिलने के बाद से उन्होंने क्रिकेट को सीरियसली लेना शुरू किया और आज ये मुकाम हासिल किया.

राजिंदर सिंह, रवि कुमार (Ravi Kumar) के पिता पेशे से सीआरपीएफ में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर हैं और उनकी पोस्टिं अभी ओडिसा के नक्सल प्रभावित रायगड ज़िले में है. राजिंदर सिंह ने अपने बेटे की गेंदबाज़ी के संदर्भ में इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि,

"कल तक तो कोई राजिंदर को यहां जानता नहीं था. आज सब साहब जानते हैं. रवि का पापा राजिंदर के हमारी यूनिट में चर्चा है. सब अफसरों ने मुझे बुलाया और बधाई दी."

वहीं तेज़ गेंदबाज़ ने अपने पिता के संबंध में कहा कि,

"कभी-कभी ख्याल आते हैं कि यार ये तो बहुत टफ है लेकिन तब मैं पापा के बारे में सोचता हूं. उनके जॉब से ज्यादा और क्या टफ हो सकता है. हर दिन वे जंगल में जाते हैं. उन्हें पता ही नहीं होता कि आगे क्या है. इन सबके साथ ही वे हमारे लिए भी काफी कुछ करते हैं."

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