रणजी ट्रॉफी का रोमांच अंतिम चरण में चल रहा है। 3 से जनवरी से उत्तराखंड और बंगाल के बीच मुकाबला खेला जा रहा है। इस मुकाबले में बंगाल के सलामी बल्लेबाज अभिमन्यु ईश्वरन (Abhimanyu Easwaran) ने शतकीय पारी खेली। उनकी इस पारी की खास बात यह रही कि, जहां यह मुकाबला खेला जा रहा है, वह स्टेडियम उनके ही नाम पर बना हुआ। वहीं इस मैदान पर वह पहली बार कोई मुकाबला खेल रहे हैं। इसी बीच उन्होंने यह कीर्तिमान अपने नाम कर लिया है।
Abhimanyu Easwaran ने जड़ा लगातार 5वां शतक
अपनी धाकड़ बल्लेबाजी के दम पर अभिमन्यु ईश्वरन ने टीम इंडिया में अपनी दावेदारी मजबूत कर दी है। उन्होंने उत्तराखंड के खिलाफ मुकाबले में सैकडा जड़ एक कीर्तिमान हासिल कर लिया है। दरअसल, जहां यह मुकाबला खेला जा रहा है उस मैदान का नाम उनके नाम पर ही बना हुआ यानि कि यह मुकाबला अभिमन्यु क्रिकेट अकेडमी पर खेला जा रहा है।
इस मुकाबले में उन्होंने फर्स्ट क्लास करियर का अपना 5वां लगातार शतक ठोका। इस शतक के साथ ही उनके नाम घरेलू क्रिकेट में 20 शतक हो गए हैं। अभिमन्यु ईश्वरन ने पहले दिन का खेल खत्म होने तक 238 गेंदो में नाबाद 141* रन बना लिए है। उनकी इस पारी में उन्होंने 12 चौके और 1 गगनचुंबी छक्का जड़ा।
Abhimanyu Easwaran के पिता ने बनाया उनके नाम से स्टेडियम
अभिमन्यु ईश्वरन (Abhimanyu Easwaran) के पिता उन्हें बचपन से ही भारतीय टीम के लिए खेलता हुआ देखना चाहते हैं। जिस वजह से उन्होंने अभिमन्यु को खुद से कोचिंग देना शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने पाई-पाई जोड़कर यह स्टेडियम उनके नाम पर बनवाया। बता दे कि, अभिमन्यु ईश्वरन का जन्म उत्तराखंड के देहरादून में हुआ था। हालांकि, वह घरेलू क्रिकेट में बंगाल की तरफ से प्रतिनिधित्व करते है। ईश्वरन के पिता ने साल 2006 में अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी का निर्माण कराया था।
यहीं पर उत्तराखंड और बंगाल के बीच मैच खेला जा रहा है और अभिमन्यु (Abhimanyu Easwaran) ने यहीं पर सैकड़ा जमा दिया। इससे पहले अभिमन्यु ने बांग्लादेश ए के खिलाफ 2 टेस्ट मुकाबलो में लगाततार दो शतक जड़े थे। इसी के बूते उन्हें टीम इंडिया में रोहित शर्मा की जगह शामिल किया गया था। हालांकि, इस दौरान उन्हें एक भी मुकाबला खेलने का मौका नहीं मिला था।
Abhimanyu Easwaran के पिता ने किया स्ट्रगल
अभिमन्यु (Abhimanyu Easwaran) के पिता का नाम आरपी ईश्वर है। वह पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। वह बचपन से ही क्रिकेटर बनना चाहते थे। लेकिन, घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वे खेल नहीं सके। उन्होंने अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए काफी स्ट्रगल किया। अखबार बांटने और आइसक्रीम बेचते हुए उन्होंने सीए की परीक्षा को पास किया था। इसके बाद उन्होंने खेल में दोबारा से कदम रखा। वे कभी खेल से दूर नहीं रह सकते थे। इसीलिए उन्होंने 2005 में स्टेडियम बनवाना शुरू किया। वे मानते हैं कि उनका सौभाग्य है कि उनका बेटा क्रिकेटर है। हालांकि उनका सपना है कि अभिमन्यु भारत की तरफ से 100 से ज्यादा टेस्ट खेल सके।