5 ऐसे विकेटकीपर जिन्होंने दस्ताना छोड़ पकड़ी बॉल और झटका विकेट, एक को मिली जान से मारने की धमकी

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Abhishek Srivastava
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हर क्रिकेट टीम के लिए सबसे जरूरी अंगों में से एक होता है बेहतरीन विकेटकीपर (wicketkeeper)। विकेटकीपर को टीम का सबसे चपल और तेज खिलाड़ी के तौर पर माना जाता है। बल्लेबाज के बैट से लगकर गेंद कितनी दूर से निकले या फिर गेंदबाज की कौन सी गेंद कितनी घूमे इसका बखूबी अंदाजा लगाकर डाइव मारना होता है। पिछले दशक से एक विकेटकीपर को बल्ले से भी खेल का जौहर दिखाना होता है। लेकिन, मजेदार नजारा तब होता है जब एक विकेटकीपर गेंद पकड़ कर विकेट झटक लेता है। आज हम ऐसे ही कुछ खिलाड़ियों की बात करेंगे जिन्होंने गेंद से भी जौहर दिखाया है।

इन 5 Wicketkeepers ने की है गेंदबाजी

1. एडम गिलक्रिस्ट (Adam Gilchrist)

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दुनिया के सबसे दिग्गज विकेटकीपरों में से एक एडम गिलक्रिस्ट ने टेस्ट क्रिकेट में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा शिकार (416) किए हैं। युवा Wicketkeeper उन्हें अपना आदर्श मानते हैं और उनके जैसा ही बनने का सपना भी देखते हैं। विकेट के पीछे ग्लब्स से और विकेट के आगे बात से जौहर दिखाने वाले इस खिलाड़ी ने गेंद से भी कमाल दिखाया था।

बात एडम गिलक्रिस्ट के आखिरी आईपीएल करियर की है जो 2013 में था। किंग्स इलेवन पंजाब की ओर से अपना आखिरी आईपीएल मैच खेलते समय एडम भाईसाहब ने एक ही गेंद फेंकी और स्ट्राइक पर थे मुंबई इंडियंस के हरभजन सिंह। भज्जी ने उनकी गेंद को हवा में भेज दिया। लेकिन, गेंद ज्यादा दूरी नहीं तय कर सकी जिस करण गुरकीरत मान ने सीमारेखा पर उसे पकड़ लिया।

2. मार्क बाउचर (Mark Boucher)

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टेस्ट क्रिकेट में 147 मैचों में सबसे 5500 से ज्यादा रन बनाने वाले दक्षिण अफ्रीकी विकेटकीपर बल्लेबाज मार्क बाउचर के नाम सबसे ज्यादा 555 शिकार दर्ज हैं। Wicket के आगे और पीछे दोनों ही जगह टीम के लिए बेहतरीन खेल का मुजायरा पेश करने वाले मार्क ने कुल 999 अंतरराष्ट्रीय शिकार अपने नाम किए हैं। यही नहीं उनके नाम एक टेस्ट विकेट भी दर्ज है।

मार्क बाउचर ने 2005 में सेंट जॉन्स मैडम पर वेस्टइंडीज के खिलाफ गेंदबाजी की थी। उस मैच में बाउचर ने शतकवीर बल्लेबाज ड्वेन ब्रावो का विकेट लिया था। जिनका कैच एशवेल प्रिंस ने पकड़ा था। आपको बता दें कि इस मैच में एबी डिविलियर्स ने भी दो विकेट लिए थे, लेकिन तब वो विकेटकीपिंग नहीं करते थे।

3. महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni)

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क्रिकेट इतिहास के सबसे अच्छे Wicketkeeper और कप्तानों ने शुमार महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट को एक अलग ही मुकाम पर ले गए। उनके नाम आईसीसी की सभी ट्रॉफियां जीतने का रिकॉर्ड है। धोनी उम्र के उस पड़ाव में पहुंच चुके हैं जहां खेलना आसान नहीं है। बावजूद इसके धोनी कठिन से कठिन कीपिंग को इतनी आसानी से करते हैं, कि युवा खिलाड़ी भी शर्मा जाए।

अब बात धोनी के उस मैच की जब उन्होंने दस्ताने छोड़ कर गेंद पकड़ ली थी। यह मैच 2009 की चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था। धोनी ने इस मैच में ट्रैविस डेवलीन को 14 रन पर बोल्ड कर दिया था। इतना ही नहीं धोनी ने 2011 के इंग्लैंड दौरे और 2013 में आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी में भी गेंदबाजी की थी।

4. सैयद किरमानी (Syed Kirmani)

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1983 क्रिकेट विश्व कप विजेता भारतीय टीम का हिस्सा रहे सैयद किरमानी को देश के महान Wicketkeepers में गिना जाता है। किरमानी ने 88 टेस्ट मैचों में 2 शतक और 12 अर्धशतकों के साथ 2759 रन बनाए हैं। यही नहीं उनके नाम एक टेस्ट विकेट भी दर्ज है। बात पाकिस्तान के खिलाफ 1983 में नागपुर में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच की है। जिसमें इंडिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की थी।

इंडिया ने अपनी पहली पारी में 245 और दूसरी पारी में 262 रन बनाए थे। जबकि पाकिस्तान ने पहली पारी में 322 रन बनाने के बाद दूसरी पारी में 186 रनों का पीछा करने उतरा। लेकिन, मैच का कोई नतीजा नहीं निकला। पाकितान की दूसरी पारी में सिर्फ एक Wicket ही गिरा था वो भी अजीम हफीज का। जिन्हें विकेटकीपर सैयद किरमानी ने 18 रन पर बोल्ड कर दिया था।

5. तेटेंदा ताइबू (Tatenda Taibu)

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जिम्बाम्बे के पूर्व कप्तान तेटेंदा ताइबू के नाम कप्तानी का एक अनोखा ही रिकॉर्ड है। ताइबू वनडे में चौथे और टेस्ट के दूसरे सबसे कम उम्र के कप्तान थे। यही नहीं उनका नाम जिम्बाम्बे के बेहतरीन Wicketkeeper में गिना जाता है। टेस्ट में 62 और वनडे में 147 शिकार करने वाले इस छोटे कद के जिम्बाम्बे के पूर्व कप्तान ने कुल तीन अंतरराष्ट्रीय विकेट भी झटके हैं।

2004 में जब श्रीलंका की टीम जिम्बाम्बे गई थी तब हरारे में खेले गए पांचवें वनडे मैच में Tatenda Taibu ने 10 ओवर गेंदबाजी कर के 42 रन दिए थे। साथ ही उपुल चंदाना और थिलिना कन्दम्बी के Wicket झटके थे। यही  नहीं 2004 में ही श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच भी उन्होंने सनथ जयसूर्या का भी विकेट लिया था। जिसके बाद ताइबू को जिम्बाम्बे की मुगाबे सरकार से जान से मारने की ढकी भी मिली थी। इसी डर से तेटेंदा ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया था।

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