Farewell Match: किसी क्रिकेटर की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से विदाई किस तरह से होनी चाहिए, इसके लिए कोई खास मानक तो नहीं बने हैं. लेकिन, एक बात स्पष्ट तौर पर कही जा सकती है कि जब भी किसी क्रिकेटर की विदाई हो तो स्टेडियम में उसके फैंस के बीच तालियों की गड़गड़ाहट के साथ होनी चाहिए.
खासकर ऐसे खिलाड़ियों की विदाई यादगार होनी चाहिए, जिन्होंने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया और सिर्फ भारत के लिए लंबे समय तक योगदान दिया है. लेकिन, टीम इंडिया के कई ऐसे महान क्रिकेटर रहे जिन्हें बीसीसीआई फेयरवेल मैच तक खेलने का मौका नहीं दे सकी.
इस लिस्ट में एक-2 नहीं बल्कि टीम इंडिया के कई महान खिलाड़ियों का नाम दर्ज है जो लंबे समय तक विदाई मैच (Farewell Match) के लिए तरसते रहे और आखिरकार जब उन्हें बोर्ड ने ये मौका नहीं दिया तो उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी. आज हम अपनी इस खास रिपोर्ट में आपको टीम इंडिया के ऐसे ही 5 महारथी क्रिकेटरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके साथ बीसीसीआई (BCCI) ने नाइंसाफी की और उन्होंने बिना विदाई मैच के ही क्रिकेट करियर को अलविदा कह दिया...
1. राहुल द्रविड़
इस लिस्ट में पहला नाम टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और मौजूदा समय में भारतीय टीम के कोच राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) का आता है, जिन्होंने टीम इंडिया को लंबे समय तक सेवाएं दी. लेकिन, साल 2012 में उन्होंने एमएस धोनी की कप्तानी में खेलते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. भारत के सिर्फ दो ही ऐसे बल्लेबाज हैं, जिन्होंने टेस्ट और वनडे दोनों में 10,000 से ज्यादा रनों का अंबार लगाया और उनमें से एक नाम द्रविड़ का ही है.
वहीं दूसरा नाम सचिन तेंदुलकर का है. द्रविड़ ने टेस्ट में 13288 रन बनाए हैं, जिसमें 36 शतक और 63 अर्धशतक शामिल हैं. वहीं वनडे फॉर्मेट में उन्होंने 10,889 रन बनाए हैं. जिसमें उनके 12 शतक भी दर्ज है. बतौर फील्डर सबसे ज्यादा कैच लपकने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी द्रविड़ के नाम दर्ज है. उन्होंने 301 पारी में 210 कैच अपने नाम किए.
भारत के लिए क्रिकेट में इतनी सेवाएं देने के बाद भी बीसीसीआई से उन्हें विदाई मैच (Farewell Match) का सम्मान तक नहीं मिला. संन्यास के बावजूद कई खिलाड़ियों को उनके बोर्ड की ओर से फेयरवेल मैच की विदाई देते हुए देखा गया है और ऐसा बीसीसीआई भी कर सकती थी. हालांकि ऐसा कुछ हुआ नहीं और उन्हें संन्यास से ही खुद को संतुष्ट करना पड़ा.
2. वीवीएस लक्ष्मण
इस लिस्ट में दूसरा सबसे बड़ा नाम टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण (VVS Laxman) का आता है, जिन्हें टेस्ट क्रिकेट के लिए वेरी-वेरी स्पेशल के नाम से जाना जाता रहा. इसकी वजह टेस्ट में उनका मजबूती के साथ मैदान पर खड़े होना था. वो सिर्फ क्रीज पर जमे ही नहीं रहते थे बल्कि मुश्किल परिस्थितियों में टीम को जिताने का भी दम रखते थे. ऐसे कई मुकाबले देखे गए जब भारत के हाथ से जीत निकल जाएगी. लेकिन, उस दौरान वीवीएस ने अपने बल्ले की धार दिखाई और जीत भी दिलाई.
भारतीय टीम को तमाम मुकाबले में विजयी बना चुके वीवीएस लक्ष्मण भी विदाई मैच के लिए तरसते रहे. उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने संन्यास का ऐलान किया था और फिर इसके बाद क्रिकेट के मैदान पर नहीं दिखाई दिए. टेस्ट में उन्होंने भारत के लिए खेलते हुए 8781 रन बनाए जबकि एकदिवसीय क्रिकेट में 2338 रन बनाए. बल्ले से खास योगदान देने के बाद भी लक्ष्मण को बीसीसीआई ने फेयरवेल मैच (Farewell Match) खेलने का मौका नहीं दिया.
3. गौतम गंभीर
2007 का टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल हो या फिर 2011 के वर्ल्ड कप का फाइनल हो, इन दोनों ही टूर्नामेंट में गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) भारतीय बल्लेबाजी यूनिट का हिस्सा थे. सिर्फ प्लेइंग इलेवन का ही हिस्सा नहीं थे बल्कि टीम इंडिया को जब-जब एक बड़ी साझेदारी और पारी की जरूरत पड़ी तो गंभीर ने अपने बल्ले का मैजिक दिखाया और जीत में अहम भूमिका निभाई.
इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2011 के वर्ल्ड कप का फाइनल मैच है. जिसमें एक समय पर ऐसा लगा था कि ट्रॉफी टीम इंडिया के हाथ से निकल जाएगी. लेकिन, उस दौरान विराट कोहली के साथ मिलकर गौतम गंभीर ने टीम का मोर्चा संभाला और एक बड़ी पारी खेलते हुए भारत को विजयी बनाने में अहम योगदान दिया.
उन्होनें दोनों ही विश्व कप में जीतने वाली टीम के लिए बेसकीमती रन बनाए थे. लेकिन, इसके बावजूद उन्हें दोनों ही मैचों में मैन ऑफ द मैच का खिताब नहीं मिला था. इसके बाद उनकी टीम इंडिया में लंबे समय तक वापसी नहीं और साल 2018 में उन्होंने क्रिकेट के हर फॉर्मेट से संन्यास ले लिया. यहां तक कि गंभीर जैसे शानदार प्लेयर को भी बीसीसीआई ने विदाई मैच (Farewell Match) खेलने का मौका तक नहीं दिया.
4. युवराज सिंह
इस लिस्ट में चौथा बड़ा नाम ऑलराउंडर युवराज सिंह (Yuvraj Singh) का आता है जिन्हें वर्ल्ड कप 2011 के जीतने का श्रेय दिया जाता है. अगर युवी ने उस दौरान सही वक्त पर टीम इंडिया के लिए ऑलराउंडर की भूमिका नहीं निभाई होती तो शायद ही भारतीय टीम फाइनल तक का सफर कर पाती. उन्होंने 2011 में खेले गए वर्ल्ड कप में सिर्फ बल्ले से ही नहीं, बल्कि गेंद से भी पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया था. एक शतक के अलावा युवी ने कई अर्धशतक वर्ल्ड कप में जड़े थे और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब भी अपने नाम किया था.
इतना ही नहीं साल 2007 के टी20 वर्ल्ड कप में भी उन्होंने बेन स्टोक्स के एक ओवर में 6 छक्के जड़कर भारत को जीत दिलाई थी. इस टूर्नामेंट में भी युवराज ने लगभग हर मैच में टीम इंडिया को जीत दिलाई थी. लेकिन, जब कैंसर के बाद उनकी टीम इंडिया में वापसी हुई तो उन्हें खेलने का ज्यादा मौका नहीं दिया गया और एक वक्त ऐसा भी आया जब वो विदाई मैच (Farewell Match) के लिए भी तरसते रहे. लेकिन, बीसीसीआई ने उन्हें फेयरवेल मुकाबला खेलने का मौका ही नहीं दिया. यही वजह रही कि लंबे समय तक इंतजार के बाद साल 2019 में आखिरकार इस ऑलराउंडर क्रिकेटर ने बिना विदाई मैच खेले ही अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया.
5. जहीर खान
इस लिस्ट में आखिरी और 5वां नाम टीम इंडिया के घातक पूर्व गेंदबाज जहीर खान (Zaheer Khan) का आता है, जिनका योगदान भुला पाना किसी भी फैंस या दिग्गज के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है. साल 2003 के वर्ल्ड कप के फाइनल तक के भारतीय टीम के सफर में और फिर साल 2011 के वर्ल्ड कप की विश्व विजेता टीम में जहीर का काफी ज्यादा योगदान था. कई खिलाड़ी जहीर को भारतीय गेंदबाजी यूनिट का सचिन तेंदुलकर कहते थे. क्योंकि उन्होंने खुद को कुछ इसी तरह से साबित किया था.
लेकिन, दुर्भाग्यवश इसी लिस्ट में उनका भी नाम आता है जिन्हें बीसीसीआई ने विदाई मैच (Farewell Match) तक खेलने का मौका नहीं दिया. लंबे समय तक फेयरवेल न मिलने के बाद जहीर खान ने साल 2017 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट हर एक फॉर्मेट से अलविदा कह दिया था.