भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है। यह क्रिकेट फैंस और क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए धर्म की तरह है। इसलिए जब भी किसी खिलाड़ी को International Cricket खेलने का मौका दिया जाता है, तो यह उसके लिए सौभाग्य की बात होती है। इतिहास में कई ऐसे खिलाड़ी रहे जिन्हें ये मौका दिया गया और उन्होंने इंटरनेशनल स्तर पर अच्छा प्रदर्शन दिखा कर ये साबित किया है कि उनका इंटरनेशनल टीम में चयन सही फैसला है।
लेकिन कई बार ऐसे खिलाड़ियों को भी मौका दिया गया जिन्होंने अपने प्रदर्शन से यह साबित किया कि वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट (International Cricket) खेलने के लायक नहीं थे। इस आर्टिकल के जरिए हम आपको उन पांच खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट में खेलने का मौका देना गलत फैसला साबित हुआ।
International Cricket खेलना डीजर्व नहीं करते थे ये 5 खिलाड़ी
स्टुअर्ट बिन्नी
बांग्लादेश के खिलाफ स्टुअर्ट बिन्नी का प्रदर्शन कोई भूलने वाली चीज नहीं है। उस मैच में उन्होंने 28 गेंदों में ही मुकाबले का रुख बदल दिया था। उन्होंने महज 4 रन देकर 6 बांग्लादेशी बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखा दी। स्टुअर्ट की गेंदबाजी के दम पर भारत ने 47 रनों से मुकाबला जीत लिया था। उस मैच में गेंदबाज ने 25 रन भी बनाए थे। हालांकि कर्नाटक के रहने वाले स्टुअर्ट बिन्नी इंटरनेशनल क्रिकेट(International Cricket) में कुछ खास छाप नहीं छोड़ सके हैं।
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में 2015 क्रिकेट विश्व कप के लिए बिन्नी को चुना गया था। लेकिन उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। इसके बाद अगस्त 2015 में उन्हें श्रीलंका के खिलाफ दूसरे और तीसरे टेस्ट मैचों के लिए टीम इंडिया का हिस्सा बनाया गया। उन्होंने दो पारियों में तीन विकेट लिए और पहली और दूसरी पारी में 15 और 8 रन बनाए। इसके बाद टीम में जगह न मिल पाने की वजह से बिन्नी ने टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट (International Cricket) से 2016 में संन्यास ले लिया था।
एमएसके प्रसाद
मन्नावा श्री कांथा प्रसाद एक रिटायर्ड भारतीय क्रिकेटर हैं। अगर हम एमएसके के प्रदर्शन की बात करें, तो वह अपने क्रिकेट करियर में बहुत अच्छा नहीं कर पाए थे। उनका खराब प्रदर्शन के बावजूद उन्हे भारतीय टीम में मौका मिलता रहा। इसकी वजह उनका विकेटकीपर बल्लेबाज होना था। जिसका उन्हें फायदा मिला।
एमएसके प्रसाद के नाम से मशहूर मन्नावा ने भारत के लिए 6 टेस्ट मैच में 11.78 की औसत से 106 रन बनाये। जिसके बाद उन्हें 17 एकदिवसीय मैच में 14.56 के औसत से 131 रन बनाये। जिसके बाद यह साफ है कि उन्होंने दूसरी पारियों में कितने रन बनाए थे। आपको बता दें कि, प्रसाद पिछले कुछ सालों से भारतीय टीम के लिए मुख्य चयनकर्ता का पद संभाल रहे हैं।
वरूण आरोन
आज टीम इंडिया में एक से बढ़कर एक गेंदबाज मौजूद है। लेकिन साल 2011 में भारतीय टीम के पास एक ऐसा गेंदबाज था, जिसने विरोधी टीम को अपनी रफ़्तारभरी गेंदों से खूब तंग किया था। हम बात कर रहे हैं वरुण आरोन की। इंग्लैंड के खिलाफ 2011 में वरुण ने डेब्यू किया था। उन्होंने अपने करियर का आगाज जोरदार अंदाज में किया, लेकिन अब वे टीम इंडिया से गुमनाम हो गए हैं। वरुण को साल 2015 के बाद से टीम इंडिया के लिए खेलने का मौका नहीं मिल पाया है।
चोट ने भी उन्हें खासा परेशान किया। वरुण को 2014 में न्यूजीलैंड के खिलाफ दौरे पर शामिल किया गया। वरुण ने अपना आखिरी टेस्ट मुकाबला 2015 में खेला। वहीं 2014 में उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ आखिरी वनडे खेला। 2014 के बाद से वरुण के करियर का ग्राफ एक दम से नीचे गिरने लगा। उन्होंने 9 टेस्ट मैचों में 18 विकेट्स ली, जबकि वनडे के 9 मैचों में 11। उन्होंने अपने ऐसे प्रदर्शन से ये साबित किया कि वे इंटरनेशनल क्रिकेट (International Cricket) खेलने के लिए लायक नहीं।
आकाश चोपड़ा
इस लिस्ट में एक नाम पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर वर्तमान समय के सबसे प्रसिद्ध कमेंटेटरों में से एक हैं। उन्होंने वर्ष 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेल के सबसे लंबे प्रारूप यानी टेस्ट क्रिकेट में ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट (International Cricket) में डेब्यू किया। वीरेंद्र सहवाग के लिए एक उपयुक्त बल्लेबाजी साथी खोजने के लिए उन्हें टीम में शामिल किया गया था, लेकिन बड़े स्कोर करने में उनकी विफलता ने उन्हें यह मौका गंवा दिया और बाद में उनकी जगह गौतम गंभीर और वसीम जाफर ने ले ली।
उन्होंने देश के लिए 10 टेस्ट मैच खेले जिसमें उन्होंने 437 रन बनाए। उन्हें एकदिवसीय फॉर्मेट में खेलना का मौका ही नहीं दिया गया क्योंकि उनका स्ट्राइक रेट काफी कम था जबकि आईपीएल में उन्होंने केवल 7 मैच खेले जिसमें उन्होंने केवल 53 रन बनाए। आकाश को कई मौके दिए गए, लेकिन वे इन्हें भुनाने में कामयाब नहीं रहे।
सौरभ तिवारी
सौरभ तिवारी ने जब इंटरनेशनल क्रिकेट (International Cricket) में एंट्री की तो उनको भारत का अगला एमएस धोनी समझा जा रहा था। तिवारी के खेलने का अंदाज एमएस धोनी की तरह था। आईपीएल में शानदार प्रदर्शन दिखा सौरभ ने टीम इंडिया में जगह बनाई थी। जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्हें साल 2010 में वनडे में डेब्यू करने का मौका मिला।
उन्होंने टीम इंडिया के लिए महज तीन वनडे मुकाबले खेले। वनडे में उन्होंने दो पारियाँ ही खेली, लेकिन दोनों पारियों में वह नाबाद रहे। टीम इंडिया द्वारा दिए गए तीन मौकों को तिवारी भुनाने में असफल रहे और इंटरनेशनल क्रिकेट (International Cricket) में अपनी छाप नहीं छोड़ पाए। सूर्यकुमार यादव, ईशान किशन और संजू सैमसन जैसे खिलाड़ियों के टीम में आने से उनके लिए टीम इंडिया के दरवाजे बंद हो गए।