ये हैं वो 5 दिग्गज भारतीय खिलाड़ी जिनको दिखाया जा सकता है 2019 के आगामी विश्व कप से बाहर का रास्ता
Published - 16 Feb 2019, 01:15 PM

आगामी विश्वकप साल 2019 में है जिसकी तैयारी में हर टीम जी जान से जुटी हुई हैं. चार साल में एक बार आने वाले इस मौके के इतंजार में फैन्स भी पलके बिछाए हुए हैं. भारत में वैसे भी क्रिकेट का क्रेज़ चरम पर है. फैन्स भारतीय क्रिकेट से जुड़ी हर एक बात जानने के लिए एक्साइटेड रहते हैं. ऐसे में हम आज एक विशेष आर्टिकल लाये हैं. इस आर्टिकल में हम उन पांच खिलाड़ियों के बारे में बताएंगे जो आगामी वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का हिस्सा नहीं होंगे.
गौरतलब है कि हाल के दिनों में कई युवा टैलेंट उभर कर आये हैं ऐसे में पुराने रेस में थक चुके कुछ घोड़ों को आराम दिया जाये तो आपको हैरानी नहीं होनी चाहिए. मौजूदा समय में भारतीय क्रिकेट टीम युवाओं से भरपूर है जिसके चलते पुराने खिलाड़ियों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. आइए, जानते है ऐसे क्रिकेटरों के बारे में जिनका 2019 में खेलना काफी मुश्किल लग रहा है.
आइये डालते हैं, एक नजर ऐसे ही कुछ बड़े नामों पर :-
मोहम्मद शमी
हालांकि अभी कुछ दिनों पहले सम्प्पन हुई दक्षिण अफ्रीका दौरे पर शमी ने शानदार गेंदबाजी कर खूब वाहवाही बटोरी थी लेकिन वह टेस्ट मैच था. सिमित ओवर क्रिकेट में शमी ने अपने प्रदर्शन से फैन्स को निराश ही किया है. कई तरह की दिक्कतों में उलझने के बाद इस गेंदबाज की वापसी के चांस बहुत कम दिख रहे हैं. ऐसे में शमी को आगामी विश्वकप खेलने वाली भारतीय टीम से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है.
युवराज सिंह
साथ ही मौजूदा समय में सिक्स़र किंग कहे जाने वाले युवी बेहद खराब फॉर्म से गुजर रहे हैं. आईपीएल में पंजाब की तरफ से खेलते हुए भी युवी लय हासिल करने में नाकाम रहे. ऐसे में युवी को 2019 का वर्ल्ड कप में टीम में जगह मिलने की बहुत कम उम्मीद है.
अजिंक्य रहाणे
अभी अफ्रीका दौरे पर रहाणे को 6 मैचों में मौका मिला. जिसमें उन्होंने 76.92 की स्ट्राइक रेट से मात्र 140 रन बनाए. जो वनडे फार्मेट के लिहाज से कही से भी अच्छा नहीं कहा जाएगा. वनडे करियर में भी रहाणे स्ट्राइक रेट के मामले में स्लो ही रहे हैं. एकदिवसीय क्रिकेट में रहाणे ने 40 से भी कम की औसत के साथ साथ 78.82 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं. ऐसे में यह बल्लेबाज भी टीम इंडिया के वर्ल्ड कप स्क्वाड में न दिखे तो अचंभित होने की जरुरत नहीं है.
मनीष पांडे
पांडेय ने वनडे करियर की शुरुआत बड़े ही शानदार ढंग से की थी जब उन्होंने कंगारू टीम के खिलाफ सिडनी में शतक जड़ा था. हालांकि वह इनिंग मनीष के लिए अब तक का पहला और आखिरी शानदार इनिंग था. पांडे जी ने अपने एकदिवसीय करियर में 22 मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 39.27 की औसत से कुल 432 रन बनाए हैं. इनका भी स्थान विश्वकप खेलने वाली भारतीय टीम में मुश्किल ही लग रहा है.
रविचंद्रन अश्विन
वैसे तो टेस्ट रैंकिंग में रविन्द्र जडेजा नंबर 1 पायदान पर हैं, लेकिन टेस्ट टीम में रविचंद्रन अश्विन की जगह पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता. वहीं दूसरी ओर, एकदिवसीय टीम में इस 30 वर्षीय खिलाड़ी की जगह के संबंध में ऐसा नहीं कहा जा सकता. आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफी के अंतिम चरण में अश्विन टीम इंडिया का हिस्सा जरूर रहे, लेकिन शुरुआती मुकाबलों में उन्हें जगह नहीं दी गई. इससे स्पष्ट है कि सीमित ओवरों के प्रारूप में इस खिलाड़ी की जगह टेस्ट क्रिकेट जैसी स्थाई नहीं है.
क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद, अश्विन एकदिवसीय और टी-20 क्रिकेट में कुछ खास कमाल नहीं दिखा सके. आंकड़ों के मुताबिक, 2016 की शुरुआत से अश्विन ने अभी तक एक दर्जन से भी कम एकदिवसीय मैच खेले हैं और इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि वनडे टीम में उनकी जगह खतरे में है. खास बात यह है कि इनके विकल्प के रूप में भारत के पास खिलाड़ियों की कमी नहीं है इस वजह से इन्हें भी विश्वकप खेलने का मौका न मिले.
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