5 प्रतिभाशाली भारतीय क्रिकेटर जिन्हें देश के लिए कभी नहीं मिला खेलने का मौका, नहीं तो आज होते बड़े नाम

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अगर विश्व में किसी भी खेल को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है तो वो कोई और खेल नहीं बल्कि क्रिकेट हैं. किसी भी क्रिकेट खिलाड़ी के लिए अपने देश के लिए खेलना बहुत गर्व की बात होती हैं. मगर जैसा की हम सब ही जानते है कि देश के लिए क्रिकेट खेलना उतना आसान नहीं जितना की हम लोग समझते हैं.
मगर जिसके इरादे बुलंद हो और जिसके अंदर सच्ची लगन को तो वो खिलाड़ी अपने किसी भी मुकाम को पा ही लेता हैं. लेकिन कई बार मुकाम पाना उतना कठीन हो जाता हैं क्योंकि उस समय उसकी लगन के साथ-साथ ये भी निर्भर करता है की वो अपने आप को उस कार्य के लिए कितना समय देता हैं.
इसी इरादे और सच्ची लगन को बरकरार रखते हुए घरेलू मैच में अच्छा प्रदर्शन किया. लेकिन आज तक देश के लिए खेलने का मौका नहीं मिला हैं. तो आज हम इस लेख के जरिए बताते हैं कि वो 5 प्रतिभाशाली खिलाड़ी जिन्हें आजतक कभी देश के लिए खेलने का मौका नहीं मिला.
1. राजिंदर गोयल
घरेलू मैचों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले राजिंदर गोयल ने अपने घरेलू करियर में अपना काफी जादू बिखेरा हैं. पर कहते हैं ना की क्रिकेट जगत में अपने शानदार प्रदर्शन और कला की कोई जगह नहीं जबतक की आप की किस्मत अच्छी ना हो.
राजिंदर गोयल पेशे से एक लेग स्पिनर गेंदबाज़ थे. जिन्होंने अपनी गेंदबाजी से बल्लेबाजो का बल्ला बदं करके रखा था. हरियाणा के रहने वाले राजिंदर गोयल ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपनी गेंदबाजी का जादू बिखेरते हुए अपने नाम 750 विकेट किए थे. लेकिन उसके बाद भी भारतीय क्रिकेट टीम में जगह नहीं मिली.
माना जाता रहा हैं की अगर इस गेंदबाज को देश के लिए खेलने का मौका मिलता. तो शायद इस गेंदबाज की किस्मत के साथ-साथ भारतीय टीम की भी किस्मत खुल सकती थी. गोयल रणजी ट्रॉफी के इतिहस में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले पहले खिलाड़ी हैं. उन्होंने ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कुल 157 मैच खेले हैं जिसमें 18.58 की औसत से 750 विकेट झटके हैं.
2. श्रीधरन शरत
इस लिस्ट में दूसरा नाम श्रीधरन शरत का आता हैं. तमिलनाडु के रहने वाले शरत अपनी टीम के लिए एक महान बल्लेबाज खिलाड़ी रहे हैं. घरेलू टीम के अच्छा प्रदर्शन करने वाबजूद श्रीधरन को भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने का मौका नहीं मिला.
47 साल के श्रीधरन पेशे से एक बाएं हाथ के बल्लेबाज थे. उन्होंने ने फर्स्ट क्लास में कुल 139 मैच खेले हैं. जिसमें उन्होंने 51.17 के औसत की मदद से 8700 रन बनाए हैं. वही 203 पारियों में उन्होंने 27 शतक और 42 अर्धशतक लगाए हैं.
एक मोटरसाइकिल एक्सीडेंट होने बाद उनका सपना अधूरा रह गया हैं. दरअसल साल 1993 में उन्हें एक एक्सीडेंट से गुजरना पढ़ा था जिसमें उन्हें कई गंभीर चोटे आई. उसके बाद वह उस सदमे से उभर नहीं पाए और जिसके चलते उनका भारतीय टीम के लिए खेलने का सपना सिर्फ सपना बनाकर रह गया.
3. पदमाकर शिवलकर
पदमाकर शिवलकर का नाम उन्ह बल्लेबाजो में शुमार हैं जो कभी घरेलू सरजमीं पर रणजी ट्रॉफी खेलते दिखते थे. उन्होंने सबसे ज्यादा मैच मुंबई क्रिकेट की टीम से खेलते हुए रणजी ट्रॉफी में लगभग 25 से भी ज्यादा टूर्नामेंट खेले हैं. इस फॉर्मेट में इनका प्रदर्शन बहुत ही शानदार रहा हैं.
पूर्व दाएं हाथ के गेंदबाज शिवलकर ने फर्स्ट क्लास में कुल 124 मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 19.69 के औसत से 589 विकेट अपने नाम किए हैं. शिवलकर के फर्स्ट क्लास के करियर सबसे अच्छा प्रदर्शन 8/16 का रहा. उसके बाद भी उन्हें भारतीय टीम में खेलने का मौका नहीं मिला हैं.
मुंबई क्रिकेट की टीम को एक पहचान दिलाने में उनकी बड़ी भूमिका रही हैं. उन्होंने क्रिकेट से 50 उम्र में संन्यास ले लिया था.
4. मिथुन मन्हास
इस लिस्ट में चौथा नाम दिल्ली के मध्यक्रम के बल्लेबाज मिथुन मन्हास का आता हैं. मिथुन एक शानदार बल्लेबाज तो थे ही लेकिन उनमें प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी. उसके बाद भी मिथुन को भारतीय टीम में डेब्यू करने का मौका नहीं मिला.
मिथुन मन्हास को एक बड़े और लीजेंड खिलाड़ी के रूप में जाना जाता हैं. 2008 में हुए रणजी ट्रॉफी को दिल्ली ने जीत लिया था जिसमे मिथुन का बहुत बड़ा योगदान रहा था. मिथुन दिल्ली क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान भी रह चुके हैं और उन्होंने 8 हजार से भी ज्यादा रन बनाए हैं.
भारतीय टीम में सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली जैसे महान खिलाड़ी के रहते मिथुन को टीम में जगह नहीं मिल सकी. इन्हें अपनी टीम का शांत स्वाभाव का कप्तान माना जाता था. मन्हास ने फर्स्ट क्लास में कुल 157 मैच खेले हैं जिसमें 45.82 के औसत से 9714 रन बनाए. लिस्ट ए मैचों में उनके बल्ले से 46 की औसत से 4126 रन बनाए. इनके नाम 244 पारियों में 27 शतक और 49 अर्धशतक शामिल हैं.
5. अमोल मजूमदार
इस लिस्ट में सबसे आखिरी नंबर पर बने हुए हैं अमोल मजूमदार वो बल्लेबाज जिसका मैदान में आना किसी तूफ़ान से कम नहीं था. अमोल भारतीय घरेलू मैच के एक दिग्गज और शानदार बल्लेबाज माने जाते रहे हैं. 90 के दशक में जब वो मैदान में बल्लेबाजी करने आते थे तो उनके नाम से गेंदबाजो के पसीने छूट जाते थे.
45 वर्षीय दाएं हाथ के बल्लेबाज अमोल ने मुंबई, आंध्र प्रदेश और असम के लिए काफी मैच खेले हैं. फर्स्ट क्लास में 10 हजार का आकड़ा छूने वाले पहले बल्लेबाज थे. लेकिन भारतीय टीम राहुल द्रविण, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के होते उन्हें भारतीय टीम में डेब्यू करने का मौका नहीं मिल सका.
वही अगर इनके करियर की बात करे तो उन्हीने फर्स्ट क्लास में 171 मैच खेले हैं. जिसमें उन्होंने ने 48.13 के औसत से 11167 रन बनाए. उनके बल्ले से 30 शतक 60 अर्धशतक देखने को मिले थे. उन्होंने लिस्ट ए में कुल 113 मैच खेले. जिसमें 38.20 के औसत से उन्होंने 3286 रन बनाए. इस फॉर्मेट में इनके नाम 3 शतक तो 26 अर्धशतक शामिल रहे.
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