सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी ने लिए ये 5 बड़े फैसले जिससे बदल गया भारतीय क्रिकेट का स्वरूप
Published - 08 Jul 2019, 02:07 PM

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भारतीय क्रिकेट इतिहास के दो बड़े कप्तान जिन्होंने भारतीय टीम के मजबूती का अहसास पूरे विश्व कप को कराया. वो थे सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी. इन दोनों महान कप्तानों का जन्मदिन मात्र एक दिन के अंतराल में होता है. कल यानी 7 जुलाई को महेंद्र सिंह धोनी का जन्मदिन था तो आज 8 जुलाई को सौरव गांगुली का जन्मदिन है.
आज हम इन दोनों कप्तानों के 5 बड़े साहसिक फैसले के बारें में बताने जा रहे हैं जिसने भारतीय क्रिकेट का परिदृश्य पूरी तरह से बदल दिया.
1.सौरव गांगुली का महेंद्र सिंह धोनी को समर्थन देना
सौरव गांगुली ने भारतीय टीम की कप्तानी उस समय संभाली जब भारतीय टीम फिक्सिंग जैसे आरोपों से घिरी हुई थी. उसके बाद उन्होंने भारतीय टीम को फिर से अपनी तरह से तैयार किया. उस समय भारतीय टीम को एक अच्छे विकेटकीपर की तलाश भी थी. नयन मोंगिया के संन्यास के बाद भारत ने कई विकेटकीपर को आजमाया लेकिन कोई अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया.
उसके बाद सौरव गांगुली ने टीम में महेंद्र सिंह धोनी जैसे विकेटकीपर को जगह दी. पाकिस्तान के खिलाफ हो रही सीरीज में धोनी ने शुरूआती चार मुकाबले खेले थे लेकिन उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिल रहा था. तब सौरव गांगुली ने धोनी को पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज के अंतिम मुकाबले में तीसरे नंबर पर भेजने का फैसला किया. उस मैच में महेंद्र सिंह धोनी ने शानदार 148 रन बनाए और विश्व क्रिकेट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
उसके बाद धोनी ने श्रीलंका के खिलाफ 183 रन बनाए जो आज तक एक विकेटकीपर बल्लेबाज का एकदिवसीय क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ स्कोर है. उसके बाद 2007 में पहली बार धोनी भारतीय टीम के टी20 विश्व कप में कप्तान बने जिसके बाद उन्होंने एक के बाद एक बड़ा इतिहास रच दिया. विकेटकीपर के रूप में भी धोनी का कोई मुकाबला नहीं है.
2.सौरव गांगुली का हरभजन सिंह को वापस टीम में लाने का फैसला
2000 के समय हुए मैच फिक्सिंग के प्रकरण के समय भारतीय टीम के कप्तान नियुक्त किये गये सौरव गांगुली ने 2000 के चैम्पियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम को फाइनल तक पहुंचा दिया था. जिसके कारण टीम को उनके ऊपर पूरा भरोसा था. जिसके बाद उन्होंने नए और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को मौका देना शुरू कर दिया.
गांगुली की नजर हर समय घरेलु क्रिकेट पर लगी रहती थी. दादा की इसी खोज में उन्हें हरभजन सिंह मिले. जो 2 साल पहले 1998 में भारतीय टीम के लिए पर्दापण कर चुके थे. उसके दो बार उन्हें ऑस्ट्रेलिया सीरीज के लिए वापस टीम में बुलाया गया.
सौरव गांगुली का निर्णय मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ क्योंकि युवा स्पिनर हरभजन सिंह ने 3 मैचों की सीरीज में भारत की ओर से 32 विकेट लिए. साथ ही वे टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय बने. भारत ने सीरीज को 2-1 से जीता. सौरव गांगुली का हरभजन सिंह को वापस लाना भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक अहम मोड़ साबित हुआ. बाद में हरभजन सिंह भारतीय टीम के सबसे शानदार ऑफ स्पिनर साबित हुए.
3.धोनी का रोहित शर्मा को एकदिवसीय क्रिकेट में सलामी बल्लेबाज बनाना
आज भारतीय टीम के सबसे खतरनाक बल्लेबाज माने जाने वाले रोहित शर्मा ने अपना पर्दापण जून 2007 में आयरलैंड के खिलाफ किया था. बहुत ही प्रतिभाशाली खिलाड़ी कहे जाने वाले इस खिलाड़ी का करियर बहुत ही उतार चढ़ाव भरा रहा. इस खिलाड़ी को खराब प्रदर्शन के कारण 2011 में टीम से बाहर कर दिया गया. हालाँकि उसके बाद इस खिलाड़ी ने टीम में दमदार वापसी की.
2013 में रोहित शर्मा के करियर ने एक बेहतरीन मोड़ लिया जब 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान भारत के उस समय के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रोहित शर्मा को शिखर धवन के साथ बतौर ओपनर पारी की शुरुआत करने को कहा. रोहित शर्मा ने बतौर ओपनर चैंपियंस ट्रॉफी में धुआंधार बल्लेबाजी की. उन्होंने हर मैच में भारत को एक शानदार शुरुआत दिलाई और भारत के चैंपियंस ट्रॉफी विजय अभियान में बेहद अहम योगदान दिया.
सलामी बल्लेबाजी बनने के बाद रोहित शर्मा के करियर में शानदार उछाल आया. उन्होंने खुद भी कहा की सलामी बल्लेबाज बनना उनके करियर का सबसे शानदार फैसला है. रोहित शर्मा ने सलामी बल्लेबाज रहते हुए एकदिवसीय क्रिकेट में तीन दोहरे शतक लगाए है. उसके बाद रोहित शर्मा ने विश्व कप 2019 में भी अब तक 5 शानदार शतक जड़ दिए है. वो ऐसा करने वाले विश्व के एकमात्र खिलाड़ी है.
4.सौरव गांगुली का वीरेन्द्र सहवाग को सलामी बल्लेबाज बनाना
विश्व के सबसे आक्रमक बल्लेबाज माने जाने वाले वीरेन्द्र सहवाग ने अपना एकदिवसीय क्रिकेट में पर्दापण 1999 में किया था. वो अपनी पहली पारी में मात्र 2 रन बना कर आउट हो गये. उसके 20 महीने बाद उन्हें टेस्ट क्रिकेट में पर्दापण करने का मौका मिला तो उन्होंने उस मैच में 105 रन बनाकर मौके का अच्छा फायदा उठाया.
हालाँकि भारतीय टीम ये मैच हार गया था. उस समय तक वीरेन्द्र सहवाग नंबर 6 पर बल्लेबाजी करने के लिए आया करते थे. लेकिन 2002 में सौरव गांगुली ने इंग्लैंड दौरे पर खुद की जगह वीरेंद्र सहवाग को सलामी बल्लेबाजी सौंपने का फैसला किया तो सभी आश्चर्यचकित थे. हालाँकि उस सीरीज में दादा ने ही सहवाग के साथ सलामी बल्लेबाजी की थी.
इस मौके का शानदार फायदा उठाते सहवाग ने कई बड़े रिकॉर्ड बनाए. टेस्ट क्रिकेट में सहवाग ने अपने बल्लेबाजी से ही पूरा परिदृश्य ही बदल दिया. सहवाग ने सबसे तेज टेस्ट में 250 रन और 300 रन बनाए. वीरेन्द्र सहवाग ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि उस समय गांगुली ने उनसे कहा था की आपको सलामी बल्लेबाजी करनी पड़ेगी नहीं तो कही और टीम में जगह नहीं बन पा रही है.
5.महेंद्र सिंह धोनी का विराट कोहली को सर्मथन देना
विराट कोहली ने 2008 में अंडर19 टीम की कप्तानी की और उस टीम को विश्व कप भी जिताया. जिसके फौरन बाद उन्हें भारतीय टीम में शामिल कर लिया. लेकिन भारतीय टीम में आने के बाद वो शुरूआती दौर में अपने पारियों को बड़े स्कोर में नहीं बदल पा रहे थे. विराट कोहली ने अपनी पहली 13 टेस्ट पारियाँ और 13 एकदिवसीय पारियाँ में मात्र 3-3 अर्द्धशतक लगाया था.
लेकिन उन्हें उस समय के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का समर्थन प्राप्त था जिसके कारण वो टीम से बाहर नहीं हुए जब 2017 में महेंद्र सिंह धोनी ने कप्तानी से संन्यास लिया तो ये बात खुद विराट कोहली ने कही कि धोनी ने शुरुआत में उनकी बहुत मदद की और एक क्रिकेटर के रूप में विकसित होने के लिए धोनी ने उन्हें पर्याप्त समय और टीम में स्थान दिया और कई बार टीम से बाहर होने से भी बचाया.
विराट कोहली ने अब तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार सफलता प्राप्त की है. वह अब तक के सबसे बेहतरीन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों में शामिल हो गए हैं. उनके नाम 20000 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय रन और 66 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय शतक दर्ज है. शायद यह सब मुमकिन नहीं होता यदि उस समय धोनी ने कोहली का समर्थन नहीं किया होता. इस समय विराट कोहली भारतीय टीम के कप्तान है.