क्रिकेट के इन 4 नियमों ने पूरे खेल को बुरी तरह किया प्रभावित, जिसके कारण आईसीसी ने हटाया

Published - 13 Jul 2020, 01:26 PM

खिलाड़ी

कोरोना वैश्विक महामारी के बीच करीब 117 दिनों के बाद वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के बीच, बुधवार को इंग्लैंड के साउथैम्पटन में 3 टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मैच आज (13 जुलाई) समाप्त हो गया. इस मैच में वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को 4 विकेट से हराकर सीरीज में 1-0 से अजेय बढ़त बना ली है.

इस मैच में आप सभी को क्रिकेट के बहुत से नियम बदले-बदले जरूर दिखे होंगे. जैसे किसी भी गेंदबाज या फील्डर को आपने इस मैच के दौरान गेंद को चमकाने के लिए थूंक का प्रयोक करते हुए नहीं देखा होगा. दरअसल आईसीसी ने कोरोना महामारी के चलते इस नए नियम को क्रिकेट की रूल बुक में शामिल किया है. आईसीसी के इस नियम ने गेंदबाजों से मानों उनका ब्रम्हास्त्र छीन लिया हो.

ऐसा नहीं है की आईसीसी ने नियमों में बदलाव पहली बार किया है. इससे पहले भी कई बार नियमों में बदलाव हो चुके हैं. जिसके कारण इस खेल में बहुत प्रभाव पड़ा है. आज आपको हम अपने इस लेख में उन 4 संशोधित नियमों के बारे में बताएँगे जिन्होंने क्रिकेट के खेल को बुरी तरह प्रभावित किया है.

4. सुपर सब

साल 2005 में आईसीसी क्रिकेट ने क्रिकेट के नियमों में कई बदलाव किए. जिसमें एक था "सुपर सब", इस नियम के अनुसार फुटबॉल की तर्ज पर क्रिकेट में भी 12वें खिलाड़ी को मैच के दौरान शामिल करने की अनुमति होती थी. जिसे आप मैच के दौरान अपने एकादश के किसी एक खिलाड़ी से बदल सकते थे.

यह खिलाड़ी टीम के लिए बल्लेबाजी, गेंदबाजी, विकेट कीपिंग तथा क्षेत्ररक्षण चारों विकल्पों के लिए हमेशा उपलब्ध रहता था. किस खिलाड़ी को विकल्प के रूप में शामिल करना है. इसका निर्णय कप्तान टॉस से पहले लेता था. हालांकि, जिस खिलाड़ी के स्थान पर सब्सिट्यूट आता था, वो दोबारा मैच में शामिल नहीं हो सकता था.

इस नियम पर पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम को ज्यादा फायदा मिलने का आरोप लगा था. जिसकी वजह से इस नियम को कप्तानों से ज्यादा समर्थन नहीं मिला इसलिए आईसीसी ने इसे कुछ दिनों के बाद समाप्त कर दिया गया.

3. बॉल आउट

अगर आपको 2007 के टी-ट्वेंटी वर्ल्ड कप में खेला गया भारत-पाकिस्तान का वह एतिहासिक मैच याद हो तो ये नियम भी अवश्य याद होगा. इस नियम के अनुसार मैच टाई होने की स्थिति में परिणाम का फैसला बॉल आउट के जरिए किया जाता था. दरअसल मैच टाई होने के बाद 2007 टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान बॉल आउट का नियम था.

भारत-पाकिस्तान मैच का रिजल्ट भी इसी नियम के आधार पर निकाला गया था. ठीक उसी तरह से, जिस तरह फुटबाल और हॉकी में गोल बराबर होने की स्थिति में पेनाल्टी शूट आउट के जरिए मैच का फैसला होता है. लेकिन, क्रिकेट के नजरिए से ये नियम हास्यास्पद था. इसी वजह से इस नियम को हटाकर सुपर ओवर का नियम लाया गया.

2. 15 ओवर तक पावरप्ले

80 के दशक में पावरप्ले 15 ओवर का होता था. उस वक्त 15 ओवर के पावरप्ले के दौरान '30 गज के बाहर दो फील्डर' रखने के इस नियम से सभी परिचित थे, लेकिन इसका उपयोग कम ही होता था. हालांकि 1992 के विश्व कप में इन नियमों का सलीके से पालन किया गया. जिसने इस खेल को बहुत प्रभावित किया.

15 ओवर का पावरप्ले बोरिंग होने लगा. जिसके कारण सन् 2005 में क्रिकेट को अधिक मनोरंजक बनाने के लिए इसके नियमों में तब्दीलियां की गईं. अब पावरप्ले 15 से घटकर 10 ओवर्स का हो गया. इस दौरान फील्डिंग करने वाली टीम 30 गज के घेरे के बाहर अधिकतम दो फील्डर रख सकती है. इस पावरप्ले में बल्लेबाज अपने शुरुआती विकेट बचाते हुए जमकर हिटिंग करते हैं.

1. एमपीओ मैथेड ( मोस्ट प्रोडक्टिव ओवर )

इस सूची पर पहले नंबर पर है विश्वकप 1992 में बारिश से प्रभावित मैच का नियम बताने वाला एमपीओ मैथेड. आईसीसी तब इसी नियम के अनुसार बारिस से प्रभावित मैच में नियम के अनुसार खेल का करता था. इस नियम को आईसीसी का सबसे बेकार नियम कहना गलत नही होगा.

इस नियम की सबसे बड़ी आलोचना विश्वकप 1992 में भारत और ऑस्ट्रेलिया मैच के दौरान हुई. दरअसल भारत ऑस्ट्रेलिया के 237 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहा था. तभी अचानक जोर से बारिस होने लगी और मैच को रोक दिया गया. सबसे आश्चर्य की बाद तब सामने आई जब बारिश रुकी क्योंकि बारिश रुकने के बाद भारत के लक्ष्य को घटाकर 47 ओवर में 235 रन कर दिया गया.

यानी कि भारत को तीन ओवरों का नुकसान झेलने के बावजूद निर्धारित लक्ष्य में केवल दो रन की कमी होने का ही फायदा मिला. इस मैच में भारत को अंतिम ओवर में जीतने के लिए 13 रन बनाने थे. इस मैच में भारत एक रन से हार गया. इसके बाद इस नियम की खूब आलोचना की गयी. तभी से क्रिकेट में एमपीओ के स्थान पर डीएलएस यानि डकवर्थ लुईस सिस्टम लाया गया.

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